हीरे को जन्म देने वाली हीरा बाँ के देहान्त से गमगीन हुआ देश… फिर भी कर्तव्य पथ पर निर्बाध चल रहें प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी

नीति गोपेंद्र भट्ट

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सौ वर्षीय माँ हीरा बाँ के शुक्रवार तड़के देहान्त होने की खबर को स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा ट्विटर पर साँझा करने के बाद इस दुःखद खबर के सर्वत्र फैलते ही पूरे देश में शोक की लहर तैर गई ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अलसवेरे राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से विशेष विमान द्वारा गुजरात की राजधानी गाँधीनगर पहुँचें और छोटे भाई पंकज भाई मोदी के घर पहुँच कर अपनी माँ के पार्थिव देह के चरणों में श्रद्धानवतहुए।उन्होंने अपनी माँ की शव यात्रा को अपने परिवार के साथ कन्धा भी दिया।साथ ही माँ की पार्थिव देह कोमुखाग्नि देने के साथ ही अन्तिम संस्कार की सभी रस्मों को पूरा किया।

जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी की माताजी के देहावसान की खबर लोगों को लगी… तों लगा कि उनका पार्थिव शरीरकम से कम एक दिन के लिए अंतिम दर्शन के लिए रखा जावेगा….. फिर जैसा अन्य राजनेताओं के परिवारजनकी मृत्यु में होता है ,राजसी तरीके से अंतिम संस्कार होगा और …… पूरा अंतिम संस्कार का कार्यक्रम सियासीहो जाएगा लेकिन, ऐसा सोचते-सोचते जब लोगों ने टेलीविज़न ऑन….. किया तो देखा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी और उनके भाई पंकज भाई मोदी सहित परिवार के अन्य सदस्य तो माँ के पार्थिव शरीर को बिल्कुलसामान्य तरीके से लेकर… श्मशान पंहुच गए हैं मतलब इतने सामान्य तरीके से तो आम लोगो के परिवारों में भीदेखने में नही मिलता। मीडिया में आए फोटोज देखकर किसी को भी विश्वास नही हुआ कि विश्व के इतने बड़ेनेता…बाँस और घास की अर्थी पर चिर निंद्रा में सोई अपनी माँ की पार्थिव देह को कंधा देकर एक सामान्यव्यक्ति की तरह चल रहे है …..। वाकई भूतों न भविष्यति …. ये सब मोदीजी की इच्छा से ही हुआ ।ऐसे अद्भुतव्यक्तित्व को जन्म देने वाली माँ वाक़ई हीरा थी और उनका बेटा भी चौईस केरेट का हीरा ही निकला।

जो कन्धे सम्पूर्ण भारतवर्ष का भार संभालते हैं,उन कन्धों पर आज अपनी माताश्री का शव लेकर जब विश्व कासबसे बड़ा नेता नंगे पांव पूर्ण सादगी से श्मशान घाट की ओर जा रहा था तो यह दृश्य देख कर वाकई हर किसीकी आंखे नम हो गई। आम अवाम के अंतर्मन से यह भाव निकले कि ऐसे शिखर पुरुष को अपनी कोख से जन्मदेने वाली महान मां को शत-शत नमन और उस विराट व्यक्तित्व का भी शत-शत वन्दन जिसने अपनी मां को पूरेविश्व में परम पूज्य बना दिया।

वैसे इस धरा पर जो आया है वह जाएगा ही पर इस धरा पर आने के बाद उसने क्या किया वह ही रह जाएगा ।नियम,धर्म,संयम,त्याग,तपस्या मय रहने का उदाहरण देते हुए पूरे देश को एक यशस्वी प्रधानमंत्री प्रदान करनेवाली ममतामई मां का आज पृथ्वीलोक से देवलोक की ओर प्रस्थान हुआ है ।100 वर्ष सादगी और संयम सेजीने के बाद हीराबेन की ज्योति बुझ गई पर उसके द्वारा प्रदान और देश को समर्पित किया गया”दीपक” नरेंद्रमोदी का प्रकाश पूरे देश को प्रकाशवान कर रहा है। पुत्र हमेशा मां के नाम से जाना जाता है और आज हीराबेनका यह पुत्र पूरे भारत को विश्व गुरु बनाने की ओर अग्रसर है ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के इस निजी शोक से गमगीन हुए देशवासियों और देश विदेश के हर कोने से उन्हेंश्रद्धाजली अर्पित करने वाले लोगों के समाचारों और हीरा बाँ से जुड़े पुराने संस्मरणों से सभी टीवी चेनल्स, समाचार पत्र ,डिजिटल न्यूज़ पोर्टल, सोशल मीडिया के समस्त प्लेटफ़ोर्मस आदि अटेपटे दिखें।राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति,केन्द्रीय मंत्री परिषद के सदस्यों, प्रदेश के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और हर किसीराजनीतिक दल के नेताओं ने उन्हें भावभीनी श्रद्धाजली और श्रद्धासुमन अर्पित किए । राष्ट्रीय राजधानी नईदिल्ली और पूरे एनसीआर में सभी राजनीतिक, सामाजिक,धार्मिक, सांस्कृतिक, स्वयंसेवी आदि संस्थाओं कीओर से हीरा बॉ के लिए शोक सन्देश प्रसारित किए जा रहें हैं।

भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज विश्व के शिखर पुरुष हैं और एक शक्तिशाली राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष हैं परआज उनके सिर से मां का साया उठ गया जो कि निश्चय ही उनके जीवन की एक अपूरणीय क्षति है। दुःख कापहाड़ गिरने और इतने बड़े वज्रपात तथा माँ को खो देने की अपूरणीय क्षति के बावजूद मर्मान्त दुःख में डूबेप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के राजभवन पहुँचें और पश्चिम बंगाल में वन्दे भारत ट्रेन को हरी झंडी दिखाने केअपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में वर्चुअल ढंग से शामिल हुए।

इस घटना से देशवासी काफ़ी प्रभावित हुए और हर किसी ने यह उद्गार प्रकट किए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजैसे हीरे को जन्म देने वाली माँ के बताएँ कर्तव्य पथ पर निर्बाध चलते रहने वाले बेटे का यह अनुकरणीय कृत्यसबका मार्ग प्रशस्त करने वाला हैं। अपने कर्तव्य की पूर्ति के बाद प्रधानमंत्री मोदी पुनःअपने भाई के गाँधी नगरस्थित निवास पर गए और शोक सन्तप्त परिवार जनों को ढाँढस बन्धाया और फिर चल पड़े अपने अगले कर्तव्यपथ की तरफ…