मधुर वाणी और चेहरे पर मुस्कान

पिंकी सिंघल

मनुष्य जीवन भगवान द्वारा की गई सबसे बड़ी नेमत है जिसके लिए हम सभी को उस परमपिता परमेश्वर का हर पल शुक्रिया अदा करना चाहिए जिन्होंने हमारे कर्मों के हिसाब से हमें मानव जीवन बख्शा है।परंतु,केवल मानव जीवन पा लेना ही पर्याप्त नहीं है, मानव जीवन पा लेने के बाद अच्छे कर्म करना और अपने समाज ,राष्ट्र और पूरे विश्व के विकास के लिए अपना यथासंभव योगदान करना भी मानवीयता की सबसे पहली शर्त है। अच्छे कर्मों के साथ-साथ प्रत्येक मनुष्य का सबसे प्रथम दायित्व अपने प्रति होता है और अपने प्रति दायित्व का जो भी व्यक्ति जिम्मेदारी से निर्वहन कर लेता है वह व्यक्ति अपने और समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने में कभी असफल नहीं होता, यह सब प्रतिशत सत्य है।

जिम्मेदारी की भावना का हम सभी में होना अत्यंत आवश्यक है ।कहा भी तो जाता है ना कि चैरिटी बिगिंस फ्रॉम होम अर्थात कोई भी अच्छा कार्य या कोई भी नेक काम हमें अपने से शुरू करना चाहिए। केवल उपदेश दे देना भर ही पर्याप्त नहीं होता है, व्यवहारिक होना भी उतना ही आवश्यक है। अपने प्रति हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य यह माना जाता है कि हम स्वयं को प्रसन्न रखें, संतुष्ट रखें और अपने लिए दिन भर में थोड़ा सा समय अवश्य निकालें।

यह तो बात रही जिम्मेदारियों की, कर्तव्यों की ,दायित्वों की जिन्हें निभाने में हमें कुछ खर्च करने की आवश्यकता नहीं होती है, केवल जिम्मेदारी का अहसास भर होना ही काफी होता है। इसी के साथ साथ हमें खुद को खुश रखने की हर संभव कोशिश भी करनी चाहिए ।दुख सुख हम सबके जीवन में आते जाते रहते हैं। निसंदेह हम खुशियों में सुख का अनुभव करते हैं और दुख आने पर मायूस और उदास हो जाते हैं, किंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि सुख और दुख क्षणिक होते हैं ,सुख में अधिक खुश होना और दुख में अधिक मायूस होना सही नहीं। यह सत्य है कि खुशियों को जी भर के मनाना चाहिए, सब के साथ में मनाना चाहिए ।परंतु यह भी उतना ही सत्य है कि हमें मस्तिष्क में हमेशा यह बात करनी चाहिए कि कोई भी पल स्थाई नहीं होता ।

हमारे जीवन में खुशियों और दुखों का आना जाना निरंतर लगा रहता है। कोई भी स्थिति कभी स्थाई रूप से हमारे जीवन में नहीं ठहरती ।जिस प्रकार प्रकृति ने दिन-रात ,सर्दी गर्मी ,जन्म मृत्यु को बनाया है, उसी प्रकार हमारे जीवन में भी सुख और दुख, खुशी और गम के लम्हे भी दिए हैं। अब यह हम पर निर्भर करता है कि हम उन खुशियों में खुद को कितना सराबोर करें ,अपने जीवन के प्रत्येक क्षण का किस प्रकार आनंद लें अपने चेहरे पर किस प्रकार मुस्कान सजाए रखें और अपने हंसते हुए चेहरे से अपने आसपास के वातावरण को कैसे खुशनुमा बनाएं।

यह बात तो हम सभी जानते हैं कि हंसता हुआ चेहरा और होठों पर सजी मधुर मुस्कान बड़ी से बड़ी मुश्किलों को पल भर में हल कर देती है ।यह भी संभव है कि कभी कभी किसी की हल्की सी मुस्कान हमारे जीवन में अत्यधिक मायने रखती हो। जिन लोगों में हमें अपनापन नजर आता है ,जिन लोगों को हम खुद से अधिक चाहते हैं उनके चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए हम हद से गुजर जाने के लिए भी तैयार रहते हैं।

उदाहरण के लिए एक मां के लिए उसके बच्चे की खुशी से बढ़कर कुछ नहीं होता जिसके लिए वह अपना सर्वस्व दांव पर लगा देने से भी नहीं चूकती। माता पिता के लिए उनकी संतान ही सबसे महत्वपूर्ण होती है जिसके लिए वे अपनी खुशियों तक को नजरअंदाज कर देते हैं और अपने बच्चे की खुशियों को हर पल बढ़ाने का हर संभव प्रयास करते हैं ।इसी प्रकार अन्य अनेक रिश्ते हैं जिनमें हम अपने से अधिक अपनों की खुशियों की परवाह करते हैं ।

