
अशोक भाटिया
अमेरिका एक बार फिर सरकारी गतिविधियों के ठप होने की कगार पर खड़ा है। सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी ने अस्थायी फंडिंग विधेयक पास कराने की कोशिश की, लेकिन उन्हें 60 मतों की जरूरत थी, जबकि केवल 55 वोट ही मिले। इससे पहले, सत्ताधारी रिपब्लिकन पार्टी ने अल्पकालिक उपाय के रूप में ट्रंप प्रशासन को 21 नवंबर तक फंड उपलब्ध कराने के लिए सीनेट में अस्थायी फंडिंग बिल पेश किया था। लेकिन देर रात तक चलने वाली बहस के बाद यह प्रस्ताव असफल हो गया। सीनेट में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स के बीच जोरदार विवाद देखने को मिला। आखिरकार, 100 सदस्यीय सीनेट में इसे पास कराने के लिए आवश्यक 60 वोट नहीं जुट सके और यह प्रस्ताव 55-45 के अंतर से गिर गया।परिणामस्वरूप यह बिल विफल हो गया और अब कई संघीय विभागों की गतिविधियां ठप होने की स्थिति में हैं। अमेरिकी कानून के अनुसार, बजट या अस्थायी फंडिंग बिल पास न होने पर ‘गैर-जरूरी’ सरकारी सेवाओं को रोकना अनिवार्य होता है।
रिपब्लिकन और डेमोक्रेट्स दोनों पक्षों ने एक-दूसरे को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार ठहराया है। डेमोक्रेट्स चाहते थे कि स्वास्थ्य सेवा संबंधी मुद्दों को विधेयक में शामिल किया जाए। वे इस अस्थायी फंडिंग बिल में संशोधन करना चाहते हैं ताकि लाखों अमेरिकियों को स्वास्थ्य लाभ मिल सके, जबकि रिपब्लिकन का कहना है कि उन्हें इस मुद्दे से अलग से निपटना होगा।मंगलवार को अमेरिका को छह साल में पहली बार शटडाउन का सामना करना पड़ सकता है। डेमोक्रेट्स और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच मतभेदों ने फंडिंग बढ़ाने की आखिरी कोशिश को नाकाम कर दिया। सीनेटरों की यह कोशिश विफल रही कि फंडिंग जारी रहे और सरकार सामान्य रूप से काम करती रहे।
ज्ञात हो कि सरकारी शटडाउन तब होता है, जब कांग्रेस संघीय एजेंसियों को चलाने के लिए वार्षिक व्यय विधेयकों पर सहमत नहीं हो पाती। एंटीडेफिशिएंसी एक्ट एजेंसियों को बिना अनुमति के पैसा खर्च करने से रोकता है, इसलिए जब पैसा खत्म हो जाता है, तो सरकार का ज्यादातर काम भी बंद हो जाता है।अमेरिकी सरकार के अलग-अलग विभागों को चलाने के लिए भारी मात्रा में फंड की जरूरत होती है। इसके लिए संसद (कांग्रेस) से बजट या फंडिंग बिल पारित कराना जरूरी होता है। लेकिन जब राजनीतिक मतभेद या गतिरोध की वजह से तय समयसीमा में फंडिंग बिल पारित नहीं हो पाता, तो सरकार के पास कानूनी रूप से खर्च करने के लिए फंड नहीं बचता। ऐसी स्थिति में अमेरिकी सरकार को अपनी गैर-जरूरी सेवाएं बंद करनी पड़ती हैं, जिसे सरकारी शटडाउन कहा जाता है। यह आमतौर पर अस्थायी होता है, लेकिन इस बार ट्रंप कई विभागों को स्थायी रूप से बंद करने और हजारों कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की तैयारी में हैं।अगर समय सीमा बीत जाती है तो एजेंसियों को ‘गैर-अपवादित’ कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना शुरू करना होगा। विशेष रूप से वे कर्मचारी जो जीवन या संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित नहीं हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 35 दिनों के बंद के दौरान, 340,000 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा गया था, जबकि बाकी कर्मचारियों ने सरकार के फिर से खुलने तक बिना वेतन के काम किया।