
मुंबई (अनिल बेदाग) : अर्धनारीश्वर क्रिएशंस के बैनर तले बनी फीचर फिल्म “आराध्य” 18 जुलाई को रिलीज़ होने जा रही है जिसके निर्माता प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा (डैडी) व सह निर्माता तुषार शर्मा हैं। फिल्म के लेखक और निर्देशक हैं सुजीत गोस्वामी। फिल्म की पूरी शूटिंग चुनार मिर्जापुर मे हुई है। इसका टीजर व ट्रेलर गत दिनो सोशल मीडिया रिलीज हो चुका है जिसे सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है।
फिल्म के निर्देशक सुजीत गोस्वामी बनारस के रहने वाले हैं। उनके लेखन व निर्देशन मे यह दूसरी फिल्म है। इसके पहले इन्होंने मंच पर नाटक, कई धारावाहिकों में अभिनय, निर्देशन व लेखन किया है। कई बड़े बैनर जैसे यश राज प्रोडक्शन हाउस, धर्मा,फैंटम आदि में अभिनेता व लाईन प्रोड्यूसर के तौर पर सक्रिय रहे हैं।आज सुजीत हिंदी फिल्मों मे लेखन निर्देशन मे तेजी से स्थापित होते जा रहे हैं।
अब बात अगर इनके आगामी फिल्म के बारे मे की जाए तो निर्माता प्रोफेसर अमरनाथ शर्मा (डैडी) के मन मे सत्य नारायण भगवान पर सिनेमा बनाने का विचार आया तो वह डायरेक्टर की तलाश करने लगे। इसी कड़ी मे उनका संपर्क सुजीत गोस्वामी से हुआ। मगर प्रोड्यूसर के विचार सुनने के बाद सुजीत ने फिल्म करने से इनकार कर दिया और कहा कि फिल्म आप किसी और से करवा लीजिए। दोनों के बीच कई बार मीटिंग्स हुई। आखिरकार निर्माता ने उदास मन से सुजीत से कहा कि मेरी इस आखिरी इच्छा को सिर्फ तुम ही पूरा कर सकते हो और तुम्हें यह फिल्म करनी ही पड़ेगी।
बड़े ही हक से बोला गया वाक्य सुनकर सुजीत कुछ नहीं बोल पाए। वह चुप हो गए। डेढ़ साल मान मनौवल के बाद सुजीत ने मौन स्वीकृति दे दी। ना चाहते हुए भी इस तरह से सुजीत गोस्वामी की दूसरी फिल्म का शुभारंभ हुआ।
कहानी लिखने का दौर शुरू हुआ। चार-पांच लेखकों को सत्य नारायण भगवान के ऊपर कहानी लिखने को कहा गया। सबकी कहानी सुनी गई मगर किसी की भी कहानी मे नयापन नहीं मिला। अंत में सुजीत गोस्वामी को आदेश दिए कि अब तुम ही लिखो। कुछ महीने बाद सुजीत ने अपनी कहानी आराध्य सुनाई जिसे सुनकर सभी ने प्रशंसा की।
फिल्म आराध्य की कहानी कुछ इस प्रकार है कि सत्य नारायण भगवान के कथावाचक शास्त्री जी (ज्ञान प्रकाश) जो कि लोगों को सत्य की कहानी सुनाते मगर उस पर खुद अमल नहीं करते थे। उनके बड़बोलेपन से परिवार बर्बाद हो जाता था। शास्त्री जी को सबक सिखाने व सत्य का पाठ पढ़ने की जद्दोजहद ही फिल्म की पूरी कहानी है कि क्या उपाय कर नायक (राजा गुरु) शास्त्री जी को सत्य का पाठ पढ़ता व समझता है। सुजीत जी ने कहा कि यह कहानी हमें बताती है कि हम अगर अपने पौराणिक कथाओं का मर्म समझे और हम अपने संस्कारों की डोर पकड़कर चलते रहे तो हमसे कभी भी गलती से भी कोई भूल नहीं होगी। इस कहानी मे बहरूपिया की खास भूमिका में हैं (पंकज बैरी) एवं खलनायक की भूमिका मे हैं (दीपक शर्मा)। फिल्म राजागुरु, रूपाली जाधव, ज्ञान प्रकाश, पंकज बैरी, मेहनाज श्रॉफ, नीलम पांडे,जेपी सिंह, दीपक शर्मा और कपिल लालवानी की अहम भूमिका है। संगीत दिया है आशीष डोनाल्ड ने। गीत बृजेंद्र त्रिपाठी, राशीतोषी और सुजीत गोस्वामी के हैं। संगीत को शुरू से सजाया है शाहिद माल्या, राहुल सक्सेना, फराद भिवंडी वाला और क्रूतिका श्रीवास्तव, दीपक बनसोडे और हरमान नाजिम ने। फिल्म के स्क्रीन प्ले राइटर सौरभ शुक्ला हैं। संवाद लिखे हैं राधेश्याम चौरसिया ने। फोटोग्राफी महिंद्रा मगंती की है।