बांग्लादेश की वर्तमान स्थिति भारत के लिए चेतावनी, देश की अखंडता और सांप्रदायिक संतुलन के लिए उठाए जाएं निर्णायक कदम : डॉ. राजेश्वर सिंह

The current situation of Bangladesh is a warning to India, decisive steps should be taken for the integrity of the country and communal balance: Dr. Rajeshwar Singh

रविवार दिल्ली नेटवर्क

लखनऊ : बांग्लादेश की अशांति भारत के लिए एक चेतावनी है, सीमा सुरक्षा कड़ी होनी चाहिए, पक्षपातपूर्ण नैरेटिव की जांच होनी चाहिए, सीएए को सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए और बहुत देर होने से पहले राष्ट्रीय अखंडता और सांप्रदायिक संतुलन की रक्षा के लिए निर्णायक कदम उठाने चाहिए। ये मांग उठाई है सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने।

डॉ. राजेश्वर सिंह ने मंगलवार को बांग्लादेश की ताजा स्थिति पर चिंता व्यक्त करते हुए अपने आधिकारिक एक्स (ट्विटर) पर पोस्ट कर 9 प्रमुख बिंदु रेखांकित किए।

1) विदेशी फंडेड पत्रकारों की जांच होनी चाहिए : विधायक ने लिखा विदेशी फंडिंग और विदेशी झुकाव वाले पत्रकार अक्सर ऐसी कहानियां गढ़ते हैं जो राष्ट्रीय हितों से मेल नहीं खातीं। उदाहरण के लिए, वर्तमान बांग्लादेश संकट में, जबकि प्रमुख मीडिया आउटलेट्स ने हिंदू विरोधी हिंसा का समर्थन करने वाले नैरेटिव को कवर किया, लेकिन वे जबरन इस्तीफे और हिंदुओं पर हमलों पर चुप रहे। ऐसे पक्षपाती आउटलेट्स पर निगरानी की जरूरत है

2) नरसंहार पर चयनात्मक आक्रोश खतरनाक: डॉ. राजेश्वर सिंह ने आगे लिखा बांग्लादेश में चल रहे हिंदू विरोधी नरसंहार के दौरान, प्रमुख भारतीय कथित ‘धर्मनिरपेक्ष’ आवाज़ें, एमनेस्टी इंटरनेशनल और यूएससीआईआरएफ जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन स्पष्ट रूप से चुप थे। इसके विपरीत, इन संस्थाओं ने गाजा में घटनाओं की मुखर रूप से निंदा कर अपने चयनात्मक दृष्टिकोण को उजागर किया। पक्षपाती और तथाकथित “भारत के स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष लोगों” पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए क्योंकि वे राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता के लिए संभावित खतरे हैं।

3) हिंदू जनसंख्या में गिरावट : निरंतर सतर्कता की आवश्यकता : डॉ. राजेश्वर सिंह ने आंकड़े प्रस्तुत कर बांग्लादेश में तेजी से घटती हिंदू आबादी को भारत के लिए खतरनाक बताते हुए लिखा, बांग्लादेश में हिंदू आबादी 1951 में 22.5% से घटकर आज लगभग 7.5% रह गई है। हिंसा, भेदभाव और जबरन प्रवासन से प्रेरित जनसंख्या में भारी गिरावट लक्षित जनसांख्यिकीय क्षरण की स्पष्ट कहानी कहती है। इसी तरह की प्रवृत्ति भारत में भी दिखाई दे रही है, जहां हिंदू आबादी 1951 में 84.1% से घटकर 2011 में 79.8% हो गई है। हिंदुओं की यह गिरावट कुछ राज्यों में तो खतरनाक रुझानों को इंगित करती है।

डॉ. सिंह ने राज्यों का उल्लेख करते हुए आगे जोड़ा केरल- 1951 में हिंदू जनसंख्या 61.6% थी जो 2011 में 54.7% रह गई, इसी तरह पश्चिम बंगाल में हिंदू जनसंख्या 1951 में 78.45% से 2011 में 70.5% रह गई, उत्तर प्रदेश में 1951 में हिंदू आबादी 84.8% से घटकर 2011 में 79.7% हो गई, ये जनसांख्यिकीय परिवर्तन निरंतर सतर्कता की आवश्यकता का संकेत देते हैं।