इस बार, एफबीआई जांच, सीआईए ऑपरेशन, हवाई यातायात नियंत्रण, सैन्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा जांच, मेडिकेयर दावे और पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण कार्य जारी रहेंगे। डाक वितरण भी अप्रभावित रहेगा क्योंकि अमेरिकी डाक सेवा अपने स्वयं के राजस्व पर चलती है।लेकिन कई एजेंसियां अपने काम में भारी कटौती करेंगी। शिक्षा विभाग अपने करीब 90% कर्मचारियों की छंटनी करेगा, हालांकि छात्र सहायता जारी रहेगी। स्मिथसोनियन संग्रहालय और राष्ट्रीय चिड़ियाघर अपने दरवाज़े बंद कर देंगे। FDA ने दवा और उपकरणों की मंज़ूरी में देरी की चेतावनी दी है। और राष्ट्रीय उद्यान सेवा कुछ स्थलों के दरवाज़े बंद कर देगी, जबकि अन्य सीमित कर्मचारियों के साथ खुले रहेंगे।
सरकारी शटडाउन तब होता है, जब कांग्रेस संघीय एजेंसियों को चलाने के लिए वार्षिक व्यय विधेयकों पर सहमत नहीं हो पाती। एंटीडेफिशिएंसी एक्ट एजेंसियों को बिना अनुमति के पैसा खर्च करने से रोकता है, इसलिए जब पैसा खत्म हो जाता है, तो सरकार का ज्यादातर काम भी बंद हो जाता है।अमेरिकी सरकार के अलग-अलग विभागों को चलाने के लिए भारी मात्रा में फंड की जरूरत होती है। इसके लिए संसद (कांग्रेस) से बजट या फंडिंग बिल पारित कराना जरूरी होता है। लेकिन जब राजनीतिक मतभेद या गतिरोध की वजह से तय समयसीमा में फंडिंग बिल पारित नहीं हो पाता, तो सरकार के पास कानूनी रूप से खर्च करने के लिए फंड नहीं बचता। ऐसी स्थिति में अमेरिकी सरकार को अपनी गैर-जरूरी सेवाएं बंद करनी पड़ती हैं, जिसे सरकारी शटडाउन कहा जाता है। यह आमतौर पर अस्थायी होता है, लेकिन इस बार ट्रंप कई विभागों को स्थायी रूप से बंद करने और हजारों कर्मचारियों को नौकरी से हटाने की तैयारी में हैं।
अगर समय सीमा बीत जाती है तो एजेंसियों को ‘गैर-अपवादित’ कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजना शुरू करना होगा। विशेष रूप से वे कर्मचारी जो जीवन या संपत्ति की सुरक्षा से संबंधित नहीं हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में 35 दिनों के बंद के दौरान, 340,000 कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजा गया था, जबकि बाकी कर्मचारियों ने सरकार के फिर से खुलने तक बिना वेतन के काम किया।इस बार, एफबीआई जांच, सीआईए ऑपरेशन, हवाई यातायात नियंत्रण, सैन्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा जांच, मेडिकेयर दावे और पूर्व सैनिकों की स्वास्थ्य सेवा जैसे महत्वपूर्ण कार्य जारी रहेंगे। डाक वितरण भी अप्रभावित रहेगा क्योंकि अमेरिकी डाक सेवा अपने स्वयं के राजस्व पर चलती है।लेकिन कई एजेंसियां अपने काम में भारी कटौती करेंगी। शिक्षा विभाग अपने करीब 90% कर्मचारियों की छंटनी करेगा, हालांकि छात्र सहायता जारी रहेगी। स्मिथसोनियन संग्रहालय और राष्ट्रीय चिड़ियाघर अपने दरवाज़े बंद कर देंगे। FDA ने दवा और उपकरणों की मंज़ूरी में देरी की चेतावनी तो दी ही है। और राष्ट्रीय उद्यान सेवा कुछ स्थलों के दरवाज़े बंद कर देगी, जबकि अन्य सीमित कर्मचारियों के साथ खुले रहेंगे।
