चीन में बढ़ रहा नए वायरस का आतंक : फ्लू या कुछ और?

Terror of new virus increasing in China: Flu or something else?

कोरोना महामारी की शुरूआत के पांच साल के बाद चीन से ही एक और खतरनाक वायरस के आतंक की खबरें दुनिया के सामने आ रही है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। हाल के दिनों में कई रिपोर्टों में बताया जा चुका है कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) नामक इस वायरस ने इन दिनों चीन में दहशत फैला रखी है और इस खतरनाक वायरस के कारण वहां के अस्पताल में बड़ी संख्या में मरीज मर भी रहे हैं लेकिन कोविड की ही भांति चीन द्वारा इसे लेकर भी लीपापोती की जा रही है।

योगेश कुमार गोयल

2020 में चीन से हुई कोरोना की शुरूआत के बाद इसने पूरी दुनिया में जो दहशत मचाई, उसे याद करके आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। कोरोना महामारी के भयावह दौर में दुनियाभर लाखों लोग मारे गए, लाखों परिवार उजड़ गए, अनेक बच्चे अनाथ हो गए। अभी तक कोरोना का खौफ बरकरार है और कोरोना की शुरूआत के करीब 5 साल बाद अब चीन से ही एक और ऐसे ही खतरनाक वायरस की दस्तक की खबरें दुनिया के सामने आ रही है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि यह वायरस कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है। भारत में कर्नाटक, गुजरात और पश्चिम बंगाल में कुछ बच्चों में नए वायरस के मामले मिल चुके हैं, जिसके बाद भारत में सतर्कता बढ़ा दी गई है। बताया जा रहा है कि यह वायरस बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगियों में यह संक्रमण निमोनिया में परिवर्तित हो जाता है और उनमें मौत का जोखिम बढ़ जाता है। हाल के दिनों में कई रिपोर्टों में बताया जा चुका है कि ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) नामक इस वायरस ने इन दिनों चीन में दस्तक देकर वहां दहशत फैला रखी है और इस खतरनाक वायरस के कारण वहां के अस्पताल में मरीजों की संख्या बहुत बढ़ गई है तथा ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस के कारण बड़ी संख्या में मरीज मर भी रहे हैं लेकिन कोविड की ही भांति चीन द्वारा इसे लेकर भी लीपापोती की जा रही है। हालांकि कुछ रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि इस वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी गई है लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है।

दरअसल विदेशी मीडिया पर लगे प्रतिबंधों के कारण चीन से कोई भी खबर दुनिया तक आसानी से नहीं पहुंच पाती, केवल चीन की सरकारी समाचार एजेंसी ही खबरों का एकमात्र जरिया है, जो दुनिया को वही खबर बताती है, जो वहां की सरकार चाहती है। बताया जा रहा है कि उत्तर चीन के प्रांतों में 14 वर्ष से कम उम्र के लोगों में एचएमपीवी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इस खतरनाक वायरस के हमले से चीन में स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। खचाखच भरे अस्पताल और श्मशान में बढ़ती बेतहाशा भीड़ इस संकट के कोरोना जैसा या उससे भी बदतर होने की पुष्टि कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर ‘सार्स-सीओवी-2 (कोविड-19)’ नामक एक एक्स हैंडल द्वारा पोस्ट में लिखा गया है कि चीन इस समय एचएमपीवी, इन्फ्लूएंजा ए, माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया और कोविड-19 सहित कई वायरस के मामलों में उछाल का सामना कर रहा है और वहां के अस्पताल विशेष रूप से निमोनिया और ‘व्हाइट लंग’ के मामलों से परेशान हैं।

