सोलहवीं विधान सभा का चतुर्थ सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित

The fourth session of the sixteenth Legislative Assembly adjourned indefinitely

विधानसभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी द्वारा कैमरों को लेकर प्रतिपक्ष द्वारा लगाए आरोप निराधार, न दबाव में आए है और न आएंगे

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान विधान सभाध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने सोलहवीं राजस्थान विधानसभा के चतुर्थ सत्र को बुधवार को सायं अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। सत्र में मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी उपस्थित थे जिन्होंने प्रतिपक्ष के आचरण को असंसदीय बताते हुए उनका जोरदार प्रतिकार किया। समापन सत्र को संबोधित करते हुए देवनानी ने बताया कि एक सितम्बर से प्रारंभ हुए इस सत्र में कुल छह बैठकें हुई है एवं सत्र की कार्यवाही 18 घण्टे 40 मिनट तक चली।

देवनानी ने बुधवार को सदन को विश्वास दिलाया कि प्रतिपक्ष द्वारा कैमरों से निजता भंग के लगाए गए आरोप, निराधार हैं। सदन में लगाए गए कैमरों के कार्य नियमानुसार और सदन की गरिमा की सुरक्षा के लिए हो रहे है। सदन के नियमों, परंपराओं और मर्यादाओं का पालन कराना अध्यक्ष की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। हमेशा से पक्ष और प्रतिपक्ष को साथ लेकर सदन चलाने की कोशिश की जाती रही है।

देवनानी ने कहा कि सदन लोकतंत्र का मंदिर है। सभी विधायकगण इस मंदिर में आते हैं। यहां की मर्यादाएं है। यहां के नियम है। यहां की परंपराएं है। राजस्थान की आठ करोड़ जनता हम सबको रोज लाईव देखती है। गत तीन चार दिन से अनुभव कर रहे हैं कि कहीं न कहीं सदन की गरिमा में कमी आ रही है। सभी मिलकर गरिमा रखेंगे तो अच्छा संदेश जाएगा। प्रतिपक्ष के कुछ सदस्यों द्वारा सदन में स्थापित कैमरों के संबंध में उठाए गए प्रश्न के संदर्भ में व्यवस्था देते हुए देवनानी ने कहा कि विधान सभा के नवीन भवन में सदन की स्थापना से ही कैमरे लगे हुए हैं। पुराने सदस्यों को याद भी होगा की सवाई मान सिंह टाउन हॉल स्थित विधानसभा भवन में भी कार्रवाई की वीडियो रिकॉर्डिंग कराई जाती थी। उन्होंने कहा कि हाल ही में वन नेशन वन एप्लीकेशन के तहत पेपरलेस प्रणाली को अंगीकार किया गया। इसके तहत ही कैमरो को अपग्रेड किया गया है।सदन में लगाए गए कैमरों से ऑडियों रिकार्डिंग नहीं की जाती है। नेवा परियोजना के तहत सदन में स्थापित विभिन्न उपकरणों को तकनीकी रूप से अपग्रेड किया गया जो कि एक सामान्य प्रक्रिया है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का एक निश्चित जीवनकाल होता है। नवीन तकनीकी उपकरणों से बेहतर क्वालिटी का प्रसारण संभव हुआ है। पंद्रहवीं विधानसभा के कार्यकाल के दौरान आरंभ हुए यूट्यूब पर लाइव प्रसारण के लिए संपूर्ण सदन के कवरेज के लिए भी आवश्यकतानुसार कैमरे प्रयोग में लाए जाते रहे हैं।देवनानी ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मसले पर प्रतिपक्ष को आपति क्यों हो रही है। उन्होंने कहा कि 360 डिग्री को कवर करने वाले कैमरों से सुरक्षा पुख्ता हुई है। सदन में बैठकों से पहले और पश्चात साथ ही जब बैठक नहीं होती है, उस दौरान भी सदन में सफाई और उपकरणों की सार संभाल के लिए आईपैड को चैक किये जाने हेतु अधिकारियों, कर्मचारियों और तकनीशियनों का निरन्तर आवागमन रहता है। सुरक्षा की दृष्टि से सदन में कैमरों का होना आवश्यक है। प्रतिपक्ष को सुरक्षा की दृष्टि को गंभीरता से सोचना होगा। राष्ट्रमंडल संसदीय संघ की शाखा के तत्वावधान में आयोजित होने वाले विभिन्न सेमिनार, युवा संसद जैसे आयोजनों के सजीव प्रसारण के लिए भी विभिन्न ऐंगल से कवरेज के लिए भी कैमरे सहयोगी होते है। पक्ष और प्रतिपक्ष के सदस्यों वाले स्थान के साथ ही आसन, राज्यपाल दीर्घा, अधिकारी दीर्घा सहित सभी दीर्घाओं में पहले से ही कैमरे स्थापित है। विधानसभा सदन में अध्यक्ष की कुर्सी की तरफ भी कैमरा लगा हुआ है। सदन में स्थापित किसी भी कैमरे से ऑडियो कैप्चर करने की व्यवस्था नहीं है। न ही यह कैमरे किसी सदस्य विशेष पर केंद्रित है। उक्त कैमरे तीन सौ साठ डिग्री क्षमता के है, जिन्हें संचालित करने हेतु दिशा निर्देश बने हुए हैं जिनके अनुसार इन कैमरों का संचालन किया जाता है।कैमरों के अपग्रेडेशन से किसी भी सदस्य की निजता भंग नहीं हो रही है। कैमरे सदन में काफी ऊपर की दिशा में लगे हुए हैं। अन्य राज्यों की विधानसभाओं में भी कैमरे लगे हुए है। लोकसभा में भी कैमरे लगे हुए है और आजकल अपने घरों में भी कैमरे लगाते हैं। परिसर में कैमरों की आवश्यकता कितनी है यह आज की परिस्थिति में हम सब महसूस कर सकते हैं। लोकसभा में भी दर्शक दीर्घा से किन्हीं दर्शकों के कूदे जानें की घटनाएं हुई है, जिसके बाद वहां की सुरक्षा और बढ़ा दी गई। यहां हम सब भी सुरक्षित रहें, यह हम सबके लिए आवश्यक है कि यहां पर यदि हमारी पारदर्शिता है, तो किसी को भी यहां शंका करने की आवश्यकता नहीं है। सदन में कोई निजता भंग नहीं की गई है न आगे भी किसी की निजता भंग की जाएगी।

