थैंक्स डॉ. आलोक सिंघल, टीएमयू हॉस्पिटल में बिना बाईपास सर्जरी के मिला नया जीवन

Thanks Dr. Alok Singhal, got new life without bypass surgery in TMU Hospital

एक्यूट इंफीरियर वाल्व एमआई समस्या से पीड़ित था मुरादाबाद निवासी 45 वर्षीय मो. नासिर, आयुष्मान योजना के तहत हुआ इलाज

रविवार दिल्ली नेटवर्क

एलएडी और एलसीएक्स पूरी तरह से बंद होने के कारण इस प्रक्रिया को अंजाम देना मुश्किल भरा था, लेकिन अनुभवी डॉक्टर्स की टीम ने हिम्मत नहीं हारी। स्पेशल एंजियोप्लास्टी वायर, बलून और अन्य उपकरणों की मदद से हार्ट की मुख्य नली- एलएडी में बाइफरकेशन स्टेंटिंग से 02 स्टेंट और एलसीएक्स नली में 01 स्टेंट सफलतापूर्वक डाले। इससे नलियों में रक्त का प्रवाह सामान्य रूप से होने लगा

नॉर्थ इंडिया के जाने-माने हार्ट विशेषज्ञों में शुमार डीएम इन- कॉर्डियोलॉजी एंड एमडी मेडिसिन डॉ. आलोक सिंघल अब तक 5,000 हार्ट के कॉर्डिक प्रोसिजर कर चुके हैं। 27 देशों में कॉर्डियोलॉजी की कॉन्फ्रेंस अटेंड करने वाले डॉ. सिंघल 2008 से टीएमयू हॉस्पिटल में सेवाएं दे रहे हैं। दर्जनों अवार्ड इनकी झोली में हैं

यूं ही डॉक्टर को धरती का भगवान नहीं मानते हैं। नॉर्थ इंडिया के जाने-माने हार्ट विशेषज्ञों में शुमार डॉ. आलोक सिंघल ने छोटे से एक दुकानदार मो. नासिर को बाईपास सर्जरी से बचा लिया है, जबकि दिल्ली के नामी हॉस्पिटल ने मो. नासिर के परिजनों को तत्काल बाईपास सर्जरी का सुझाव दिया। बाईपास सर्जरी के नाम से ही परिजन घबरा गए और मो. नासिर को तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल ले आए। प्रारम्भिक जांचों के बाद कॉर्डियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. आलोक सिंघल और उनकी टीम ने एंजियोप्लास्टी विद स्टेंट का निर्णय लिया। हार्ट की नसों- एलएडी और एलसीएक्स पूरी तरह से बंद होने के कारण इस प्रक्रिया को अंजाम देना बेहद मुश्किल भरा था। डॉक्टर्स की टीम ने स्पेशल टेक्निक- एंजियोप्लास्टी वायर, बलून और अन्य उपकरणों की मदद से हदय की की मुख्य नली एलएडी और डायगोनल नली में 02 स्टेंट और एलसीएक्स नली में 01 स्टेंट सफलतापूर्वक डाले। इससे हार्ट नलियों में रक्त का प्रवाह सामान्य रूप से होने लगा, जिससे बाईपास सर्जरी से पेशेंट बच गया और जान का जोखिम भी टल गया। उल्लेखनीय है, एंजियोप्लास्टी विद स्टेंट प्रक्रिया में हार्ट की नली को वॉयर और बलून डालकर खोला जाता है, जिस जगह पर नली ब्लॉक होती है, वहां पर स्टेंट डाल दिया जाता है। इस तरह रोगी बाईपास सर्जरी से बच जाता है। डीएम इन- कॉर्डियोलॉजी एंड मेडिसिन डॉ. आलोक सिंघल अब तक 5,000 हार्ट के कॉर्डिक प्रोसिजर कर चुके हैं। डॉ. सिंघल 2008 से टीएमयू हॉस्पिटल में सेवाएं दे रहे हैं। दर्जनों अवार्ड इनकी झोली में हैं। उल्लेखनीय है, पेशेंट का आयुष्मान योजना के तहत निः शुल्क इलाज हुआ है।

तीर्थंकर महावीर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, मुरादाबाद के डॉक्टर्स ने 45 साल के मो. नासिर को नया जीवन दिया है। मो. नासिर को अचानक से सीने में तेज दर्द हुआ तो आनन-फानन में उनके घरवाले दिल्ली के एक नामी अस्पताल में ले गए, लेकिन वहां से निराशा ही मिली। बहुतेरे डॉक्टर्स से इलाज हुआ, लेकिन कोई आराम नहीं हुआ। देश के बड़े डॉक्टर्स की शरण में गए तो उन्होंने मो. नासिर को बाईपास सर्जरी को ही एकमात्र विकल्प बताया। वह बाईपास सर्जरी नहीं कराना चाहते थे। थक हार कर अंत में उम्मीद की किरण लिए परिवार वाले पेशेंट को टीएमयू हॉस्पिटल में लेकर आए। इमरजेंसी में एडमिट पेशेंट की जांच करने पर पता चला कि मरीज एक्यूट इंफीरियर वाल्व एमआई समस्या से ग्रस्त है। मेडिकल की भाषा में यह हार्ट अटैक के मानिंद ही है। टीएमयू केे कार्डियोलॉजी विभाग के डॉक्टर्स की टीम ने सबसे पहले पेशेंट की एंजियोग्राफी कराई। जांच करने पर पता चला कि मरीज के दिल की नसें- एलएडी और एलसीएक्स पूरी तरह से बंद हैं। ऐसे में अगर जल्द से जल्द इनका उपचार नहीं किया जाता तो मरीज की जान को खतरा बन सकता था। टीएमयू के डॉक्टर्स ने पेशेंट और उसके परिवार वालों की काउंसलिंग की और उन्हें इलाज कराने की सलाह दी। परिवार वालों की मंजूरी के बाद टीएमयू कॉर्डियोलॉजी के डॉक्टर्स की टीम ने एंजियोप्लास्टी विद स्टेंट की प्रक्रिया को अंजाम दिया। डॉक्टर्स की टीम में डॉ. आलोक सिंघल के संग-संग डॉ. फैजान अहमद, डॉ. श्रेय सिंह आदि शामिल रहे।