तौकीर रजा है आदतन ‘अपराधी’ प्रवृत्ति का मौलाना

Tauqeer Raza is a habitual 'criminal' cleric

संजय सक्सेना

उत्तर प्रदेश के जिला बरेली में शुक्रवार 26 सितंबर को हुए बवाल ने पूरे जिले का माहौल गर्मा दिया है। पुलिस की कड़ी कार्रवाई और प्रशासन की सतर्कता के बावजूद अचानक हुए तनाव ने हालात को बिगाड़ दिया। आज शनिवार को पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए मौलाना तौकीर रजा खां समेत आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस का कहना है कि बवाल की साजिश लंबे समय से रची जा रही थी और विभिन्न थानों में कुल छह मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इनमें से एक मुकदमे में तौकीर रजा मुख्य आरोपी बनाए गए हैं। यह घटना उस समय सामने आई जब शुक्रवार को शहर में धार्मिक भावना भड़काने की कोशिश की गई और माहौल को हिंसक बनाने का प्रयास हुआ। स्थिति को नियंत्रण में लेना प्रशासनिक तंत्र के लिए बड़ी चुनौती बन गया, जिसके बाद पूरे जिले में सतर्कता बढ़ा दी गई। जिला प्रशासन ने हालात पर काबू पाने के लिए 48 घंटे के लिए इंटरनेट बंदी का आदेश जारी किया है, ताकि सोशल मीडिया और ऑनलाइन माध्यमों के जरिए अफवाहें फैलाकर हालात को और भड़काया न जा सके।

गौरतलब हो दंगा भड़काने के आरोपी मौलाना तौकीर रजा का नाम कोई नया नहीं है। वे अक्सर अपने बयानों और गतिविधियों के कारण सुर्खियों में बने रहते हैं। उनकी छवि एक ऐसे व्यक्ति की बन चुकी है, जो धार्मिक मामलों में आग लगाने वाले तत्वों की तरह बार-बार सामने आते हैं। उनकी बदजुबानी और विवादित भाषणों का इतिहास पुराना है। कई बार उनके भड़काऊ बयानों ने पहले भी तनाव का माहौल बनाया है। यही वजह है कि पुलिस की निगाहें हमेशा उन पर रहती हैं। शुक्रवार के बवाल में भी पुलिस को पुख्ता सबूत मिले हैं कि मौलाना तौकीर न केवल इस साजिश में शामिल थे, बल्कि भीड़ को भड़काने में भी उनकी अहम भूमिका रही। यही कारण है कि उन्हें इस बार भी बवाल का जिम्मेदार ठहराकर आरोपी बनाया गया।

पुलिस सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामले की तैयारी काफी पहले से की जा रही थी। योजनाबद्ध तरीके से युवाओं को उकसाया गया, अफवाहें फैलाई गईं और शहर के माहौल को खराब करने की कोशिश की गई। जैसे ही शुक्रवार को मौके पर भीड़ इकट्ठी हुई, स्थिति तनावपूर्ण बन गई और देखते ही देखते बवाल भड़क उठा। पुलिस बल ने हालात को काबू में करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। देर रात तक तनाव बना रहा लेकिन पुलिस और प्रशासन ने मोर्चा संभालते हुए बड़ी घटना को रोक लिया। घटनास्थल पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और लगातार गश्त की जा रही है। मौलाना तौकीर रजा पर पहले भी इस तरह की घटनाओं में शामिल होने के आरोप लगते रहे हैं। उनका नाम हर उस मौके पर सामने आता है जब शहर में सांप्रदायिक तनाव होता है। कई बार उन्होंने खुले मंच से ऐसे बयान दिए हैं जिन्हें समाज में नफरत फैलाने वाला माना गया। यही नहीं, उनकी बदजुबानी इतनी मशहूर हो चुकी है कि कई बार उनका अपना राजनीतिक और सामाजिक असर भी कमजोर पड़ा। वे खुद को अल्पसंख्यक समुदाय का नेता कहकर प्रस्तुत करते हैं लेकिन उनके कदम बार-बार लोगों को विचार करने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या वाकई वे समाज की भलाई के लिए कुछ कर रहे हैं या फिर सिर्फ अपने राजनीतिक और व्यक्तिगत फायदे के लिए माहौल बिगाड़ते हैं।

