- सभी साथी और कोच मेरी गलती को दूर करने में सहयोग कर रहे हें
सत्येन्द्र पाल सिंह
नई दिल्ली : नौजवान स्ट्राइकर अभिषेक अपनी हॉकी स्टिक पर गेंद को लेकर तेज फर्राटे के साथ एक बनाम एक की स्थिति में प्रतिद्वंद्वी टीम के किले को भेद कर गोल करने की कूवत के कारण इसी महीने के हांगजू(चीन) में होने वाले 19 वें एशियाई खेलों में अनुभवी मंदीप सिंह और ललित उपाध्याय, गुरजंट सिंह और सुखजीत सिंह के साथ भारत के आक्रमण की धुरी रहने वाले हैं। अभिषेक पहली बार एशियाई खेलों में शिरकत करने जा रहे हैं। दिल्ली से एकदम सटे हरियाणा के सोनीपत शहर के बाशिंदे 24 बरस के अभिषेक ने शुरू में हॉकी को जुनून की तरह चाहते वाले हिंदी शिक्षक शमशेर के प्रेरित किए जाने पर करीब 9 बरस की उम्र में हॉकी थामी और शुरू के दस बरस तक घास पर अपने कौशल को निखारने के बाद 2017 में नैशनल हॉकी अकेडमी (एनएचए) में चुने जाने पर पहली बार एस्ट्रो टर्फ पर खेलने के बाद खुद का खेल इतना निखारा की भी 2021-22 में एफआईएच प्रो हॉकी लीग से पहली बार भारतीय सीनियर सीनियर हॉकी में जगह बनाई। क्रेग फुल्टन से भारत के चीफ कोच ग्राहम रीड ने जब अभिषेक कों इस साल के शुरू में भुवनेश्वर और राउरकेला में हॉकी विश्व कप के लिए टीम में चुना और वह आखिर के मैचों में अपनी चमक दिखा पाए और टीम नौवें स्थान पर रही तो सभी ने कहा कि वह शायद इसके लिए अभी जेहनी तौर पर तैयार नहीं थे। बावजूद इसके अभिषेक के हर आलोचक तक ने उन्हें भारतीय हॉकी का भविष्य बताया। अभी हाल ही में चेन्नै में भारत की एशियन चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली टीम से ‘आराम’ दिए जाने के बाद अभिषेक को जब हांगजू एशियाई खेलों के लिए अनुभवी आकाशदीप सिंह और दिलप्रीत सिंह जैसे स्ट्राइकरों पर तवज्जो दे चुना गया तो किसी भी हैरानी नहीं हुई
24 बरस के अभिषेक भारत के लिए अब 48 मैच खेल कर 18 गोल कर चुके हैं। वह कहते हैं। एशियाई खेलों के लिए भारतीय टीम में स्थान पाने मैं रोमांचित हूं। मैं मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने को बेताब हूं। हांगजू एशियाई खेल बड़ा टूर्नामेंट है और हम उसी के मुताबिक तैयारी कर रहे हैं। हम एशियाई खेलों में पूरे आत्मविश्वास के साथ खेलेंगे। हमारा लक्ष्य एशियाई खेलों में दमदार प्रदर्शन कर चीन से लौटना है कि कोई मलाल न रह जाए। एशियाई खेलों मे हम कई बढिय़ा टीमों से भिड़ेंगे। हम शिद्दत से अभ्यास कर यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि हम शारीरिक और जहेनी तौर पर एकदम बढिय़ा स्थिति में मैदान पर उतरें। मेरी टीम के साथी और सभी कोच मेरी मदद को बेताब हैं। यदि मैं अभ्यास में कोई गलती करता हूं तो मेरी टीम के साथी और कोच उसे दूर करने और आगे बढऩे में सहयोग कर रहे हैं। यदि स्ट्रक्चर को लेकर मुझे खामी दिखाई देती हैं तो मैं अनुभवी साथी ललित और मंदीप से मदद लेता हूं।’