साबरमती ट्रेन पलटाने की साजिश रचने वाले हैवान

The devils who conspired to overturn the Sabarmati train

अजय कुमार

लखनऊ : इंसान से इंसान का हो भाई चारा, यही पैगाम हमारा। यह सदाबाहर गीत अक्सर पन्द्रह अगस्त, 26 जनवरी या फिर अन्य किसी मौके पर भाईचारा मजबूत करने के सुनने को मिल जाता है,लेकिन हो इसके उलट रहा है। इंसान ही इंसान का दुश्मन बनता जा रहा है। इसीलिये तो गत दिनों साबरमती एक्सप्रेस को पलटाने के लिए झांसी सेक्शन के पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में रेल ट्रैक पर 90 आर रेल का टुकड़ा (पटरी का टुकड़ा) रखा गया था। यह पटरी का टुकड़ा इंजन के कैटल गार्ड से टकराने के बाद तिरछा हो गया और उससे सटे यात्री कोच को डिरेल कर दिया। इसके बाद सभी कोच एक-एक कर डिरेल होते गए।

यह पटरी का टुकड़ा करीब 26 साल पुराना बताया जा रहा है। तब इसी तरह की पटरी का प्रयोग ट्रेनों के संचालन के लिए रेलवे करता था। यह बात एसएजी की प्राथमिक जांच में निकलकर सामने आयी है। गौरतलब है कि दुर्घटना के बाद यह अंदेशा जताया था कि रेलवे ट्रैक पर मिले पटरी के टुकड़े को रेल ट्रैक पर बांधकर साबरमती एक्सप्रेस को पलटाने की साजिश रची गई थी। एसएजी की जांच भी अब इसी दिशा की ओर बढ़ रही है। गौरतलब हो झांसी सेक्शन के पनकी इंडस्ट्रियल एरिया में स्वतंत्रता दिवस के दूसरे दिन 16 अगस्त की रात 2.35 बजे अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हो गई थी। इस दुर्घटना की जांच के लिए रेलवे ने एसएजी (वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड) की टीम गठित की थी। एसएजी की टीम ने तीन दिनों तक कानपुर में रहकर घटना के कारणों की जांच पड़ताल की। अप और डाउन ट्रैक के बीच मिले पटरी के टुकड़े और इंजन में लगे स्पीडोमीटर की भी जांच की गई। टीम ने पटरी के टुकड़े को रेल ट्रैक पर बांधकर भी देखा था।

जानकारों के मुताबिक पटरी के टुकड़े का परीक्षण किया गया तो पता चला कि वर्ष 1998 तक रेलवे ऐसी ही पटरी का प्रयोग ट्रेनों के संचालन में करता रहा है। इसकी लंबाई और चौड़ाई मौजूद रेल ट्रैक से भिन्न होती है। इसी नाप के आधार पर अधिकारी इस टुकड़े को 90 आर मानकर चल रहे हैं।