सीता राम शर्मा ” चेतन “
देश का दुर्भाग्य और कलंक बन चुकी कांग्रेस की वर्तमान नीतियाँ और गतिविधियाँ अब असहनीय हो चुकी है । लोकतांत्रिक व्यवस्था और मापदंड की आड़ में आज जो कांग्रेस कर रही है यदि देश समय रहते नहीं समझा और उससे उबरा तो यह निकट भविष्य में देश में होने वाले भारी उत्पात और गंभीर संकट का कारण होगा । यह ना कोई बचकानी भविष्यवाणी है और ना ही कहने लिखने मात्र का विचार, यह पूरी ईमानदारी के साथ देश के वर्तमान और भविष्य के थोड़े से भी गंभीर और दूरदर्शी चिंतन से जानने समझने वाला वह तथ्य और सत्य है, जो बेहद विचलित करने वाला है ! वंशवाद के साथ बेहद असक्षम, कमजोर, स्वार्थी और षड्यंत्रकारी नेतृत्व के चंगुल में फंसी कांग्रेस बहुत चाहकर भी फिलहाल अपनी इस मति और गति से निकलती नहीं दिखती, इसलिए देश के वर्तमान और भविष्य के लिए अब बहुत जरूरी हो गया है कि देश की जनता कांग्रेस के वर्तमान सच और स्वरूप तथा दशा और दिशा का गंभीर अध्ययन मनन और चिंतन कर घोर आपातकालीन संकट जैसी परिस्थितियों में दिखाई जाने वाली समझदारी और उठाए जाने वाले कदमों का अनुसरण करे । संकट आने के पहले ही उससे बचने के हर जरूरी और समुचित प्रयास करे । सरकार को भी इस दिशा में समय रहते वर्तमान और भविष्य के संभावित संकटो पर अपने जरूरी चिंतन और प्रयासों की रूपरेखा के साथ अपने बेहद जरूरी हो चुके और होने वाले कदमों पर बहुत स्पष्टता के साथ खुलकर बोलने और करने की जरूरत है ताकि इसके या इसकी राह चलते, आते दलों और उनके सरंक्षण समर्थन से पोषित षड्यंत्रकारी ताकतों द्वारा पैदा की जाने वाली भविष्य की उन दुर्दिन परिस्थितियों से बचा जा सके । यह सच है कि केंद्र सरकार के मुख्य दल भारतीय जनता पार्टी के साथ उसके सहयोगी दलों और अनेकानेक संस्थाओं में इतना जनबल, जन समर्थन और कर्म कौशल है कि वह महज तीन महिने के एक राष्ट्ररक्षा – जनरक्षा कैंपेन के माध्यम से ही देश और देश की जनता के लिए देशवासियों की राजनीतिक समझ और जागरूकता का प्राथमिक और प्रयाप्त विकास कर सकता है । प्राथमिक उनका, जिनका राजनीतिक और राष्ट्रीय चिंतन से दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं है और प्रयाप्त उनका, जो वास्तविकता समझते हैं या समझना तो चाहते हैं पर जाति, धर्म, स्वार्थ, द्वेष और कई जगहों पर भयवश भी तथ्य और सत्य को समझने का पूरा प्रयास नहीं करते । गौरतलब है कि 2014 में मोदी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार और उसके तीव्र बहुआयामी चौतरफा विकास कार्यों से कांग्रेस ना सिर्फ हर स्तर पर बेनकाब और कमजोर होती निरंतर हाशिए पर जा रही है बल्कि निरंतर अपने अस्तित्व को बचाने के संकट से जूझती असक्षम नेतृत्व की पापी महत्वाकांक्षाओं का भी शिकार हो रही है । जिसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव देश के विकास के साथ देश की शांति व्यवस्था पर भी पड़ रहा है । देश की बढ़ती शक्ति, सुधरती राजनीतिक, प्रशासनिक व्यवस्था और तीव विकास की गति को बाधित करने के लिए कांग्रेस तरह-तरह के घोर निंदनीय और अक्षम्य षड्यंत्र रचती जा रही है । कभी असहिष्णुता का पाखंड, कभी आतंकवाद को समर्थन, कभी अलगाववादियों को संरक्षण, कभी शत्रु राष्ट्रों को प्रोत्साहन, कभी राष्ट्रहित की दूरगामी नीतियों, कानूनों के विरोध में