4) जबरन इस्तीफों पर वैश्विक चुप्पी डॉ. राजेश्वर सिंह ने लिखा कि बांग्लादेश की रिपोर्ट और वीडियो से पता चलता है कि हिंदू शिक्षकों, पुलिस अधिकारियों और अधिकारियों को केवल उनके धर्म के आधार पर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, पीटा जा रहा है और अपमानित किया जा रहा है। इतने ज़बरदस्त उत्पीड़न के बावजूद, अंतर्राष्ट्रीय संगठन काफी हद तक चुप रहे हैं। यह उदासीनता संकेत देती है कि वैश्विक मानवाधिकार वकालत अक्सर चयनात्मक और राजनीति से प्रेरित होती है, जो सभी भारतीयों से पक्षपातपूर्ण अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों से सावधान रहने का आग्रह करती है।

5) सीमा पर चरमपंथी खतरों में वृद्धि: सरोजनीनगर विधायक ने चिंता व्यक्त करते हुए आगे लिखा शेख हसीना के संभावित निष्कासन के साथ, पाकिस्तान से मजबूत संबंध वाले जमात-ए-इस्लामी जैसे चरमपंथी समूह बांग्लादेश में अपनी पकड़ बना रहे हैं। इससे बांग्लादेश के साथ भारत की 4,096 किलोमीटर लंबी खुली सीमा पर घुसपैठ और सुरक्षा खतरों का खतरा बढ़ गया है।

6) आर्थिक संबंधों पर प्रभाव: बांग्लादेश के साथ आर्थिक संबंधों पर चिंता व्यक्त करते हुए डॉ. सिंह ने आगे लिखा शेख हसीना के शासनकाल में, बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जिसका द्विपक्षीय व्यापार 13 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। सत्ता परिवर्तन और बढ़ती भारत विरोधी भावनाएँ इन आर्थिक संबंधों को खतरे में डाल सकती हैं।

7) जलवायु शरणार्थी संकट: डॉ. सिंह ने आगे लिखा जलवायु परिवर्तन के कारण 2050 तक बांग्लादेश की 11% भूमि के जलमग्न होने का खतरा है, जिससे संभावित रूप से 1.8 करोड़ लोग विस्थापित होंगे। इससे भारत में जलवायु शरणार्थियों का बड़े पैमाने पर आगमन हो सकता है, जिससे पूर्वोत्तर राज्यों में संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है। भारत को सीमा नियंत्रण को मजबूत करके और व्यापक शरणार्थी प्रबंधन नीतियों को विकसित करके इस स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।

8) बांग्लादेश के कोटा सुधार से सबक: छात्रों के विरोध के जवाब में शेख हसीना द्वारा सरकारी नौकरियों में 56% आरक्षण को समाप्त करना भारत के लिए एक सबक के रूप में कार्य करता है।

9) नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को मजबूत करना: बांग्लादेश की हिंदू आबादी में तेज गिरावट और चल रहे उत्पीड़न भारत में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को मजबूत करने की तात्कालिकता को उजागर करते हैं। पड़ोसी देशों से सताए गए हिंदुओं के लिए ‘वापसी का अधिकार’ प्रदान करने के लिए इस अधिनियम का विस्तार करना।

विधायक ने विपक्षी दलों पर तीखा हमला करते हुए आगे लिखा कांग्रेस, समाजवादी पार्टी आदि द्वारा CAA का विरोध भारतीय राजनीतिक दलों के रवैये को दर्शाता है कि वे कितने हिंदू विरोधी हैं। और सत्ता हासिल करने के लिए वे देश की कीमत पर तुष्टिकरण की राजनीति के लिए किस हद तक जा सकते हैं।

बता दें कि सरोजनीनगर से भाजपा विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह पूर्व प्रशासनिक अधिकारी हैं जो प्रवर्तन निदेशालय के संयुक्त निदेशक रह चुके हैं, इसके अलावा वे सर्वोच्च न्यायालय के प्रैक्टिशनर लॉयर भी है। डॉ. सिंह देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा, संप्रभुता से संबंधित विषयों पर तथ्यों के साथ अपनी बात मजबूती से रखने के लिए जाने जाते हैं।