संदीप ठाकुर
मौजूदा सरकार विश्व गुरु बनने का राग अलापने में लगी हुई है और उधर देश
छोड़ कर जाने वालों की संख्या दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ती जा रही है।
सरकारी आंकड़े तो कम से कम यही दर्शा रहे हैं। सरकार ने शुक्रवार को
लोकसभा इसकी जानकारी देते हुए बताया कि विगत साढ़े तीन वर्षों में 5 लाख,
61 हजार ,272 भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी है।आख़िर भारतीय
अपनी नागरिकता छोड़ क्यों रहे हैं ?
लोकसभा में कार्ति पी चिदंबरम के प्रश्न के लिखित उत्तर में विदेश मंत्री
एस जयशंकर ने यह जानकारी दी। कार्ति चिदंबरम ने पूछा था कि पिछले तीन
वर्ष और इस वर्ष के दौरान अब तक कितने भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता
छोड़ दी है। विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि मंत्रालय के पास उपलब्ध
जानकारी के अनुसार वर्ष 2020 में 85,256 भारतीय नागरिकों, वर्ष 2021 में
1,63,370 भारतीय नागरिकों, वर्ष 2022 में 2,25,620 भारतीय नागरिकों तथा
वर्ष 2023 में जून तक 87,026 नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ी। विदेश
मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़ों के अनुसार, इससे पहले 1,22,819
(2011 में) 1,20,923 (2012 में) 1,31,405 (2013 में) 1,29,328 (2014 में)
1,31,489 (2015 में) 1,41,603 (2016 में) 1,33,049 (2017 में) 1,34,561
(2018 में) और 1,44,017 (2019 में) भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता
छोड़ी थी। विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि पिछले दो दशक में वैश्विक
कार्यस्थलों पर काम करने के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या
काफी अधिक हो गई है और इनमें से कई ने व्यक्तिगत सुविधा के कारणों से
विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है। पढ़ाई के लिए विदेश जाने वाले
छात्रों में से करीब 70-80 प्रतिशत युवा वापस भारत नहीं लौटते। करियर और
अच्छे भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए वे विदेश में ही बस जाते हैं।
पिछले साल देश की नागरिकता छोड़ने के मामले में एक रेकॉर्ड बना। रेकॉर्ड
यह कि 2021 में जितने लोग दूसरे देशों में जा बसे, उतने पिछले पांच सालों
में यहां से नहीं गए थे। इनमें सुपररिच यानी बेहद अमीर लोग भी शामिल हैं।
ग्लोबल वेल्थ माइग्रेशन रिव्यू नाम की रिपोर्ट की मानें तो 2020 में भारत
के 7,000 सुपर रिच हमेशा के लिए देश छोड़कर चले गए।
आखिर क्याें देश की नागरिकता छोड़ पढ़े लिखे लोग घड़घड़ नागरिकता छोड़
दूसरे देश के नागरिक बन रहे हैं। रोजगार नहीं मिलना इसकी एक वजह मानी जा
रही है। कहा जा रहा है कि बिजनेस करने वालों को भी देश में अपने लायक
माहौल की कमी खल रही है। विदेश में रहने वालों का कहना है कि भारत को
अपनी नागरिकता छोड़ने की दर या फिर ब्रेन ड्रेन पर काबू करना है तो उसे
कई कदम उठाने होंगे। विदेशियों के मुताबिक यहां ज़िंदगी बहुत आसान है।
स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बहुत अच्छा है। बच्चों की पढ़ाई अच्छे से हो जाती
है। इसके अलावा काम का माहौल बहुत अच्छा है।आप जितना काम करते हैं, उस
हिसाब से अच्छे पैसे मिलते हैं।वर्क प्लेस पर नियम और कानून का पालन होता
है। एक और वजह भारतीय पासपोर्ट भी है। भारत के पासपोर्ट पर आप बिना वीजा
के अभी 60 देशों में जा सकते हैं दूसरे कई देशों की तुलना में ये काफ़ी
कम है। पासपोर्ट रैंकिंग में भारत 199 की लिस्ट में अभी 87 नंबर पर है।
भारत दोहरी नागरिकता की इजाज़त नहीं देता। इसलिए भी लोग नागरिकता छोड़
रहे हैं।