
सुनील कुमार महला
आज विज्ञान और तकनीक का युग है।विज्ञान और तकनीक के इस युग ने मनुष्य को बहुत कुछ दिया है और एआइ भी निश्चित रूप से इनमें से एक है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज हम सभी एआइ(आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के जमाने में सांस ले रहे हैं और वर्तमान समय में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) तेजी से हमारे जीवन का हिस्सा बनती जा रही है। एआइ से काम करना आज बहुत आसान या यूं कहें कि सरल हो गया है। शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य, कृषि, उधोग व व्यापार, परिवहन, सुरक्षा, बैंकिंग व वित्त, मनोरंजन, घर और दैनिक जीवन, अंतरिक्ष तक आज कौनसा क्षेत्र है, जहां एआइ से काम नहीं हो रहा है ? यानी कि सब जगह आज एआइ का धड़ल्ले से इस्तेमाल या प्रयोग किया जा रहा है।शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, संचार, बैंकिंग, कृषि, उद्योग और सुरक्षा जैसे लगभग सभी क्षेत्रों में एआई का प्रयोग बढ़ने से जहां अनेक नए अवसर पैदा हो रहे हैं, वहीं रोजगार के परिदृश्य में भी बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं।कई विशेषज्ञों का यह मानना है कि आने वाले वर्षों में एआई पारंपरिक नौकरियों को प्रभावित करेगी और काम करने के तरीकों में मूलभूत परिवर्तन लाएगी।पाठक जानते हैं कि मानव की तुलना में एआई विभिन्न कार्यों को तेजी और सटीकता से करने में सक्षम है। उदाहरण के लिए, आज के समय बैंकिंग सेक्टर में डाटा एंट्री, ग्राहक सेवा(कस्टमर सर्विस) या लेन-देन संबंधी प्रक्रियाओं को चैटबॉट और ऑटोमेशन द्वारा पूरा किया जा रहा है। इसी प्रकार, फैक्टरियों में मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स का इस्तेमाल, उत्पादन प्रक्रिया को तेज और त्रुटिरहित बनाने के लिए हो रहा है। परिणामस्वरूप, कई जगह मानव श्रमिकों(मैनपावर) की आवश्यकता घटने लगी है। बहरहाल, यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि एआई का प्रभाव मुख्यतः उन क्षेत्रों पर अधिक होगा, जहां कार्य दोहराए जाते हैं और निर्णय सीमित जानकारी के आधार पर लिए जाते हैं। उदाहरण के तौर पर कस्टमर सपोर्ट के लिए पहले जहां कॉल सेंटर में हजारों कर्मचारी कार्य करते थे, आज वहां चैटबॉट और वर्चुअल असिस्टेंट यह काम कर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो कस्टमर सपोर्ट तो एआइ के कारण पूरी तरह से खत्म हो सकती है।इसी प्रकार से निर्माण उद्योग की बात करें तो वहां उत्पादन, पैकेजिंग और क्वालिटी चेक जैसे कार्य रोबोट द्वारा किए जा रहे हैं। आज डिलीवरी ड्रोन से काम हो रहा है, सेल्फ ड्राइविंग गाड़ियां आ चुकीं हैं, ये सब एआइ के कारण संभव हुआ है, यह ठीक है लेकिन भविष्य में ये सब परिवहन के क्षेत्र में ड्राइवरों और डिलीवरी कर्मचारियों की मांग कम कर सकते हैं। आज एआइ के कारण लेखा-जोखा और बैंकिंग का काम आसान हो गया है। एआई आधारित सॉफ्टवेयर तुरंत गणना, विश्लेषण और रिपोर्ट तैयार कर सकते हैं, पहले इसके लिए मैनपावर की जरूरत होती थी। आज एआइ का उपयोग मीडिया के क्षेत्र में और कंटेंट तैयार करने में किया जा रहा है। समाचार लेखन, अनुवाद और वीडियो संपादन जैसे काम भी अब आंशिक रूप से एआई कर रहा है, ऐसे में मैनपावर की जरूरत पहले की तुलना में काफी कम हो गई है। लेकिन यहां यह भी एक तथ्य है कि हालांकि, एआई से नौकरियां खत्म होंगी, लेकिन साथ ही नए रोजगार भी बनेंगे। उदाहरण के लिए, एआई सिस्टम को डिजाइन करने, उसका रखरखाव करने और उसे सुरक्षित बनाने के लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। आज के युग में निरंतर डाटा वैज्ञानिक, मशीन लर्निंग इंजीनियर, साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञ और एआई नैतिकता से जुड़े पदों की मांग लगातार बढ़ रही है। इसके अतिरिक्त, यह भी एक तथ्य है कि एआई के कारण हेल्थकेयर, शिक्षा और कृषि क्षेत्र समेत अनेक क्षेत्रों में में नए नवाचार होंगे, जिससे नई तरह की नौकरियां पैदा होंगी। संक्षेप में कहें तो एआइ के दोनों पहलू हैं। इसमें अवसर (अपार्चुनिटीज) भी हैं और चुनौतियाँ (चैलेंजेज) भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पारंपरिक नौकरियों पर निर्भर लोगों को नए कौशल सिखाना और तकनीक के अनुकूल बनाना आज के समय की बड़ी मांग है।