- दिल्ली और एनसीआर में आने वाले राजस्थान,हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश
- सड़कों पर लग गया पहरा ट्रकों के प्रवेश पर रोक
गोपेन्द्र नाथ भट्ट
प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और एनसीआर में आने वाले राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सभी स्कूलों को बंद करने का आदेश दिए है । प्रदूषण के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दसवीं और बारहवीं के क्लास भी ऑनलाइन आवास कराए जाएं। एक दिन पहले ही ग्रेप-4 लागू होने के बाद दिल्ली के सभी स्कूल (10 वीं और 12 वीं) को छोड़कर बंद कर दिए गए थे। वहीं एनसीआर को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट की ओर से निर्देश जारी किए थे और यूपी और एनसीआर के तहत आने वाली दूसरी राज्य सरकारों को भी समुचित फैसला लेने के लिए कहा है।दिल्ली के कई इलाकों में सोमवार को एक्यूआई 500 के पार पहुंच गया तो कुछ इलाकों में 1000 के करीब होकर खतरनाक स्थिति में आ गया है।
अब इस मामले पर सियासत भी देखने को मिल रही है। भाजपा इस मसले पर दिल्ली सरकार को घेर रही है। वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के गंभीर होने के चलते चिकित्सा आपात स्थिति पैदा हो गयी है लेकिन केंद्र अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। धुंध को बस कृत्रिम वर्षा या हवा से दूर किया जा सकता है, केंद्र ने इस पर दिल्ली सरकार के अनुरोध पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
सुप्रीम कोर्ट में जिस समय सुनवाई आखिरी चरण में चल रही थी उस समय कोर्ट को एनसीआर के राज्यों विशेष कर उत्तर प्रदेश और हरियाणा की ओर से बताया गया कि 9 वीं कक्षा तक के स्कूल बंद करने वाले हैं। इस पर माननीय न्यायधीश ने कहा कि फेफड़े तो दसवीं और बारहवीं के बच्चों के भी वैसे ही होते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नागरिक प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहें, यह सुनिश्चित करना सभी राज्यों का संवैधानिक दायित्व है। दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक पहुंच जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को ग्रेप-4 के प्रावधानों को सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर राज्यों को ग्रेप-4 के तहत आवश्यक निगरानी कार्यों के लिए तत्काल टीमों का गठन करने का भी निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर के राज्यों से ऐसा मैकेनिज्म तैयार करने को कहा जहां ग्रेप-4 के तहत लागू प्रतिबंधों के उल्लंघन की शिकायत की जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंध जारी रहने चाहिए,भले ही एक्यूआई का स्तर 450 से नीचे चला जाए। प्रदूषण नियंत्रण उपाय लागू करने को लेकर वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से उच्चतम न्यायालय ने कहा कि कुछ तत्परता की आवश्यकता है। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में बताने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी एनसीआर राज्य सरकारों और केंद्र को निर्देश दिया कि वे ग्रेप-4 में बताए गए सभी उपायों पर तुरंत विचार करें और सुनवाई की अगली तारीख से पहले उठाए गए सभी कदमों की जनकारी दें। दिल्ली और एनसीआर सरकारों को ग्रेप-4 के उल्लंघन की रिपोर्ट करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र भी स्थापित करने को कहा। सीएक्यूएम के आदेश के अनुसार,आवश्यक वस्तुएं ले जाने वाले या स्वच्छ ईंधन (एलएनजी/सीएनजी/बीएस-VI डीजल/इलेक्ट्रिक) से संचालित वाहनों को छोड़कर किसी भी ट्रक को दिल्ली में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। ईवी और सीएनजी और बीएस-VI डीजल वाहनों को छोड़कर, दिल्ली के बाहर पंजीकृत गैर-जरूरी हल्के वाणिज्यिक वाहनों पर भी प्रतिबंध रहेगा।
उल्लेखनीय है कि दिवाली के अवसर पर लाखों पटाखें जलने के अलावा एन सी आर प्रदेशों के खेतों में पराली जलाने के कारण पूरा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दम घूटने वाले वातावरण के शिकंजे में आ जाता है और सर्दियों के बढ़ने के कारण होने वाले कोहरे में यह धुआं मिल कर स्मॉग बन जाता हैं। इसी तरह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में जितने वाहन है वे देश के महानगरों मुम्बई , कोलकाता,चेन्नई के कुल वाहनों से भी कही अधिक है। इन वाहनों का धुंआ भी यहां के वातावरण में घुल कर पर्यावरण को दूषित करता है। ऐसे में केन्द्र सरकार ने कई कड़े कदम उठाए है तथा डीजल पेट्रोल वाहनों पर एक समय सीमा के बाद प्रतिबंध लगाने के साथ इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के प्रचलन बढ़ावा दिया जा रहा है और सरकार इसके लिए अनुदान भी दे रही है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने तो दिल्ली एवं एन सी आर में एयर टेक्सी चलाने की बात भी कही है ताकि सड़कों पर जाम से वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण किया जा सके।
देखना है केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए निकट भविष्य में किस प्रकार के कारगर उपाय किए जाएंगे?