सत्येन्द्र पाल सिंह नई दिल्ली
‘हमने बीच के ओवर में वापसी की’
हमारे लिए सिडनी में तीसरा और आखिरी वन डे अंतर्राष्ट्रीय मैच शानदार रहा।हमने बीच के ओवर में वापसी की। जीत के लक्ष्य का पीछा करना सुखद रहा। हमारे स्पिनरों ने बीच के ओवरों और ऑस्ट्रेलिया पर अंकुश लगाया और तेज गेंदबाजों ने अहम विकेट चटकाए। हर्षित राणा ने बीच के ओवरो में तेज गेंदबाजी और हमें इसी क्वॉलिटी की जरूरत है। रोहित भाई और विराट भाई बरसों से ऐसी शानदार बल्लेबाजी करते आ रहे हें और उन्हें शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बढ़िया बल्लेबाजी करते देख कर अच्छा लगा। भारत के वन डे कप्तान के रूप में मेरी सिडनी की यह जीत मेरी पहली जीत है और इसीलिए खास है। -शुभमन गिल , भारत के कप्तान
खुशी है कि मैं और रोहित मैच जिताकर ही मैदान से बाहर आए’
मुश्किल से उबरना अच्छा रहा। क्रिकेट आपको इस स्तर पर कुछ सिखाता है। जब हालात आपके मुताबिक नहीं होते तो तब चुनौती और मुश्किल होती है। मुश्किल हालात मैं सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता हूं। रोहित के साथ बल्लेबाजी करना सहज था। मुझे इस बात की खुशी है कि हम दोनों बढ़िया भागीदारी कर मैच जिताकर ही मैदान से बाहर आए।शुरू से ही हमने हमने मैच को ठीक से पढ़ लिया था। आप इसी से कामयाबी पाते हैं। हमने तब भी सोचा था कि हम ऑस्ट्रेलिया से मैच जीत सकते हैं। यह सब 2013 में भारत में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वन डे अंतर्राष्ट्रीय मैचों की सीरीज े शुरू हुआ। ऑस्ट्रेलिया भी यह जानती है कि यदि हम दोनों यानि मैं और रोहित 20 ओवर तक साथ साथ बल्लेबाजी करते हैं तो मैच उनकी पकड़ से निकल जाएगा। हमें ऑस्ट्रेलिया आ कर खेलना पसंद रहा और हमने उसके घर में उसक खिलाफ अपनी कुछ बेहतरीन क्रिकेट खेली है।
-विराट कोहली, भारत के शीर्ष बल्लेबाज
‘ऑस्ट्रेलिया में खेलना आसान नहीं होता’
‘मुझे ऑस्ट्रेलिया आकर खेलना पसंद है। 2008 में ऑस्ट्रेलिया आकर उसके खिलाफ खेलने की कई खुशनुमा यादें हैं। मैं नहीं जानता कि हम फिर कभी ऑस्ट्रेलिया में उसके खिलाफ खेलने आएगं। हम जो भी उपलब्धियां हासिल की हों, हम अपनी क्रिकेट का लुत्फ उठाते हैं।आप यह मान कर चलते हैं ऑस्ट्रेलिया में स्थितियां मुश्किल होंगी। ऑस्ट्रेलिया की गेंदबाजी बेहतरीन है। आपको इसे समझ कर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होता है। बहुत लंबे समय से नहीं खेला था, पर तैयारी अच्छी रही। मैं ऑस्ट्रेलिया में विश्वास के साथ अाया था।हम भले ही ऑस्ट्रेलिया से वन डे सीरीज नहीं जीत पाए लेकिन बावजूद इसके हमारे लिए बहुत कुछ सकारात्मक रहा। हमारी टीम युवा है और उसने बहुत कुछ सीखा। जब मैं नौजवान बल्लेबाज के रूप में भारतीय टीम में आया था मुझे याद है कि तब सीनियर साथियों ने मेरी बहुत मदद की और अब हम सीनियर की यही करने की जिम्मेदारी है। विदेश में कहीं भी और ऑस्ट्रेलिया में खेलना आसान नहीं होता है। हमें अपना अनुभव बांटने के साथ योजना बनाने की भी जरूरत होती है। ऑस्ट्रेलिया में बेसिक्स पर ही भरोसा किया है। मैं अपने नौजवान साथियों से भी यही कहना चाहूंगा कि ऑस्ट्रेलिया में बेसिक्स पर भरोसा करे। मुझे ऑस्ट्रेलिया में खेलना पसंद है।
-रोहित शर्मा, मैन ऑफ द’ सीरीज