न दबाव में आए है और न आएंगे -श्री देवनानी

देवनानी ने कहा कि अध्यक्ष पद की गरिमा को बनाये रखने हेतु वे प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि वे ना कभी दबाव में आए है और ना ही आएंगे। उन्होंने कहा कि सदन की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इसके लिए कारगर कदम उठाये जाने आवश्यक है। नेता, नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष जब सदन में बोलने के लिए खड़े होते है तब सभी सदस्यों द्वारा उन्हें शांतिपूर्वक सुने जाने की परम्परा रही है। देवनानी ने अपने मन की पीडा व्यक्त करते हुए कहा कि बुधवार को इस दौरान प्रतिपक्ष द्वारा सदन की परम्पराओं का हनन किया गया, जो बेहद दुःखद है।प्रतिपक्ष के असहयोग से राज्य की 8 करोड़ जनता के हितों के लिए कार्य करने के लिए तत्पर सरकार को रोकने का असम्भव प्रयास किया गया। इससे आमजन को लाभान्वित करने हेतु सदन में की जाने वाली उद्देश्यपरक चर्चा की प्रक्रिया को आघात लगा है। इससे सदन की पुरानी समृद्ध ऐतिहासिक परम्पराओं का भी हनन हुआ है। सत्र के प्रारम्भ से ही प्रतिपक्ष के सदस्यों द्वारा असहयोगात्मक रुख अपनाया गया। उन्होंने कहा कि सदन की कार्यवाही के दौरान प्रतिपक्ष के द्वारा व्यवधान, शोर-शराबा, सदन कूप में एकत्र होकर नारेबाजी तथा प्रदर्शन आदि से सदन के सुगम संचालन में निरंतर बाधा उत्पन्न की गई।प्रतिपक्ष के नेता तथा प्रतिपक्ष के कतिपय अन्य वरिष्ठ सदस्यों द्वारा समय-समय पर महत्वहीन प्रकरणों को तूल देते हुए सदन तथा सदन के बाहर हंगामा व प्रदर्शन करने से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें आमजन के दुःख दर्द तथा राज्य के विकास से कोई सरोकार नहीं है। श्री देवनानी ने कहा कि ऐसे प्रदर्शन करने से लगता है कि शायद उन्हें महज समाचार पत्रों तथा मीडिया में कवरेज की ही चिन्ता है।प्रतिपक्ष के असहयोगात्मक रुख के बावजूद भी वर्तमान सत्र में सदन द्वारा महत्वपूर्ण विधेयकों सहित 10 विधेयक पारित किए गए और इसके साथ अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्य भी सम्पादित किए गए।
उन्होंने कहा कि सदन चलाने के अथक प्रयास किये। प्रतिपक्ष के सदस्यों को अपने कक्ष में बुलाकर सौहार्दपूर्ण वातावरण में उन्हें समझाने के भी पूरे प्रयास किये। प्रतिपक्ष की बातों को भी धैर्यपूर्वक सुना। प्रतिपक्ष के प्रतिनिधिमण्डल से की गई अनेक दौर की वार्ताओं में उनके द्वारा उठाए गए प्रत्येक मु‌द्दे के प्रत्येक बिन्दु का विस्तार से जवाब भी दिया।

