रविवार दिल्ली नेटवर्क
नई दिल्ली : दस बेटियो के एक अनपढ़ पिता ने गाढ़ी मेहनत की कमाई और भविष्य संवारने के लिए घर के आंगन में गूंजी दस बेटियो कि किलकारी को जिंदगी का सबक जीने का अवसर जीने के मायने सिखाए। अपनी दूरगामी सोच का सफल आकार देने के लिए स्वर्गीय रामचंद्र ने बेटियो को तब पढ़ाया लिखा कर अफसर बनाया जब बिटिया को बोझ माना जाता था। समाज में उच्च मिशाल हासिल करने वाले रामचंद्र ने सभी बेटियो की शादी विवाह की सभी सांसारिक रशमे पूरी कर जब संसार से विदा लिया तो दिल्ली सरकार में अध्यापक बेटी ललिता अध्यापक ने नम आंखों और मजबूत हौसले के दम पर अपने पिता की अर्थी को कंधा और मुखाग्नि दे बेटी बेटा एक समान की कहावत को चरितार्थ किया। पिता की अर्थी कांधे पर चली बेटी के इस महानता की चर्चा और सरहाना पूरे दिल्ली में हो रही है।
गौरतलब है कि लालिता अध्यापक दिल्ली में लेकचरार है वो दिल्ली की मेंटर टीचर रही और अध्यापक शक्ति मंच की उपाध्यक्ष भी है। शिक्षा में समानता का सबक सिखाने वाली ललिता ने आज पिता के आखिरी सफर की हमसफर ही नही बनी बल्कि आखिरी रश्म की सारथी बन एक सच्ची बेटी होने के मान को चरितार्थ किया।
ललिता अध्यापक ने कहा कि मेरे पिता ने हम दस बेटिया को गर्व से पढ़ाया लिखाया उच्च पदों पर आसीन कराया। उन्होंने सदा हमे बेटो की तरह पाला पोसा समाज में सम्मान से जीने,सम्मान से रहने, देश का सदा मान बढ़ाने की शिक्षा दी।आज वो हमारे बीच नही है लेकिन उनकी दी सीख सदा हमारे जीवन की प्रेरणा बनी रहेगी।
इस अवसर पर सरकारी विद्यालय शिक्षक संघ के महाचिव अजय वीर यादव, वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजवीर छिकारा,कनविनीयर जीपी रावल, वरिष्ठ अध्यापक अजय आर्य,धनेश राणा, भागवत, हरेंद्र गौतम समेत कई अध्यापकों और संगठनों ने दुख की इस घड़ी में ललिता अध्यापक के प्रति गहरी सांत्वना प्रकट की।