पूरी दुनिया के लिए महासंहारक साबित हुए कोविड-19 वायरस की उत्पत्ति को लेकर भले ही चीन आरोपों को खारिज करता रहा लेकिन बार-बार यह पुष्टि होती रही कि वह वायरस चीन के वुहान शहर से ही दुनिया में फैला था लेकिन वुहान में यह कैसे फैला था, उस रहस्य से पर्दा अब तक नहीं उठ सका है और अब एचएमपीवी वायरस का प्रकोप भी सबसे पहले चीन में ही शुरू हुआ है। दरअसल बर्ड फ्लू से लेकर सार्स और कोविड तक सभी प्राणाघातक और महासंहारक वायरल रोगों की उत्पत्ति चीन से ही होती रही है लेकिन इसका रहस्य दुनिया आज तक पता नहीं लगा पाई है। चूंकि सभी वायरस चीन में ही पैदा हो रहे हैं, इसलिए ऐसे वायरस हमलों को लेकर पूरी दुनिया में चीन को लेकर संदेह का माहौल बना हुआ है कि कहीं कोविड-19 के बाद खतरनाक होता एचएमपीवी भी चीन की जैविक प्रयोगशालाओं में रची जा रही साजिश तो नहीं है। कोविड संकट के दौरान विश्व के तमाम देशों की औद्योगिक गतिविधियों सहित जनजीवन भी पूरी तरह ठप्प हो गया था। उस दौरान चीन को छोड़कर तमाम देशों की अर्थव्यवस्था लगभग खत्म होने के कगार पर आ गई थी। कई देश तो इसका खामियाजा आज तक भुगत रहे हैं।

एचएमपीवी वायरस के संक्रमण की तेज गति को देखते हुए इसके अन्य देशों में फैलने के खतरों से इन्कार नहीं किया जा सकता। हालांकि डच शोधकर्ताओं ने 2001 में सबसे पहले श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित बच्चों में इस वायरस की खोज की थी और हर साल कई देशों में इसके कुछ मामले सामने आते रहे हैं लेकिन इन दिनों चीन में जिस तरह इस वायरस ने आतंक मचाया हुआ है, ऐसे में चीन में इसके बेतहाशा बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत ने भी सतर्कता बढ़ा दी है और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है तथा लगातार अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के संपर्क में है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मौसमी इन्फ्लुएंजा और सांस संबंधी संक्रमणों की निगरानी की जा रही है। स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डा. अतुल गोयल का कहना है कि खबरों में कहा जा रहा है कि चीन में मेटान्यूमोवायरस वायरस का एक आउटब्रेक है, जो गंभीर है। हालांकि उनका कहना है कि हमें ऐसा नहीं लगता कि भारत में किसी गंभीर स्थिति की संभावना है। वहीं, दिल्ली मेडिकल काउंसिल के चेयरमैन और बाल रोग विशेषज्ञ डा. अरूण गुप्ता का कहना है कि भारत में इस वायरस के कारण बीमारी बढ़ने की अभी संभावना नजर नहीं आ रही है।

अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र के अनुसार, एचएमपीवी सभी उम्र के लोगों में अपर और लोअर रेस्पिरेटरी डिजीज का कारण बन सकता है। यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाले स्राव या नजदीकी संपर्क जैसे हाथ मिलाने से भी फैलता है। एचएमपीवी वायरस न्यूमोवायराइड और मेटान्यूमोवायरस जीनस का हिस्सा है, जो एक सिंगल-स्ट्रैंडेड नेगेटिव-सेंस आरएनए वायरस है। चाइनीज सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, इस वायरस का संक्रमण काल तीन से पांच दिन होता है। इस वायरस के संक्रमण से रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, जिससे यह बार-बार संक्रमण का कारण बन सकता है। एचएमपीवी भी कोरोना की ही भांति श्वसन पथ को संक्रमित करता है, हालांकि कोरोना के मुकाबले इस वायरस के कारण ऊपरी और निचले दोनों श्वसन पथ में संक्रमण का खतरा हो सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह एक कम पहचाना गया वायरस है लेकिन यह दुनियाभर में मौसमी श्वसन बीमारियों में योगदान कर रहा है। एचएमपीवी में कोरोना ही भांति फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं। इससे जुड़े सामान्य लक्षणों में खांसी, बुखार, नाक बंद होना, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि शिशुओं और बुजुर्गों, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है, उनमें मेटान्यूमोवायरस के कारण गंभीर बीमारी होने का खतरा अधिक होता है। इससे बचाव के उपायों में हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोना, खांसते और छींकते समय मुंह और नाक ढ़ंकना, संक्रमितों लोगों से दूरी बनाना, स्वस्थ आहार और पर्याप्त नींद लेना, फ्लू के टीके लगवाना इत्यादि शामिल हैं।
(लेखक साढ़े तीन दशक से पत्रकारिता में निरंतर सक्रिय वरिष्ठ पत्रकार हैं)