इसके लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम चलाए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा, एआई का नैतिक और जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना भी जरूरी है ताकि यह केवल मुनाफे का साधन न रहकर मानव कल्याण का साधन बने। पाठकों को बताता चलूं कि एआई मशीन आधारित तकनीक है, इसमें मानव जैसी भावनाएँ, संवेदनाएँ या नैतिक मूल्य स्वयं से मौजूद नहीं होते। यह केवल डेटा, एल्गोरिद्म और प्रोग्रामिंग पर आधारित होकर कार्य करता है। इसलिए इसका नैतिक और जिम्मेदार उपयोग पूरी तरह से मानव पर निर्भर है और एआइ जिम्मेदार और नैतिक उपयोग तभी संभव है जब इंसान इसे नियंत्रित, नियोजित और पारदर्शी तरीके से अपनाए। बहरहाल, पाठकों को बताता चलूं कि ओपनएआइ के सीईओ सैम ऑल्टमैन और वालमार्ट के सीईओ डग मैक्मिलन ने हाल ही में खुलकर यह बात कही है कि एआइ से काम करने के तरीके बदलेंगे और बहुत सारी नौकरियां प्रभावित होंगी। सैम ऑल्टमैन ने यह चेतावनी दी है कि एआइ के विकास से लगभग 30-40 % कार्य (टास्क) मानवों द्वारा आज की तरह किए जाने वाले काम होंगे, एआइ उन्हें करने लगेगा। उन्होंने कहा है कि यह जरूरी नहीं कि पूरी नौकरियाँ खत्म हों, बल्कि ‘टास्क’ का हिस्सा बदलेगा।वास्तव में कुछ कामों में मानवता की भूमिका जैसे कि दूसरों की देखभाल करना, दूसरे लोगों के प्रति संवेदनशील होना और ऐसे कौशल, जिन्हें मशीनें पूरी तरह से न दोहरा सकेंगी, भविष्य में और अधिक महत्वपूर्ण होंगी।आल्टमेन का यह मानना है कि एआइ सिस्टम उम्मीद से कहीं तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं और आने वाले वर्षों में आगे निकलकर सुपरइंटेलिजेंस के स्तर तक पहुंच सकता है। वास्तव , यह ऐसी समस्याओं का हल खोज पाएगा जिनसे इंसान खुद नहीं निपट सकते हैं। इधर,डग मैक्मिलन (वालमार्ट सीईओ) ने यह बात कही है कि ‘प्रायः हर नौकरी बदलेगी।’ यानी हर कार्य में एआइ टूल्स, ऑटोमेशन और नए तरीके काम में आएँगे। वास्तव में, एआइ के कारण बदलाव नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह के होंगे। कुछ नौकरियाँ घटेंगी, तो वहीं दूसरी ओर कुछ नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। वालमार्ट के डग मैक्मिलन ने समूह की एक कांन्फ्रेंस में चेतावनी देते हुए कहा है कि एआइ वर्क फोर्स के हर क्षेत्र को छुएगी। यहां गौरतलब है कि वालमार्ट फिलहाल अपने 21 लाख कर्मचारियों को एआइ में प्रशिक्षित कर रहा है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि हमारे देश में ज्यादातर नौकरियाँ मानव श्रम पर निर्भर हैं, और हमारे यहां एआइ-चालित बदलाव तेजी से महसूस होंगे। विशेष रूप से कॉल सेंटर, दस्तावेजी काम, बुनियादी विश्लेषण इत्यादि में।लेकिन भारत में युवा शक्ति, तकनीकी शिक्षा की उपलब्धता, आनुवांशिक क्षमता और अंग्रेज़ी ज्ञान जैसे फायदे भी हैं और यदि लोगों को सही दिशा में प्रशिक्षित किया जाए, वे इन बदलाव का लाभ उठा सकते हैं। आज जरूरत इस बात की है कि लर्निंग, रि-स्क्लिंग और नीति-निर्माण पर ध्यान दिया जाए। अंत में यही कहूंगा कि निस्संदेह, एआई रोजगार जगत में क्रांति ला रहा है। कई नौकरियां समाप्त होंगी, तो कई नई नौकरियां भी पैदा होंगी। फर्क केवल इतना होगा कि काम का स्वरूप बदल जाएगा और लोगों को अपने कौशल(स्किल्स) को समय-समय पर अपडेट करना होगा। इसीलिए आज के समय में यह बहुत ही महत्वपूर्ण और आवश्यक है कि हम एआई से डरने के बजाय इसे अवसर के रूप में स्वीकार करें और खुद को बदलते समय के साथ ढालें। यही वह रास्ता है जिससे हम एआई के प्रभाव को सकारात्मक दिशा में मोड़ सकते हैं। निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि एआई न तो पूर्ण रूप से वरदान है और न ही अभिशाप। यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसे किस तरह अपनाते हैं। यदि हम रचनात्मक सोच, तकनीकी शिक्षा और कौशल-विकास पर ध्यान दें तो एआई नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा। लेकिन यदि हम इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज करेंगे, तो यह बेरोजगारी और सामाजिक असमानता का कारण भी बन सकता है।सच तो यह है कि एआइ के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही पहलू हैं। एआइ के सकारात्मक पहलू की बात करें तो यह नई नौकरियों के सृजन,काम की गुणवत्ता में सुधार, उत्पादकता में वृद्धि,सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन की दृष्टि से एक वरदान है। वहीं दूसरी ओर एआइ से नौकरियों के खत्म होने के साथ ही साथ कौशल असमानता का खतरा पैदा हो सकता है।एआइ में मानव भावनाओं का अभाव होता है।एआइ से इंसान के अपने सोचने और समस्या हल करने की क्षमता कमजोर हो सकती है।