रविवार दिल्ली नेटवर्क
चण्डीगढ़ : पंजाब के सहकारिता और वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया है कि राज्य की सहकारी चीनी मिलों की तरफ से सीजन 2021-22 के दौरान 1 करोड़ 72 लाख क्विंटल गन्ने की पिड़ायी की गई है जो कि पिछले पिड़ायी सीजन की अपेक्षा तकरीबन 20 लाख क्विंटल अधिक है। उन्होंने बताया कि सहकारी चीनी मिलों ने 2021-22 के दौरान पिछले साल की अपेक्षा 0.26 प्रतिशत अधिक चीनी की रिकवरी प्राप्त की है जिससे करीब 44764 क्विंटल अतिरिक्त चीनी का उत्पादन किया गया है। इससे लगभग 16 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होने की उम्मीद है।
सहकारिता मंत्री ने यह भी बताया कि सहकारी चीनी मिलों ने पिछले साल की औसत दर 800 रुपए प्रति क्विंटल के मुकाबले 887 रुपए प्रति क्विंटल की औसत दर पर 2,85,000 क्विंटल शीरा बेचा जिससे करीब 2.50 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय होगी।
हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार किसानों के कल्याण के लिए वचनवद्ध है और सरकार की हिदायतों अनुसार पंजाब सरकार द्वारा गन्ने की पैदावार में विस्तार करके गन्ना काश्तकारों की आय बढ़ाने के लिए योजना तैयार करने हेतु एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है। इस टास्क फोर्स में पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी, लुधियाना, इंडियन काउंसल आफ एग्रीकल्चर रिर्सच, शूगरकेन ब्रीडिंग इंस्टीट्यूट, कोइम्बटूर और देश स्तर के गन्ना माहिरों के इलावा शूगरफैड्ड, पंजाब के नुमायंदो को शामिल किया गया है। इस टास्क फोर्स को तीन महीने में गन्ने की पैदावार बढ़ाने के लिए योजना तैयार करने के लिए कहा जायेगा।
चीमा ने बताया कि अगले दो वर्षों में गन्ने की पैदावार में कम से कम 100 क्विंटल प्रति एकड़ तक विस्तार करने का लक्ष्य रखा जायेगा जिससे प्रति एकड़ आय में लगभग 36,000 रुपए तक का विस्तार होगा। इस योजना के अंतर्गत गन्ना काश्तकारों को उच्च गुणवत्ता की किस्मों के शुद्ध बीज उपलब्ध कराने के इलावा गन्ने की खेती में आधुनिक तकनीकों सम्बन्धी जानकारी के साथ-साथ मशीनीकरन संबंधी भी प्रशिक्षण देना शामिल होगा।
इसके अलावा चीमा द्वारा यह भी हिदायत की गई कि सहकारी चीनी मिलों द्वारा गन्ने के आने वाले अगले बीजाई सीजन के लिए पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, लुधियाना और इंडियन काउंसल ऑफ एग्रीकल्चर रिर्सच के करनाल केंद्र के सहयोग से गन्ने की अधिक पैदावार वाली किस्मों के तकरीबन 30 लाख पौधों की पनीरी तैयार करके गन्ना काश्तकारों को बीज स्वरूप दिए जाएँ।