
राजस्थानी परिधानों में महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ की तीज माता की आराधना
नीति गोपेन्द्र भट्ट
नई दिल्ली : नई दिल्ली के बीकानेर हाउस में भी हरियाली तीज पर रविवार को तीज माता की सवारी बड़ी धूमधाम से निकाली गई। तीज माता को पालकी में सुसज्जित कर चार कहारों द्वारा पांरपरिक रूप से परिसर में घुमाकर पूजा-अर्चना की।
तीज सवारी में लगभग 51 महिलाओं ने मंगल कलश यात्रा के साथ तीज की सवारी की शोभा बढाई। सवारी की अगुवाई राजस्थानी लोककलाकारों ने मशक वादन, कच्छी घोड़ी आदि अपनी कला प्रदर्शन से की। इसके उपरांत सैकड़ों महिला-पुरूषों ने अलग-अलग परिधानों में सवारी में सम्मिलित होकर मंगल गायन कर तीज माता की आराधना की। उन्होंने बताया कि रविवार को अवकाश होने के कारण दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों से आए आगंतुकों ने तीजोत्सव में लगे राजस्थानी व्यंजनों के साथ राजस्थानी हस्त-कलाकारों द्वारा निर्मित उत्पादों की खूब खरीदारी की।
तीज माता की सवारी निकालने के बाद राजस्थानी कला और संस्कृति से सराबोर सांस्कृतिक संध्या के आयोजन ने आगंतुकों का भरपूर मनोरंजन किया। रंगारंग सांस्कृतिक संध्या का आयोजन पर्यटक स्वागत केंद्र द्वारा किया गया। सांस्कृतिक संध्या में राजस्थान के विभिन्न अंचलों जैसे बीकानेर, टोंक, चुरू, जोधपुर, अजमेर, बारां, डीग और अलवर से आए लोक कलाकारों ने मशक वादन, कच्छी घोड़ी, भोपा वादन एवं गायन, खड़ताल वादन और गायन, चरी नृत्य, चकरी नृत्य, चंग ढ़प नृत्य, घूमर नृत्य, कालबेलिया नृत्य तथा प्रसिद्ध मयूर नृत्य और फूलों की होली की प्रस्तृति दी।
इस अवसर पर अतिरिक्त आवासीय आयुक्त अंजु ओमप्रकाश और संयुक्त आवासीय आयुक्त श्रीमती रींकू मीना ने बताया कि बीकानेर हाउस में हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 30 जुलाई तक साप्ताहिक तीजोत्सव का आयोजन किया गया है। जिसमें राजस्थानी व्यंजन, हस्तशिल्प उत्पादों के अतिरिक्त विभिन्न पारंपरिक खेलों का आयोजन भी किया जा रहा है।
दिल्ली हाट में भी राजस्थानी सांस्कृतिक संध्या
पर्यटन विभाग के सहायक निदेशक छत्रपाल यादव ने बताया कि दिल्ली में राजस्थान के प्रसिद्ध तीज महोत्सव के आयोजन की श्रंखला में रविवार को आई.एन.ए. स्थित दिल्ली हाट में भी राजस्थान पर्यटक विभाग द्वारा संगीतमयी सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया।
इस संध्या में कच्छी घोड़ी, चरी नृत्य, भपंग वादन घूमर नृत्य, मयूर नृत्य और फूलों की होली के अतिरिक्त भारतीय शास्त्रीय नृत्य के प्रसिद्ध कत्थक नृत्य की प्रस्तुतियां भी दी गई। कत्थक नृत्यांगना सुश्री सुकृति अग्रवाल और भीतिका रहेजा के कत्थक नृत्य पर सभी दर्शकों और आगंतुकों ने करतल ध्वनि से उनका अभिवादन किया।