हंसता हुआ चेहरा हमें अपनी ओर आकृष्ट करता है इस बात से हम इंकार नहीं कर सकते ।दिलों के भीतर किसके क्या है ,कितना गम है उसको छुपा कर भी अपने चेहरे पर मधुर मुस्कान रखने वालों की कोई मिसाल नहीं दी जा सकती क्योंकि इस प्रकार के व्यक्ति अपने दुखों को सुखों और अपनों की खुशियों पर हावी नहीं होने देना चाहते इसलिए वे अपने चेहरे सदैव एक मधुर मुस्कान सजाए रखते हैं।

व्यक्तिगत तौर पर मुझे तो हमेशा यही लगता है कि मुस्कुराता हुआ चेहरा ईश्वर प्रदत्त वरदान होता है जो दूसरों के दुखों को पल में हर लेता है और हमें एक अजीब सा सुखद सुकून मिलता है। मुस्कान हम सभी को निशुल्क मिली है इसके लिए ईश्वर ने हमसे कुछ शुल्क नहीं लिया, प्रकृति भी हमें हर पल मुस्कुराने की प्रेरणा देती है। इतना सब होने के बावजूद भी यदि हम मुस्कुराने में ,हंसने में कंजूसी करते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप से हम अपने खूबसूरत जीवन को निराशा में तब्दील करने का ही प्रयास करते हैं।

हमें मुस्कुराहटों को बांटना चाहिए ना कि उन्हें अपने तक सीमित रखना चाहिए। याद रखिए, खुशियां बांटने से बढ़ती हैं और गम बांटने से कम हो जाते हैं इसलिए सदैव मुस्कुराएं और अपने आसपास के लोगों को भी मुस्कुराने के अवसर प्रदान करें । मुस्कुराने से हमारे जीवन का सफ़र अत्यधिक सरल हो जाता है, इसी भाव पर आधारित मेरी कुछ स्वरचित पंक्तियां:

किसी को कुछ दे पाओ
या ना दे पाओ यारों
चेहरे पर मुस्कुराहट का
सब के इंतजाम कर देना

ये ज़िन्दगी मिलती नहीं है
बार बार ए मेरे दोस्तों
कोई मांगे तुमसे जो कुछ हंस के
बेहिचक ये जां उनके नाम कर देना

उल्फत में सितारों की चांद
खुद को रातों में जगाता है
चांदनी जब हंस के मिलती है
उस पर अपना वो सब कुछ लुटाता है

लबों को कितना आकर्षक सिर्फ़
इक मुस्कुराहट बनाती है
किसी को देकर तो देखो हंसी यारों
वो होकर दुगुना वापिस लौट आती है

बंगले गाड़ी कार तो है
आसां बहुत ही मिलना
कभी कर पाओ जो कुछ सच में
ये मधुर मुस्कान जग के नाम कर जाना

मुस्कान तो कुदरत का बस
एक नायाब तोहफा होता है
जिसको मिलता है ना जग में ये
वो बेहद किस्मत वाला होता है

अपनों के अधरों की मुस्कान पर
एक नहीं सौ दिल कुर्बान
हंसते रहो जो हर राह पर चलकर
ज़िन्दगी का सफ़र फ़िर हो जाए आसान

जी हां मित्रों,दुनिया में ऐसा कोई भी शख्स नहीं जिसके जीवन में केवल और केवल खुशियां ही हों। सुख और दुख तो क्षणिक होते हैं ।सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख का आना उतना ही सच है जितना दिन के बाद रात और रात के बाद दिन का आना इसलिए हमें सुख और दुख दोनों ही परिस्थितियों में समभाव रखना चाहिए ।न ही खुशियों में उन्मादी हो जाना चाहिए और न ही दुखों में अवसाद की स्थिति में चले जाना चाहिए। संतुलन बनाते हुए जिंदगी को जीना ही जीवन है। हंसता हुआ चेहरा गुलाब के फूल की तरह खिला-खिला नज़र आता है। मुस्कान हमारे चेहरे की खूबसूरती को कई गुना बढ़ा देती है इसलिए सदैव मुस्कुराए और दूसरों को भी मुस्कुराने के लिए प्रेरित करें ,प्रोत्साहित करें ।छोटी-छोटी मुस्कुराहटें निश्चित ही किसी दिन हमारे भाग्य के द्वार खोलेंगी, इस भाव के साथ हमें खुशियों को आमंत्रण देना चाहिए और जीवन में उमंग का संचार करना चाहिए। बड़ी से बड़ी मुश्किलों का सामना चेहरे की खुशी के साथ और मजबूत हौंसलों के साथ करना हमें आना चाहिए।

