सुप्रिया सत्यार्थी
जीवन की समझ और जिंदगी के प्रति एक अच्छा नजरिया देती हुई यह पुस्तक “उर्जस्वी” आज मेरे हाथों में है । इस पुस्तक में 32 आलेख हैं । किताब बहुत ही सरल और सहज भाषा में लिखी गई है जिसे आसानी से समझा जा सकता है। यह किताब जीवन की उधेड़बुन में सुकून ढूंढती है और यह सिर्फ पढ़ने मात्र के लिए नहीं है बल्कि एक अच्छे और खुशहाल जीवन के लिए अपनी आदतों में उतारने के लिए हैं ।
जीवन से जुड़े लगभग हर पहुलुओं के बारे में नृप जी ने इस किताब में बहुत ही अच्छे से लिखा है। जैसे कई बार हम दुःख में इतने परेशान हो जाते हैं की इससे बाहर कैसे निकला जाए इस बात को नही समझ पाते हैं। इस किताब में बहुत अच्छे तरह से यह समझाया गया है कि इन सबमें खुद को सकारात्मक तरीके से रहकर उनका सामना कैसे किया जाए और बाहर कैसे निकला जाए।
इंसान के पास ज्ञान की कितनी भी अधिकता हो जाए पर अहंकार कभी नही करना चाहिए तथा जीवन की चुनौतियों से कभी भी हारना नहीं चाहिए बल्कि उनका सामना करना चाहिए। जीवन में असफलता से निराश न होकर उनसे सीखना चाहिए की आगे क्या सुधार किया जा सकता है, गलती करना इंसान का स्वभाव है पर गलती को दोहराना ये समझदारी नहीं है। सब कुछ बहुत ही प्रेरक है।
इस किताब में ये भी बताया है कि रिश्तों को मजबूत कैसे बनाया जाए।इस किताब में जीवन से जुड़े लगभग हर बिंदुओं के बारे में बहुत अच्छे से लिखा गया है।नृप इस प्रेरक सृजन के लिए बहुत–बहुत बधाई आपको।आपको लेखनी के क्षेत्र में शीर्षस्थ प्राप्त हो।
पुस्तक: ऊर्जस्वी
लेखक: नृपेन्द्र अभिषेक नृप
प्रकाशन: स्वेतवर्णा प्रकाशन, नयी दिल्ली
मूल्य: 199 रुपये
पृष्ठ- 115 पेज