‘झूठ की बिसात’ पर सत्ता की ‘कारगुज़ारियां’

The 'actions' of power on the 'chessboard of lies'

निर्मल रानी

बिहार में विधान सभा चुनावों की गहमागहमी के बीच चुनाव प्रचार तेज़ हो गया है। सत्ता और विपक्ष दोनों ही ओर से स्टार प्रचारकों द्वारा एक दूसरे को नीचा दिखाने व एक दूसरे पर लांछन लगाने का खेल जारी है। इसी मुहिम के तहत जनता के बीच भरपूर ‘झूठ’ भी परोसा जा रहा है। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि ‘झूठ ‘ का सबसे गहरा रिश्ता राजनेताओं से ही है। मिसाल के तौर पर महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव ने हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का वादा किया है। इसके अतिरिक्त सभी जीविका दीदियों की नौकरी को स्थाई करने व कम से कम 30,000 मासिक वेतन देने और जीविका योजना के तहत 2 साल बिना ब्याज़ ऋण दिए जाने का भी वादा किया है। इसके अतिरिक्त सभी संविदा, नियोजित और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को स्थायी करना,पुरानी पेंशन योजना को पुनः लागू करना,,महिलाओं को 2,500 मासिक सहायता ,हर परिवार को 200 यूनिट मुफ़्त बिजली,वृद्धजनों, विधवाओं और दिव्यांगों को ₹1,500 मासिक ,प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फ़ॉर्म शुल्क मुआफ़ करने और परीक्षा केंद्र तक मुफ़्त यात्रा,किसानों को सभी फ़सलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी,जैसे अनेक ऐसे वादे किये गये हैं जिन्हें राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन तेजस्वी यादव का हवाई क़िला बता रहा है। क्योंकि राज्य का बजट इतने बड़े ख़र्च को उठा पाने की स्थिति में नहीं है। परन्तु ऐसे सवालों पर तेजस्वी फ़रमाते हैं कि “हम आउट ऑफ़ बॉक्स सोचते हैं”। गोया वादा करने वालों की नज़र में यह सोच ‘आउट ऑफ़ बॉक्स ‘ वाली है तो महागठबंधन की नज़र में इस तरह के वादे झूठ बल्कि महाझूठ हैं ।

अब देखिये बिहार चुनाव से जुड़ी सत्ता की बानगियाँ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान खगड़िया में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुये कहा कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार जैसे नेताओं पर “चार आने का भी भ्रष्टाचार” का आरोप नहीं लगा है। उन्होंने राजग राज को “विकास का राज” बताया और विपक्ष को “लठबंधन” का नाम दिया। अमित शाह ने ज़ोर देकर कहा कि “केवल नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, जिन पर चार आने का भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है, बिहार का विकास कर सकते हैं।” इसके पहले भी कई बार स्वयं प्रधानमंत्री मोदी,गृह मंत्री व मुख्यमंत्री नितीश कुमार ‘भ्रष्टाचार मुक्त ‘ सरकार के दावे हैं जबकि 20 वर्ष पुराने लालू राज को जनता को याद दिलाकर महागठबंधन के प्रति भय पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं। परन्तु इनके भ्रष्टाचार मुक्त व सुशासन राज होने जैसे फ़र्ज़ी दावों की क़लई प्रमाण सहित प्रशांत किशोर अक्सर खोलते रहते हैं। याद कीजिये पिछले 5 वर्षों के भीतर इसी बिहार में और इसी मोदी-नितीश काल में एक दो नहीं बल्कि अनेक बड़े पुल ध्वस्त हो गये। कई निर्माणाधीन थे तो कई उद्घाटन की प्रतीक्षा में तो कई ऐसे जिनका कुछ समय पूर्व ही उद्घाटन किया गया था। भ्रष्टाचार का इससे बड़ा सुबूत और क्या चाहिये? जनता के टैक्स के हज़ारों करोड़ रूपये ऐसे भ्रष्ट निर्माण की भेंट चढ़ने के बावजूद यह दावा करना कि “केवल नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार, जिन पर चार आने का भी भ्रष्टाचार का आरोप नहीं है, इससे बड़ा झूठ और मज़ाक़ जनता के साथ और क्या हो सकता है ? बिहार में भ्रष्टाचार के ऐसे और भी अनेक उदाहरण हैं।

