राजस्थान विधानसभा में पक्ष और प्रतिपक्ष के मध्य लगातार सात दिनों से जारी गतिरोध का हुआ पटाक्षेप

The deadlock that had been going on for seven consecutive days between the party and the opposition in the Rajasthan Assembly was resolved

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की पहल को सभी ने सराहा

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान विधानसभा में पक्ष और प्रतिपक्ष के मध्य लगातार सात दिनों से चल रहा गतिरोध पहले सदन के नेता मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा और प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली के मध्य हुई वार्ता और बाद में विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी के चैंबर में हुई बैठक के बाद कांग्रेस विधायकों के सदन में लौटने के साथ ही आखिरकार समाप्त हो गया हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कैबिनेट मंत्री अविनाश गहलोत द्वारा दिवंगत प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के बारे में की गई टिप्पणी को कार्यवाही से हटाने की बात कहने तथा प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली द्वारा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष वरिष्ठ विधायक गोविंद सिंह डोटासरा के सदन में आसन के समक्ष किए गए आचरण और टिप्पणी के लिए माफी मांगने के बाद राज्य विधानसभा की कार्यवाही गुरुवार अपराह्न सुचारू रूप से फिर से शुरू हुई।

राजनीतिक जानकारों के अनुसार विधानसभा में एक सप्ताह से जारी इस गतिरोध को दूर करने के लिए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा द्वारा की गई पहल की सभी ओर से प्रशंसा हो रही हैं। साथ ही विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा भी आसन की गरिमा और सम्मान के साथ किसी प्रकार का समझौता नहीं करने से सभी की नजरों में उनका कद और सम्मान और अधिक बढ़ गया हैं।

राजनीतिक जानकारों का यह भी मानना हैकि राजस्थान विधानसभा में सरकारी पक्ष में अनुभवी मंत्रियों और अपेक्षित फ्लोर मैनेजमेंट तथा प्रतिपक्ष में भी वरिष्ठतम नेताओं की प्रायः अनुपस्थिति में इसी प्रकार की कमी देखें जाने के कारण विधानसभा में आए दिन ऐसी परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा हैं। यहीं कारण है कि विधानसभा अध्यक्ष देवनानी को कई बार मध्यस्थता के लिए आगे आना पड़ता है और स्पीकर देवनानी ने विधानसभा में संसद की तरह सर्वदलीय बैठक की परम्परा की शुरुआत कर विधानसभा को भलीभांति संचालित करने का मोर्चा संभालने का काम किया है। भजनलाल मंत्रिपरिषद के अधिकांश मंत्री नए हैं और अनुभव की यह कमी कई बार विधानसभा में प्रश्नों के सही तरीके से जवाब देने में भी झलक कर सामने आती हैं। हालांकि संसदीय कार्यमंत्री सहित सभी नए मंत्री अब धीरे-धीरे संसदीय कार्यों का अनुभव अर्जित कर आगे बढ़ रहें है फिर भी जानकारों का मानना है कि कई बार मंझे मजाये और तेजतर्रार मंत्रियों के तरह हाजिर जवाबी की कमी फिर भी सभी को खलती ही हैं।

राजस्थान विधानसभा में इन दिनों बजट सत्र चल रहा है और इसी सत्र में प्रदेश का बजट भी पारित होना हैं। विधानसभा में आने वाले दिनों की कार्यसूची भी तय की जा चुकी है। ऐसी परिस्थितियों में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का अपने वक्तव्य में यह कहना कि सदन को चलाना सत्ता और विपक्ष दोनों की जिम्मेदारी है,को सराहा जा रहा हैं। मुख्यमंत्री शर्मा ने स्पीकर वासुदेव देवनानी से भी यह आग्रह कर कि मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी को कि सदन की कार्यवाही से हटाया जाए, प्रतिपक्ष का दिल भी जीत लिया हैं। सीएम ने यह भी कहा कि विपक्ष हमारी ताकत है और हमें इसे सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री शर्मा ने जिस प्रकार की राजनीतिक परिपक्वता दर्शा कर विधानसभा में चल रहें गतिरोध को तोड़ने में जो अहम भूमिका निभाई है वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक अच्छा संकेत हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सदस्यों को यह नसीयत भी दी कि हम सदन में जो भी कहें, वह सोच-समझ कर ही बोलें। जन प्रतिनिधियों को जनता के बीच अपनी छवि का ध्यान रखना होगा। अगर किसी सदस्य के मुंह से गलत बात निकलती है, तो उसे भी रात को नींद नहीं आती, उसे पश्चाताप होता है। इसलिए हमें हमेशा बहुत सोच-समझ कर ही बोलना चाहिए।

