संजीव ठाकुर
हिंदुओं का पवित्र प्रकाश पर्व दीपावली न सिर्फ हिंदुस्तान में मनाया जाता है बल्कि पूरे विश्व के धूमधाम से धार्मिक स्वरूप लिए हुए मनाया जाता है| भारत देश में संपूर्ण 1३1 करोड़ जनता किसी न किसी रूप से दिपवाली पर्व से जुड़ी हुई है| हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई इस पर्व को पुरे हर्ष उल्लास के साथ मनाते हैं| दीपावली धन समृद्धि और विकास के लिए मनाया जाता है महालक्ष्मी का त्यौहार सबके लिए एवं धन के आगमन का प्रतीक मानकर किसकी पूजा की जाती है| |वैसे तो महालक्ष्मी संपूर्ण जगत का वैभव ऐश्वर्य प्रदान करने वाली शक्ति मानी जाती है और इन्हीं की महती कृपा से संसार के समस्त जीव जंतु संपूर्ण समृद्धि को प्राप्त करते हैं इन्हीं की बदौलत अन्न जल और वस्त्र,आभूषण प्राप्त कर अपना जीवन सुख शांति से यापन करते हैं, पुराणों में तथा ग्रंथों में मां लक्ष्मी के अनेक रूप प्रचलित स्थापित है दीपावली का स्वरूप अलग-अलग हाथों में में अंतरराष्ट्रीय ही है इसे वैश्विक स्तर पर एश्वर्य तथा लक्ष्मी के आगमन का त्यौहार और कई देश दीप प्रज्वलन तथा प्रकाश जलाकर धूमधाम से मनाते हैं और पटाखों से अपनी खुशी का प्रदर्शन भी करते हैं| इस अवसर पर मेवों तथा खोवे से बनी मिठाइयों से मुंह मीठा कर खुशियां आदान प्रदान की जाती है हिंदुस्तानी नागरिक जिन देशों में जाकर बसे हुए हैं वे इस महालक्ष्मी की पूजा को बड़े ही पारंपरिक तरीके से बनाया करते हैं इन देशों में अमेरिका ब्रिटेन कनाडा ऑस्ट्रेलिया इटली फ्रांस एवं दक्षिण अफ्रीका के कई देश और न्यूजीलैंड आदि देशों में त्यौहार पूर्वक मनाया जाता है|
मूल अवधारणा स्वरूप यह त्यौहार मां महालक्ष्मी को पूजने का त्योहार माना जाता है महालक्ष्मी के पूजन के साथ-साथ अन्य देवी देवताओं का पूजन किया जाता है ग्रंथों मैं यह लिखा पाया गया है की लक्ष्मी जी जब समस्त देवी देवताओं के साथ राजा बलि के यहां बंधक थी तब भगवान विष्णु ने अपने पराक्रम से सभी देवी देवताओं के साथ लक्ष्मी जी को भी राजा बलि की कैद से मुक्त कराया था| तब महालक्ष्मी सभी देवताओं के साथ छीर सागर निद्रा में लींन हो गई थी और तब से मां लक्ष्मी के साथ अन्य देवी देवताओं को पूजने का यही आग्रह और उद्देश्य है की क्षीरसागर को छोड़कर मां महालक्ष्मी समस्त देवी देवताओं को लेकर हमारे घर पधारे, इस तरह लक्ष्मी जी की कृपा के साथ-साथ अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी हमारे घर में सदैव सदैव बनी रहे|
दीपावली के दिन मुहूर्त के समय व्यापारी वर्ग अपने प्रतिष्ठान मैं व्यापारिक क्षेत्र में दिन में लक्ष्मी जी का पूजन करते हैं और फिर वही ग्रस्त व्यक्ति सायंकाल प्रदोष काल में महालक्ष्मी का आह्वान करते है| गोधूलि बेला से लेकर महा निषेध काल तकअपनी-अपनी क्षमता तथा सामर्थ्य के हिसाब से महालक्ष्मी के पूजन को निरंतर जारी रखा जाता है |व्यापारी पूजन को धन की देवी लक्ष्मी से अपने मित्र को तथा समृद्धि की विधि के लिए आराधना एवं कामना करते हैं एवं ग्रस्त व्यक्ति अपनी संपत्ति और ऐश्वर्य के लिए मां लक्ष्मी का पूजन बहुत ही साथियों के रूप से करते हैं| इसी तरह कुछ साधु संत तांत्रिक अपने अपने रीति नीति के तरीके से कुछ विशेष सिद्धियां अर्जित करने के लिए रात्रि काल में तांत्रिक घट कर्म भी किया करते हैं| और सब का उद्देश्य समृद्धि और धन लाभ ही हुआ करता है|
मां महालक्ष्मी के कई विराट स्वरूप भी स्वास्थ्य तथा ग्रंथों में अभी वर्णित जिनमें प्रमुख रूप से मां लक्ष्मी ऐश्वर्या कल्याण की वृद्धि करने वाली माता पूरे विश्व में सर्व विदित है, दूसरी महेश मर्दिनी मां है इनका उल्लेख मार्कंडेय पुराण में प्राप्त होता है इस पुराण के अनुसार दुर्गा सप्तशती के रूप में भी मानी जाती है| तृतीय कमला कमल आसींन रहने के कारण इन्हें कमला कहा जाता है| इसी तरह भ्रूगतनया,समुद्रनया, रमा, श्री, कीर्ति, जया, माया, वैष्णवी, सीता, राधा एवं रुक्मणी, आदिलक्ष्मी, ऐश्वर्या लक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी,गजलक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी, विजयलक्ष्मीइस तरह इस तरह महालक्ष्मी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा कर धन-धान्य से परिपूर्ण होने की कामना तथा निवेदन किया जाता है| दीपावली धार्मिक त्यौहार है बल्कि इससे करोड़ों लोगों को व्यवसाय भी प्राप्त होता है| दीपावली का त्यौहार हिंदुस्तान में एक बड़े बाजार के रूप में वैसे व्यापारियों को आकर्षित करता है कपड़े से लेकर सौंदर्य प्रसाधन आभूषण एवं पटाखों मिठाइयों शरीर के नक्शे शिख तक यह त्यौहार लोगों की समृद्धिऔर विकास तथा धन धन्य का परिचय एवं प्रतीक इससे धार्मिक स्थल पर एवं घरों से लेकर शहर तक साफ सफाई का भी प्रयोजन किया जाता है इस तरह दिवाली पूरे विश्व में धूमधाम से मनाई जाती है होली की शुभकामनाओं के साथ सादर|