टीएमयू में देर तक चला दाद-ओ-वाह का सिलसिला

The applause continued for a long time in TMU

रविवार दिल्ली नेटवर्क

मुशायरा में प्रसिद्ध शायर एएम तुराज ने बांधा समां, शबनम अली के साथ ही नजर बिजनौरी ने किया कायल

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी-टीएमयू, मुरादाबाद में मुशायरा आयोजित किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य प्रसिद्ध शायरों के शेरों के जरिए बच्चों की लेखन क्षमता में विकास के साथ ही उनके मेंटल स्ट्रेस को दूर करके स्वयं को अभिव्यक्त करने की भावना को बढ़ावा देना था। गौरतलब है कि इससे पूर्व में भी कई भव्य कवि-सम्मेलन एवं मुशायरा के माध्यम से टीएमयू ने साहित्यिक संवर्द्धन की दिशा में सतत रूप से कार्य किया है। कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप जलाकर एवं माल्यार्पण करके की गई। दीप प्रज्ज्वलन में टीएमयू के कुलपति प्रो वीके जैन के साथ ही मुंबई से आमंत्रित शायर एएम तुराज, उज्जैन से शायरा शबनम अली एवम् बिजनौर से शायर नजर बिजनौरी के साथ ही कार्यक्रम के संयोजक एवम् डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह शामिल रहे। कार्यक्रम के प्रेरणास्रोत यूनिवर्सिटी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन रहे।

टीएमयू के कुलपति प्रो. वीके जैन ने अपने स्वागत संबोधन में यूनिवर्सिटी की अकादमिक गतिविधियों के साथ ही टीएमयू द्वारा विविध सांस्कृतिक एवम् साहित्यिक संवर्द्धन की दिशा में किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया। आमंत्रित शायरों में एएम तुराज, शबनम अली और नजर बिजनौरी ने भी विवि के माननीय कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, जीवीसी श्री मनीष जैन द्वारा विद्यार्थियों के हित में विवि की अकादमिक शिक्षा के साथ ही उनके सर्वांगीण विकास की दिशा में उठाए जा रहे कदमों की सराहना की।

मुशायरा की शुरुआत नजर बिजनौरी ने अपने कलाम के जरिए की। उन्होंने पढ़ा, क्या बताऊं मैं तुमको, मेरा यार कैसा है। चांद सा नहीं है वो चांद उसके जैसा है। नजर बिजनौरी को हर कलाम पर भरपूर दाद मिली। शबनम अली ने अपने अंदाज में कहा, दिल अगर प्यार के हिस्से में नहीं आ सकता। फिर किसी दूसरे जुमरे में नहीं आ सकता। ये मेरा प्यार है एक दास्तान के जैसा, बस तेरे एक ही जुमले में नहीं आ सकता। आगे पढ़ा, कैद करने की हर एक रस्म उठा ली जाए, अब किसी पांव में जंजीर ना डाली जाए। सांस दर सांस महकते रहें रिश्ते सारे। अब मोहब्बत की ये तहजीब संभाली जाए। शबनम अली ने हर कलाम पर खूब तालियां बटोरीं। मुंबई से शिरकत करने पहुंचे बॉलीवुड में हीरामंडी, पद्मावत, गंगूबाई, बाजीराव मस्तानी, गुजारिश, रामलीला सरीखी फिल्मों के साथ ही वेब सीरीज- द एंपायर में संवाद लेखन करने वाले शायर, निर्देशक एवम् अभिनेता एएम तुराज का अंदाज सभी को खूब भाया। एएम तुराज ने पढ़ा, मेरी तकलीफ मेरा गम मेरा सदमा पता चलता। कोई तेरा बिछड़ता तो तुझे मेरा पता चलता। आगे पढ़ा, जिंदगी नाकामियों के नाम हो, इससे पहले कोई अच्छा काम हो। दाद-ओ-वाह के भरपूर सिलसिले में तालियों के बीच पढ़ा, यूं बंजर पड़े रहते तुम्हारे खेत सदियों तक, मैं मिट्टी में नहीं मिलता, तो फिर बोने को क्या होता। फिल्मों में लिखे गीत भी फरमाइश का हिस्सा बनकर तालियों के बीच गूंजते रहे।

कार्यक्रम में आमंत्रित शायरों ने टीएमयू की शैक्षिक गतिविधियों के साथ ही विद्यार्थियों को सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के क्रम में संवर्द्धन का माध्यम बनने वाले प्रयासों की मुक्त कंठ से सराहना की। टीएमयू की ओर से विवि के कुलपति प्रो. वीके जैन, प्रो. एमपी सिंह, प्रो. प्रिया ने आमंत्रित शायरों का मंच के माध्यम से अभिनंदन किया। आभार अभिव्यक्ति करते हुए कार्यक्रम के संयोजक एवम् डीन स्टुडेंट वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह ने कहा कि इस तरह के भाषाई कार्यक्रम निश्चित तौर पर विद्यार्थियों को जीवन के हर पहलू से वाकिफ करने वाले साबित होते हैं। विद्यार्थियों को शाब्दिक स्तर पर स्वयं को मजबूत बनाते हैं। परिणाम स्वरूप विद्यार्थियों में प्रतियोगी समाज में स्वयं को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त करने की क्षमता का विकास होता है। इस मौके पर श्री दीपक कुमार मलिक, मिस आंचल, मिस रितिका के अलावा कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज, कॉलेज ऑफ फिजियोथेरेपी, कॉलेज ऑफ नर्सिंग, डेंटल कॉलेज की फैकल्टी के साथ ही बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।