इधर प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने भी मुख्यमंत्री शर्मा और विधानसभा अध्यक्ष देवनानी द्वारा सदन में चल रहे गतिरोध को दूर करने के प्रयासों की सराहना करते हुए स्वीकार किया कि उनके वरिष्ठ गोविंद सिंह डोटासरा का आचरण और टिप्पणी आसन की गरिमा के अनुकूल नहीं थी। इसके लिए मैं माफी चाहता हूं, इसमें मुझे कोई संकोच नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा जी गांधी पर मंत्री द्वारा की गई टिप्पणी के कारण यह विवाद बढ़ा था, लेकिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गतिरोध खत्म करने के लिए वार्ता कर समाधान निकाला हैं। जूली ने कहा कि अगर यही वार्ता पहले हो जाती तो न हमें सदन में सोना पड़ता, न सड़कों पर धरना देना पड़ता। उन्होंने शायराना अंदाज में कहा कि “बिखरे-बिखरे न तुम अच्छे लगते हो, न हम।” प्रतिपक्ष के नेता जूली ने अपने भाषण में डबल इंजन सरकार पर एक कविता भी पढ़ी और सत्ता पक्ष भाजपा पर कई कटाक्ष किए।

गुरुवार को सदन में विधानसभा अध्यक्ष देवनानी पिछले दिनों के घटनाक्रम से अभी भी आहत दिखें, लेकिन उन्होंने सधे हुए शब्दों में कहा कि सदन में आसन के समक्ष जो कुछ हुआ वह अशोभनीय और क्षमा योग्य नहीं था लेकिन आसन का सम्मान और विधानसभा के नियम एवं मर्यादाएं बनाए रखने के लिए भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं दोहराई जाएं,यह सुनिश्चित करना अब दोनों पक्षों की सामूहिक जिम्मेदारी हैं। देवनानी ने कहा कि यह घटना बहुत गंभीर और चिंतनीय थी। मैंने अपने संसदीय जीवन में इस तरह की भाषा कभी नहीं सुनी। मुझे इस बात का भी दुःख है कि सदन में प्रतिपक्ष के किसी साधारण सदस्य ने नहीं, बल्कि एक वरिष्ठतम सदस्य ने ऐसा आचरण किया कि उसमें मुझे इतना समय तक नहीं दिया गया कि मैं मंत्रीजी के भाषण को सुन उस पर उचित व्यवस्था दे सकूं। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष को काफी धैर्य रखना चाहिए और अध्यक्ष के फैसले पर विश्वास भी करना चाहिए। साथ ही जिस सदस्य के शब्दों के लिए प्रतिपक्ष के नेता ने माफी मांगी हैं और खेद प्रकट किया है, उन्हें भी अपने आचरण और अनुशासन में सुधार करना होगा। देवनानी ने कहा कि मैने सदन में अनुशासन के लिए ही यह व्यवस्था दी है कि भविष्य में कोई भी सदस्य आसन के समक्ष अमर्यादित आचरण करेगा तो वह संसद की व्यवस्था की तरह स्वतः ही निलम्बित माना जाएगा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने संसदीय कार्यमंत्री जोगाराम पटेल से कांग्रेस के छह निलंबित विधायकों को बहाल करने का प्रस्ताव रखने को कहा l

इसके पहले गुरुवार को सवेरे राज्य विधानसभा की कार्यवाही प्रश्नकाल के साथ शुरू हुई लेकिन कांग्रेस के सदस्यों ने विधानसभा का बहिष्कार जारी रखते हुए विधानसभा परिसर के बाहर गेट पर समानांतर विधानसभा की कार्यवाही चलाई जिसमें बकायदा एक विधायक को स्पीकर भी बनाया गया। प्रश्न पूछे गए और हंगामा भी किया गया ।

बहरहाल अब पक्ष-विपक्ष के बीच पिछले एक सप्ताह से राज्य विधानसभा में चला आ रहा गतिरोध का पटाक्षेप होने से यह उम्मीद की जा रही है कि विधानसभा में बजट सत्र के शेष दिनों में सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेंगी और राज्य का बजट पारित होने के साथ ही आम आवाम से जुड़ी समस्याओं पर विधानसभा में सार्थक चर्चा होकर उनका समाधान निकाला जायेगा।