इसी तरह बिहार चुनाव की बेला में ही रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने गत 18 अक्टूबर को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन का दौरा किया और इस दौरान उन्होंने ट्रेन में यात्रियों से बातचीत भी की। ख़बरों के अनुसार उन्होंने यात्रियों को आश्वासन दिया कि दीपावली व छठ जैसे त्योहारों के दौरान कोई कमी नहीं होगी और रेलवे गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। इससे पहले सरकार द्वारा दावा किया गया था कि दीपावली और छठ पर 12,000 से अधिक विशेष रेलगाड़ी चलेंगी। इस ख़बर पर भी ख़ूब जगहंसाई हुई थी क्योंकि देश भर में इस समय चलने वाली कुल सवारी रेल गाड़ियों की संख्या 13,000 के लगभग है ऐसे में 12,000 से अधिक विशेष रेलगाड़ी चलाने का दावा,महाझूठ के सिवा और क्या कहा जा सकता है ?और यदि इन दावों में लेशमात्र भी सच्चाई होती तो दीपावली व छठ के दौरान यू पी बिहार व झारखण्ड जैसे राज्यों में आने जाने वाले यात्रियों को कम से कम इसतरह का असहनीय व अकल्पनीय कष्ट तो न उठाना पड़ता ? रेल मंत्री द्वारा दिल्ली में पूर्व नियोजित तरीक़े से व पूर्ण सुरक्षा के साथ किसी ट्रेन में चढ़कर केवल चुनावी स्टंट व मीडिया में सुर्ख़ियां बटोरने की ग़रज़ से रेल यात्रियों से संवाद करना और बात है परन्तु सच्चाई तो यही है कि इन त्योहारों के दौरान ट्रेन में चढ़ना तो दूर रेल मंत्री महोदय बिना सुरक्षा के प्लेटफ़ॉर्म तक पर नहीं घूम सकते थे रेल यात्रियों की इस क़द्र अनियंत्रित भीड़ का आवागमन हो रहा था। ट्रेन के डिब्बों में चाहे वे ए सी हों या स्लीपर क्लास आरक्षित कोच,इन सब में यात्रियों को किन दुर्दशा के दौर से गुज़रना पड़ा है यह केवल यात्री या भुक्त भोगी ही बता सकते हैं। गोदी मीडिया की नज़रों में तो सरकारी सुनहरा पक्ष ही सत्य का सबसे बड़ा दस्तावेज़ है ?

ऐसी ही एक ख़बर ने पिछले दिनों सरकार की बड़ी फ़ज़ीहत कर डाली। बिहार चुनाव के मद्देनज़र दिल्ली स्थित यमुना नदी के तट पर स्थित वासुदेव घाट पर छठ पूजा के अवसर पर पवित्र स्नान करने हेतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम बना। इस आयोजन के लिये वासुदेव घाट पर प्रधानमंत्री के स्नान के लिए एक “नक़ली यमुना” बनाई गई है। असली यमुना के साथ ही बनी इस “नक़ली यमुना” में कथित तौर पर वज़ीराबाद वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से फ़िल्टर किया गया पीने का पानी पाइपलाइन के माध्यम से पहुँचाया गया। क्योंकि असली यमुना का पानी ज़हरीला व रासायनिक झाग से भरा हुआ है। दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, यमुना का पानी स्नान के लिए अयोग्य है और इससे गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। परन्तु केवल बिहार के मतदाताओं को रिझाने के लिये यह नाटक रचा गया। विपक्ष ने इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान,चुनावी स्टंट व फ़र्ज़ीवाड़ा बताया। प्राप्त ख़बरों के अनुसार सोशल मीडिया पर इस फ़र्ज़ी यमुना की ख़बर के चलते हो रही फ़ज़ीहत के मद्देनज़र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वासुदेव घाट पर छठ पूजा स्नान कार्यक्रम रद्द हो गया। इस तरह के अनेक उदाहरण मिल जायेंगे जिनसे पता चलता है कि सत्ता की ‘कारगुज़ारियां वास्तविकता में कुछ और होती हैं जबकि ‘झूठ की बिसात’ पर ‘ कुछ और।