जन तथा राष्ट्र विरोधी धरना-प्रदर्शनों को समर्थन, कभी अपने ही सैनिकों के मनोबल को तोड़ने के लिए उस पर सवाल, तो आए दिन जाति, धर्म, अगड़े-पिछड़े और अपराध या हिंसा के छोटे-छोटे मामलों में भी खड़े किए जा रहे प्रायोजित बवाल, कांग्रेस की दिनचर्या का मुख्य हिस्सा बन गया है । जो बेहद गंभीर तथा चिंतनीय स्थिति है । पिछले कुछ दिनों से तो जिस तरह कांग्रेस ने भारतीय रक्षा क्षेत्र को विश्व स्तरीय और शक्तिशाली बनाने के केंद्र सरकार के नवीन प्रयास अग्निपथ योजना का विरोध किया है, उसे लेकर देश के भीतर अंशाति फैलाने, भारी उत्पात मचाने की स्थिति उत्पन्न की है, जो अनवरत जारी भी है, वह बेहद चिंतनीय, निंदनीय, शर्मनाक और दंडनीय है । दंडनीय इसलिए कि कांग्रेस का यह विरोध वास्तव में उस पर वंशवादी आधिपत्य जमाए बैठे बड़े भ्रष्टाचार के मुख्य आरोपी गांधी परिवार पर हो रही जांच को प्रभावित करने के लिए है, जिसमें इनके भ्रष्ट होने का शत-प्रतिशत पुख्ता विश्वास देश के साथ खुद कांग्रेस और उसका नेतृत्व करते परिवार को भी है । पिछले दिनों नेशनल हेराल्ड मामले में इस परिवार के आरोपी माँ-बेटे में से बेटे राहुल गांधी से हुई पूछताछ के दौरान जिस तरह नैतिकता को ताक पर रखकर देश की राजधानी में बेहद प्रायोजित तरीके से हुडदंग मचा जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया, वह पूरे देश ने देखा है । अब अगले दिनों इस मामले की दूसरी मुख्य आरोपी, जो राहुल गांधी की माँ और कांग्रेस की प्रमुख नेता है, सोनिया गांधी से पूछताछ होनी है, जिससे इस परिवार के साथ कांग्रेस भी परेशान है । इसलिए एक सुनियोजित षड्यंत्र के तहत वह अग्निपथ योजना के विरोध को बेवजह फिर से ज्यादा उग्र बनाने का हर संभव प्रयास कर रही है । हालाकि सेना और अग्निपथ योजना से सरोकार रखने वाला देश का बड़ा युवा वर्ग प्रारंभिक गलतफहमी का शिकार होने और षड्यंत्रकारी ताकतों के भ्रामक प्रचार के चंगुल में फंस उत्पात मचाने के बाद देश के लिए इस योजना के महत्व और इसकी जरूरत को बखूबी जान समझ गया है और वह अब इन षड्यंत्रकारी ताकतों के पापी हितों और हाथों का खिलौना बनेगा भी नहीं, बावजूद इसके देश के हर नागरिक को कांग्रेस और इस परिवार के सभी षड्यंत्रों को बहुत गंभीरता से जानने समझने की जरूरत है । यूं भी कमजोर होती कांग्रेस के पास इस वंशवादी आधिपत्य और मुखिया के रहते सत्ता या एक महत्वपूर्ण दल के रूप में वापसी करने का या फिर षडयंत्र की वर्तमान राजनीति छोड़ने का कोई विकल्प भी नहीं है और उसका पतन भी निश्चित है क्योंकि इसका इस परिवार के चंगुल से निगलना मुश्किल है । कुछ प्रबुद्ध, विचारवान और ईमानदार कांग्रेसियों को एक सलाह जरूर दी जा सकती है कि वे वास्तविक शिवसेना के मार्ग का अनुसरण कर सकते हैं तो करें । फिलहाल प्रमुखता से बात देश और वर्तमान कांग्रेस की, तो उत्तर प्रदेश चुनाव की भारी पराजय के बाद अब 2024 में सत्ता परिवर्तन और वापसी का दुःस्वप्न देखती कांग्रेस से अब सिर्फ और सिर्फ षड्यंत्रों की ही आशा की जा सकती है, वह पिछले आठ वर्षों से वही करती आई है, अब भी कर रही है और आने वाले समय में वही करेगी भी, सारी सीमाओं और मर्यदाओं को तोड़कर, इसलिए बेहतर होगा कि समय रहते देश इसके वास्तविक रूप और उसकी बढ़ती भयावहता को जाने, समझे और उससे बचे ।