समाचारों के अनुसार कांग्रेस में लगातार चर्चा के बावजूद दोनों पक्ष वित्तीय वर्ष की समाप्ति से पहले किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए थे । सीनेट के रिपब्लिकन सदस्यों ने सदन द्वारा पारित अस्थायी फंडिंग विधेयक पर समर्थन जुटाने की कोशिश की, लेकिन डेमोक्रेट्स की आवश्यक संख्या नहीं मिली। राष्ट्रपति ट्रंप ने मतदान से पहले कहा, “शायद सरकार बंद हो जाएगी,” यह स्पष्ट संकेत था कि स्थिति गंभीर है। व्हाइट हाउस में हुई अंतिम बैठक में भी कोई समझौता नहीं निकला। सीनेट के डेमोक्रेट नेता चक शूमर ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच मतभेद गहरे हैं और बातचीत तनावपूर्ण रही।
इस साल व्हाइट हाउस में उनकी वापसी के बाद यह पहला शटडाउन है। उनका रिकॉर्ड एक ऐसे राजनीतिक माहौल में बजट प्राथमिकताओं को लेकर ध्रुवीकरण को रेखांकित करता है जो पारंपरिक समझौतों के बजाय कठोर रुख को तरजीह देता है। डेमोक्रेट्स ने राष्ट्रपति पर फोड़ा ठीकरा डेमोक्रेटिक नेता हकीम जेफ्रीज और चक शूमर इसका दोष सीधे राष्ट्रपति और रिपब्लिकन पर डाल रहे हैं।डेमोक्रेटिक नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, ”महीनों तक जिंदगी को मुश्किल और आवश्यक वस्तुओं की कीमतें महंगी करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप और रिपब्लिकन ने अब संघीय सरकार को बंद कर दिया है क्योंकि वे अमेरिकी लोगों की स्वास्थ्य सेवा की रक्षा नहीं करना चाहते।”
अंतरराष्ट्रीय और घरेलू ध्यान खींचने वाली बातचीत के बीच, हाउस डेमोक्रेटिक माइनॉरिटी लीडर हकीम जेफ्रीज ने ट्रंप द्वारा पोस्ट किए गए एक विवादास्पद एआई-जनरेटेड वीडियो की आलोचना कर रहे है । इस वीडियो में उन्हें और शूमर को मजाकिया और अभद्र तरीके से दिखाया गया, जिससे बहस और तीव्र हो गई। ट्रंप ने शटडाउन की पूरी जिम्मेदारी डेमोक्रेट्स पर डाली और चेतावनी दी कि यदि फंडिंग में देरी हुई, तो सरकारी कर्मचारियों में बड़े पैमाने पर छंटनी की जाएगी। उन्होंने कहा, “इस ठहराव का फायदा हम उन चीज़ों से छुटकारा पाने के लिए उठा सकते हैं, जो हमें पसंद नहीं हैं, और यह डेमोक्रेट्स के लिए नुकसानदायक होगा।”
इस कदम से सरकारी कर्मचारियों और आम जनता को बड़ा असर पड़ सकता है। शटडाउन के दौरान लाखों कर्मचारी बिना वेतन रह सकते हैं और कई सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में रुकावट आ सकती है। पिछले सबसे लंबे शटडाउन का अनुभव दिसंबर 2018 में हुआ था, जब 35 दिन तक सरकारी कामकाज बंद रहा। कांग्रेस के दोनों दल शटडाउन से बचने की कोशिश करते हैं, लेकिन अस्थिर स्थिति और बढ़ते मतभेदों के कारण फंडिंग सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। इस बार भी अस्थायी फंडिंग विधेयक के मुद्दे पर ट्रंप और डेमोक्रेट्स का संघर्ष जारी है, और अमेरिकी सरकार के सामान्य कामकाज पर संकट मंडरा रहा है।
अब सवाल यह भी है कि आगे क्या होगा? के बारे में बताया जा रहा है कि कांग्रेस के दोनों सदन आगे बहस करेंगे, पर सीनेट में 60 वोट चाहिए थे जो इस बार नहीं जुट पा रहे. अगर डील नहीं बनी तो शटडाउन लंबा चल सकता है और इसके असर महीनों तक दिखेंगे. लोगों की सैलरी में देरी, सरकारी सेवाओं में कटौती और राष्ट्रीय सुरक्षा कार्रवाइयों पर दबाव होगा ।