91.5 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब प्राप्त-

देवनानी ने बताया कि सोलहवीं विधान सभा के प्रथम तीन सत्रों के 91.5 प्रतिशत प्रश्नों के जवाब राजस्थान विधान सभा को प्राप्त हो गए है। प्रथम सत्र में 2098 में से 2073 प्रश्नों के उत्तर विधानसभा को प्राप्त हो गए है। द्वितीय सत्र के 7945 में से 7657, तृतीय सत्र में 9701 में से 8351 प्रश्नों के उत्तर प्राप्त हो गए है। अधिकारियों के साथ निरन्तर समीक्षा किये जाने से राजस्थान विधान सभा को पहली बार समय पर अधिक संख्या में प्रश्नों के जवाब प्राप्त हुए है। चतुर्थ सत्र में कुल 3008 प्रश्न प्राप्त हुए, जिनमें से तारांकित प्रश्न 1237, अतारांकित प्रश्न 1770 एवं अल्प सूचना प्रश्न एक हैं। कुल 120 तारांकित प्रश्न सूचीबद्ध हुए, जिनमें से 53 प्रश्न मौखिक रूप से पूछे गये और उनके उत्तर भी दिये गये। इसी तरह 119 अतारांकित प्रश्न भी सूचीबद्ध हुए।प्रक्रिया के नियम-131 के अंतर्गत 437 प्रस्तावों की सूचनाएं प्राप्त हुई। जिनमें से 14 प्रस्ताव अग्राह्य किये गए। सदन में संबंधित मंत्रीगण का ध्यान आकर्षित करने हेतु 02 प्रस्ताव कार्य-सूची में सूचीबद्ध किये गए।

संसदीय कवरेज करने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि विधायी संस्थाएँ लोकतंत्र की आत्मा हैं। यदि उनमें बाधा डालने की प्रवृत्ति बढ़ती है, तो यह पूरे सिस्टम को जड़ जैसा कर सकती है, कानून बनाने की प्रक्रिया को पंगु बना सकती है और जनता में विश्वास घटा सकती है। लोकतांत्रिक संस्थाओं को सम्मान, संवाद और अनुशासन के आधार पर चलाना ही सशक्त राष्ट्र और स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है। संसद के मानसून सत्र के दौरान लोक सभा में 120 निर्धारित घंटे में से सिर्फ़ 37 घंटे का काम हो सका और 84 घंटे व्यर्थ गए। हालांकि 18वीं लोक सभा में यह अब तक का अधिकतम समय था।इसी प्रकार राज्यसभा में भी मात्र 41 घण्टे का काम ही हों सका । इस दृष्टि से सभी माननीयों को गंभीर रूप से मनन चिंतन करना चाहिए और अधिक से अधिक समय तक सदन चलाने में सहयोग कर जनहित के मुद्दे उठाने चाहिए ।