पेरिस ओलंपिक में कांसा जीत टीम ने दिखाया भारतीय हॉकी पटरी पर लौट आई है: हरमनप्रीत

Team showed bronze win in Paris Olympics Indian hockey is back on track: Harmanpreet

  • देश के हॉकी प्रेमियों के अपने स्वागत और बधाई देने के लिए मौजूद होने पर बेहद खुश
  • हमारी टीम ओलंपिक का कांसा अपने गोलरक्षक पीआर श्रीजेश को समर्पित करती है
  • ओलंपिक में स्वर्ण जीतना चाहते थे और ऐसा न कर पाने पर माफी मांगता हूं
  • बड़ी बात यह है कि हमने लगातार दूसरी बार ओलंपिक हॉकी में कांसा जीता।
  • मैं वादा करता हूं हमारी टीम अगली बार ओलंपिक में और बेहतर प्रदर्शन करेगी

सत्येन्द्र पाल सिंह

नई दिल्ली : हरमनप्रीत सिंह की अगुआई और चीफ कोच क्रेग फुल्टन के मार्गदर्शन 2024 पेरिस ओलंपिक में स्पेन को हरा लगातार दूसरी बार कांस्य पदक जीत कर शनिवार को घर लौटने पर भारतीय पुरुष हॉकी टीम का यहां जोरदार स्वागत किया गया। 1968 और 1972 में म्युनिख ओलंपिक और 52 बरस यह दूसरा मौका है जब भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने लगातार दूसरी बार ओलंपिक में कांसा जीता।रिकॉर्ड आठ स्वर्ण, एक कांस्य और चार कांस्य सहित भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने अब तक ओलंपिक में कुल 13 पदक जीते हैं। पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कप्तान हरमनप्रीत सिंह और उपकप्तान हादिर्क सिंह सहित 11 सदस्य ही शनिवार सुबह यहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरे। अपना लगातार चौथा व ओलंपिक खेल टोक्यो और अब पेरिस ओलंपिक में भारत को लगातार दूसरी बार कांसा जिताने के बाद अंतर्राष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहने वाले पीआर श्रीजेश, राज कुमार पाल, अमित रोहिदास, अभिषेक, सुखजीत सिंह और संजय रविवार को 2024 के पेरिस ओलंपिक के समापन समारोह के बाद स्वदेश लौटेंगे। श्रीजेश रविवार को 2024 के पेरिस ओलंपिक के समापन में भारत के संयुक्त ध्वजवाहक होंगे।

कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने भारतीय टीम के शनिवार सुबह करीब आठ बजे यहां इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे के टर्मिनल 3 पर 11 सदस्यों के साथ उतरने पर कहा, ’ मैं यहां अपनी भारतीय हॉकी टीम के ओलंपिक में कांसा जीतने के बाद देश के हॉकी प्रेमियों के अपने स्वागत और बधाई देने के लिए मौजूद होने पर बेहद खुश हूं। हमारी भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक की अपनी तैयारियों में कोई कसर नही छोड़ी और इसका फल मिलते और भारत को इस पर जश्न मनाते देखने को बयां करना बेहद मुश्किल है। भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने ओलंपिक में सबसे ज्यादा दस गोल दागे। भारत की इस जीत में अपना लगातार चौथा ओलंपिक खेल हॉकी को अलविदा कहने वाले पीआर की ’दीवार‘ के रूप में मौजूदगी का भी अहम योगदान रहा। भारतीय टीम के स्वागत पर हरमनप्रीत के स्वागत के लिए हॉकी प्रेमियों के साथ उनके परिवार के सदस्य भी मौजूद रहे। भारत के कप्तान ’सरपंच‘ साहब के नाम से ख्यात हरमनप्रीत सिंह ने कहा, ’2024 के पेरिस ओलंपिक में खेलने का अनुभव अविस्मरणीय रहा और हम इस इसका लुत्फ आगे भी उठाएंगे।

पेरिस ओलंपिक में कांसा जीत टीम ने दिखाया भारतीय हॉकी पटरी पर लौट आई है। आज दुनिया हमारी भारतीय हॉकी टीम का लौहा मानती है और फिर अगर दिन हमारा तो फिर हमें रोकना मुश्किल है। हमें बस जरूरत अपनी टीम पर भरोसा करने और 1प्रशंसकों के समर्थन की है। मेरी अपने फैंस से बस यही गुजारिश बस यही है हॉकी के लिए बस अपना प्यार बस यूं ही बनाए रखें और हम बस आपके लिए जीतेंगे। हमारी पूरी टीम ओलंपिक का कांसा अपने महान गोलरक्षक पीआर श्रीजेश को समर्पित करती है। हम लोग को बेशक ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना चाहते थे और ऐसा न कर पाने पर मैं भारतीय हॉकी प्रेमियों से माफी मांगता हूं। फिर भी इस बात की खुशी है कि हम पेरिस ओलंपिक से हम खाली हाथ नहीं बल्कि लगातार दूसरी बार कांसा जीत कर स्वदेश लौटे। अच्छी बात यह है कि बृहस्पतिवार अपने आखिरी और कांस्य पदक मैच हमारी टीम इस संकल्प के साथ उतरी की हम खाली हाथ नहीं बल्कि श्रीजेश के लिए ओलंपिक में कांसा जीत कर मैदान से बाहर आएंगे और हमारी टीम ने इसमें कामयाब रही। श्रीजेश की हॉकी में भारत के लिए लंबी हॉकी यात्रा हमारी टीम के लिए बड़ी प्रेरणा है। बड़ी बात यह है कि हमने लगातार दूसरी बार ओलंपिक हॉकी में कांसा जीता। हमारा पीसी डिफेंस बहुत बढ़िया है। आखिरी आठ में स्पेन के हमलों को अपने मजबूत डिफेंस के कारण ही रोक पाए। लगातार दूसरी बार कांसा श्रीजेश और हमारी टीम के लिए बेहद भावुक क्षण है। ओलंपिक हॉकी में हमारा इतिहास बहुत शानदार रहा और मैं वादा करता हूं हमारी टीम अगली बार ओलंपिक में और बेहतर प्रदर्शन करेगी। टोक्यो ओलंपिक कांसे ने हमें पेरिस में भी कांसा जीतने का भरोसा दिया।‘

ओलंपिक में टीम के बीच गजब जुगलबंदी एक दूसरे पर गजब का भरोसा था : हार्दिक सिंह

भारत के 25 वर्षीय उपकप्तान मिडफील्डर हार्दिक सिंह ने कहा, ’ओलंपिक में भारतीय टीम के बीच जुगलबंदी गजब की थी। हममें एक दूसरे पर ऐसा गजब का भरोसा था कि यदि किसी कदम पर आप चूके थे तो पीछे से दूसरा आकर संभाल लेगा और इसी ने हमें मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देने को प्रेरित किया। मिडफील्डरों के साथ ढाल की तरह फॉरवर्ड थे, डिफेंडरों ने मिडफील्डरों का साथ दिया और फिर यदि हम सभी नाकाम हो गए थे फिर हमारी दीवार के रूप में हमारे गोलरक्षक पीआर श्रीजेश मैदान पर मौजूद रहे। श्रीजेश प्रतिद्वंद्वी टीमों के खिलाफ एक नई अनेक मौकों पर हमले बचा कर बराबर हमारे संकटमोचक बने।