जिस प्रकार मुस्कुराता हुआ चेहरा हमारे जीवन से निराशा को दूर करता है उसी प्रकार मीठी वाणी बोलने से भी हमारे अधिकतर दुख और परेशानियां खत्म हो जाते हैं ।मीठी वाणी बोलना हमारे अपने हाथ में है। जिस प्रकार ईश्वर ने हमें मुस्कुराहटें निशुल्क प्रदान की हैं, उसी प्रकार मीठी वाणी बोलने का हुनर भी दिया है और हमें अपने उस हुनर को प्रतिदिन प्रतिफल पॉलिश करना आना चाहिए। दूसरों से हमेशा प्यार से ,स्नेह से मीठा बोलना चाहिए ।मीठी वाणी बोलने का जितना प्रभाव दूसरों पर पड़ता है उससे दोगुना हमारे व्यक्तित्व में निखार लाने में सहायक होता है ।अपने रोजमर्रा के जीवन में हम देखते हैं कि जो व्यक्ति सभी से मधुर व्यवहार रखता है, मीठी वाणी बोलता है वह दूसरों पर अमिट छाप छोड़ जाता है, वहीं दूसरी ओर कड़वा बोलने वाला व्यक्ति उपेक्षा का शिकार होता है।

दूसरे व्यक्ति उस से केवल औपचारिक रिश्ते रखते हैं और यथासंभव दूरी बनाने का भी प्रयास करते हैं। कटु शब्द हमारे हृदय को चीर जाते हैं और मीठी वाणी हमारे हृदय को गदगद कर देती है मीठी वाणी बोलने वालों का सानिध्य हम सभी पाना चाहते हैं इसलिए हमें हमेशा ऐसे शब्द बोलने चाहिएं जिन शब्दों को बोलकर हमें आप संतुष्टि का अनुभव हो एवं जिन्हें सुनकर दूसरों के जीवन में खुशियां आएं, उनके चेहरे पर मुस्कान आए ,न कि ऐसे शब्द जो दूसरों को तकलीफ दें, दुख दें, उनकी आंखों में आंसू लाएं।

हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि जिस प्रकार की वाणी हम दूसरों से सुनना चाहते हैं ,दूसरे भी हमसे उसी वाणी उसी व्यवहार की अपेक्षा रखते हैं ,इसलिए सदैव कम बोलें, धीमा बोलें,परंतु मधुर बोलें। इस बात से तो हम सभी सरोकार रखते हैं कि मीठी वाणी बोलने वालों के सानिध्य से ,उनके साथ कार्य करने से हमें सुखद अनुभूति होती है ,अच्छा महसूस होता है।मीठी वाणी बोलने वाले परायों को भी अपना बना लेते हैं, इसी भाव पर मेरी स्वरचित पंक्तियां काफी कुछ कह जाती हैं:

मन से निकले उदगार है वाणी
मस्तिष्क में उठते विचार है वाणी
वाणी से है होती पहचान हमारी
वचनों का सारा ही सार है वाणी

मीठी वाणी सबको अपना बनवाती
कड़वी वाणी न किसी को भाती
बिन बोले कोई क्या जाने किसको
वाणी व्यक्तित्व से परिचय करवाती

मधुर बोल दुख हरते सबके
घोलें मधुररस जीवन में सबके
कटु शब्द भी व्यर्थ न जाते
दिल में शूल से चुभते सबके

पहले तोलो तुम बाद में बोलो
जब भी बोलो बस मीठा बोलो
मधुर मुस्कान तुम रख चेहरे पर
बंद कपाट के द्वार भी खोलो

मुस्कान और मीठी वाणी हमारे व्यक्तित्व के ऐसे दो महत्वपूर्ण पहलू होते हैं जो हमारे व्यक्तित्व के विकास में अत्यधिक सहायक होते हैं ।अपने व्यक्तित्व को सजाने ,संवारने और निखारने के लिए हमें अपने चेहरे पर वास्तविक अर्थों में मुस्कान रखनी चाहिए ।दूसरों को दिखाने के लिए नहीं ,अपितु खुद को अच्छा महसूस करवाने के लिए भी हमें सदैव मुस्कुराना चाहिए और अपने शब्दों से दूसरों के दिलों पर राज करना चाहिए ।इसके लिए हमें ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं ।हमें सिर्फ और सिर्फ अपना व्यवहार अच्छा बनाना होगा और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाना होगा।सकारात्मक सोच रखने के बाद हमें कुछ भी एक्स्ट्रा प्रयास करने की जरूरत नहीं पड़ेगी हमारी सोच स्वत: ही हमारे व्यक्तित्व को उस मुकाम तक ले जाएगी जहां पहुंचकर हमें गजब का आत्म संतोष मिलेगा और हम अपने परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए काफी कुछ बेहतर सोच पाएंगे तथा अपनी उस सुंदर सोच को क्रियान्वित कर पाएंगे।