2026 से 21वीं सदी के गोल्डन जुबली युग का होगा आगाज…

The Golden Jubilee era of the 21st century will begin in 2026…

पर्यटन स्थल हो गए फूल, हर जगह नए वर्ष के स्वागत एवं जश्न को लेकर जोरदार तैयारियां !!

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

अंग्रेजी वर्ष 2025 के जाते-जाते क्रिसमस से नए वर्ष की सर्दियों की छुट्टियों के कारण भारत में उत्तर से दक्षिण तथा पूर्व से पश्चिम तक चारों ओर सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। इन पर्यटकों को न तो कोहरे के कोहराम की फिक्र है और नहीं घण्टों विलम्ब से चलने वाली ट्रेन तथा आए दिन कैंसिल होने वाली फ्लाईट्स की। और तो और वे बर्फबारी के इस मौसम में पहाड़ों की ओर भागने से भी नहीं हिचक रहे है,चाहे उन्हें बर्फबारी के बजाय पहाड़ों के जाम का ही सामना क्यों न करना पड़े। देश-प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर उमड़ती भीड़ अपनी अलग ही कहानी कह रही है।देश भर में पर्यटन स्थलों पर ठहरने के स्थान कम पड़ गए है और इकोनॉमी से स्टार होटलों में भी नो- रूम्स के बोर्ड टंगे हुए है। टैक्सी और केब वाहन बुकिंग तक नहीं ले पा रहे है और राजस्थान की राजधानी गुलाबी नगर जयपुर में करीब- करीब लुप्त प्रायः से हो गए साइकल रिक्शा भी अनायास प्रकट होकर देशी-विदेशी पर्यटकों का सहारा बन रहे है। सभी स्थानों पर पर्यटन स्थल फूल हो गए है और हर जगह नए वर्ष के स्वागत एवं जश्न को लेकर जोरदार तैयारियां अंतिम पायदान तक पहुंच रही है। हर जगह नए वर्ष के स्वागत एवं जश्न को लेकर जोरदार तैयारियां की जा रही है तथा हर ओर भारी जोश,उमंग और उत्साह का माहौल है।

वर्ष 2025 की विदाई के साथ ही 21वीं सदी की सिल्वर जुबली पूरी हो रही है तथा वर्ष 2026 से 21वीं सदी का गोल्डन जुबली युग आरंभ होने जा रहा है। गोल्डन जुबली युग राजस्थान और भारत के लिए समृद्धि, स्थिरता और सांस्कृतिक आत्मविश्वास का उपहार लेकर आ सकता है। यह केवल समय का अगला चरण नहीं, बल्कि नवीन संभावनाओं का द्वार है। आने वाले 25 वर्ष आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हरित ऊर्जा, आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था, और समावेशी विकास के निर्णायक वर्ष होंगे। भारत के लिए यह कालखंड “विकास से विरासत” और “तकनीक से संवेदना” के संतुलन का अवसर लेकर आएगा।

गोल्डन जुबली युग का अर्थ है—अनुभव से सीखकर भविष्य का निर्माण। यदि नीति, नवाचार और नैतिकता साथ चलें, तो 21वीं सदी का यह नया चरण भारत और विश्व दोनों के लिए स्थिरता, समृद्धि और सांस्कृतिक आत्मविश्वास का स्वर्णकाल सिद्ध हो सकता है। यह 25 वर्ष मानव इतिहास के उन वर्षों में दर्ज होंगे, जिन्होंने जीवन, सोच और व्यवस्था—तीनों को गहराई से बदल दिया। तकनीक ने सीमाएँ तोड़ीं, वैश्वीकरण ने दुनिया को जोड़ा, और भारत ने आर्थिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक स्तर पर नई पहचान बनाई। डिजिटल क्रांति, अंतरिक्ष उपलब्धियाँ, आधारभूत ढाँचे का विस्तार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण—ये सभी इस कालखंड की प्रमुख उपलब्धियाँ रहीं।
अब

गोल्डन जुबली युग (2026 के बाद) में राजस्थान और भारत को मिलने वाले संभावित “उपहार”
21वीं सदी के गोल्डन जुबली युग में प्रवेश के साथ राजस्थान और भारत को केवल योजनाएँ नहीं, बल्कि ऐसे दीर्घकालिक उपहार मिलने की उम्मीद है, जो विकास, संस्कृति और आत्मनिर्भरता—तीनों को नई ऊँचाई देंगे।भारत को मिलने वाले संभावित उपहार में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका का नया अध्याय लिखें जाने की उम्मीद है। भारत के लिए यह कालखंड विश्व मंच पर आर्थिक, तकनीकी और नैतिक नेतृत्व का अवसर होगा। जी-20 जैसे मंचों पर सक्रिय भूमिका इसका संकेत है। भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, अंतरिक्ष और डिजिटल अर्थव्यवस्था में भारत बड़ी शक्ति बन सकता है। इससे रोजगार और नवाचार बढ़ेंगे।मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया और रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता भारत को आयात पर निर्भरता से मुक्त कर सकती है। साथ ही भारत की प्राचीन संस्कृति, योग, आयुर्वेद और सभ्यतागत मूल्य वैश्विक स्वीकार्यता पाएँगे।

देश के साथ राजस्थान को मिलने वाले संभावित उपहारो में हरित ऊर्जा की राजधानी बनने का अवसर मिल सकता है। साथ ही आने वाले वर्षों में सोलर और पवन ऊर्जा में राजस्थान देश का अग्रणी राज्य बन सकता है। यह रोजगार और निवेश का बड़ा स्रोत होगा।ईआरसीपी, नहर परियोजनाएँ और पारंपरिक जल संरचनाओं का पुनर्जीवन राजस्थान को जल-सुरक्षा का उपहार दे सकता है। साथ ही राजस्थान में धार्मिक पर्यटन , सांस्कृतिक विरासत, डेजर्ट टूरिज्म और इको-टूरिज्म राजस्थान को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाएँगे। प्रदेश की लोककलाएँ, स्थापत्य और ऐतिहासिक धरोहरें नई पीढ़ी के लिए पहचान और गर्व का स्रोत बनेंगी। राजस्थान में एक्सप्रेसवे, रेलवे कॉरिडोर और एयर कनेक्टिविटी से राज्य का आर्थिक मानचित्र बदलेगा। नए वर्ष में पचपदरा तेल रिफाइनरी राजस्थान के लिए सबसे बड़ा तौहफा होगा।

कुल मिला कर 21वीं सदी अपनी सिल्वर जुबली से गोल्डन जुबली की दहलीज़ पर आ खड़ी हुई है और प्रदेश देश दुनिया में विकास की नई बयार आने की उम्मीद है शर्त बस इतनी है कि विकास के साथ पर्यावरण, नैतिकता और मानवीय संवेदना को भी बराबर महत्व मिलना चाहिए। यही इस नए युग का सबसे बड़ा उपहार होगा।