शुक्रवार को हुए बवाल ने प्रशासन को और सख्ती अपनाने पर मजबूर किया। जिलेभर में पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है, इंटरनेट सेवा बंद होने के बाद अफवाहें रुक गईं और माहौल धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। लेकिन घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि कुछ लोग आज भी धार्मिक भावनाओं का सहारा लेकर अपनी रोटी सेंकने की कोशिश करते हैं। पुलिस का स्पष्ट कहना है कि इस बार किसी को बख्शा नहीं जाएगा। आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होगी और मुकदमों को तेजी से अदालत में आगे बढ़ाया जाएगा। तौकीर रजा के खिलाफ हुई ताजा कार्रवाई उनके राजनीतिक भविष्य पर भी सवाल खड़े कर सकती है। उनके विरोधी उन्हें पहले से ही सांप्रदायिक एजेंडा चलाने वाला बताते आए हैं। अब जबकि पुलिस ने आधिकारिक तौर पर उन्हें आरोपी बना लिया है और गिरफ्तार भी किया है, तो उनके समर्थकों का मनोबल निश्चित रूप से गिर सकता है। दूसरी ओर, उनके विरोधियों को एक और हथियार मिल गया है जिससे वे उनकी साख को चुनौती दे सकते हैं। समाज के भीतर ऐसे नेताओं की भूमिका और प्रभाव को लेकर जो बहस छिड़ी है, वह लंबे समय तक चल सकती है।

इस मामले ने पूरे उत्तर प्रदेश की राजनीति को भी झकझोर दिया है। विपक्ष जहां प्रशासन की विफलता बताकर इसे बड़ा मुद्दा बना सकता है, वहीं सत्तापक्ष इस पर कड़ा रुख अपनाकर यह संदेश देने की कोशिश करेगा कि प्रदेश सरकार कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं करेगी। मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी आगामी चुनावी समीकरणों में भी असर डाल सकती है। ऐसे हालात में प्रशासन के लिए कानून व्यवस्था बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है। फिलहाल स्थिति पर नजर रखी जा रही है। जिलाधिकारी और एसएसपी लगातार हालात पर नियंत्रण रखने के लिए बैठकें कर रहे हैं। नेताओं के बयानों पर भी करीबी निगरानी रखी जा रही है। पुलिस ने साफ कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो, अगर कानून हाथ में लेगा और समाज में नफरत फैलाने का प्रयास करेगा, तो कार्रवाई अवश्य होगी। तौकीर रजा की गिरफ्तारी इस बात का उदाहरण है कि इस बार पुलिस और प्रशासन किसी भी दबाव में आने वाले नहीं हैं।

कुल मिलाकर बरेली का यह बवाल एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर कब तक नेताओं की राजनीति और उनकी सांप्रदायिक चालबाजियां आम जनता की जिंदगी को परेशानी में डालती रहेंगी। यह मामला केवल एक शहर या जिले का नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है कि नफरत की आग कभी भी सबको झुलसा सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आम लोग खुद भी सतर्क रहें, अफवाहों पर ध्यान न दें और समाज में भाईचारे और शांति की परंपरा को बनाए रखने में अपना योगदान दें। पुलिस और प्रशासन का काम कानून व्यवस्था संभालना है, लेकिन समाज के लोग अगर खुद एकजुट होकर नफरत फैलाने की कोशिशों को नाकाम करें, तो कोई भी मौलाना तौकीर जैसा व्यक्ति कभी साजिश रचने की हिम्मत नहीं कर पाएगा। पूरे प्रकरण को देखते हुए एक कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि तौकीर रजा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक तरह से खुली चुनौती दी है कि वह (योगी) चाहें प्रदेश में शांति बनाए रखने के लिए जितनी भी सख्ती करें, उसे वह अपने नापाक इरादों से चकनाचूर कर सकते हैं। अब लगता है तौकीर को इसका बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।