दुग्ध उत्पादों पर बढ़ता संकट-भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती

The growing crisis in dairy products – a serious challenge to India's food security

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

वैश्विक स्तरपर सर्वविदित है क़ि भारत में दूध और दुग्ध उत्पाद केवल पोषण का स्रोत नहीं,बल्कि संस्कृति परंपरा और आर्थिक जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।दुनियाँ का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश होने के बावजूद भारत आज एक गंभीर विडंबना का सामना कर रहा है,मिलावटी दूध,नकली पनीर और अशुद्ध खोया का तेज़ी से बढ़ता कारोबार। यह समस्या अब केवल स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रही,बल्कि खाद्य प्रणाली की विश्वसनीयता, उपभोक्ता अधिकारों और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़े संकट के रूप में अब उभर चुकी है।मिलावट की समस्या:स्थानीय गड़बड़ी से राष्ट्रीय आपात तक -बीते कुछ वर्षों में देश के विभिन्न हिस्सों से मिलावटी दूध, पनीर और खोया की लगातार शिकायतें सामने आई हैं। कहीं पनीर में स्टार्च मिलाया जा रहा है, तो कहीं दूध में डिटर्जेंट, यूरिया और सिंथेटिक रसायन।यह मिलावट संगठित अपराध का रूप ले चुकी है, जिसमें अवैध डेयरी यूनिट्स, नकली ब्रांडिंग और कमजोर निगरानी तंत्र का खुला दुरुपयोग हो रहा है।इसके परिणामस्वरूप आम उपभोक्ता अनजाने में ज़हर का सेवन करने को मजबूर है। स्वास्थ्य पर सीधा प्रहार:एक अदृश्य लेकिन घातक खतरा- मिलावटी दूध और पनीर के सेवन से बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं पर सबसे अधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। लंबे समय तक ऐसे उत्पादों का सेवन पेट संबंधी रोगों, किडनी और लिवर डैमेज, हार्मोनल असंतुलन और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म दे सकता है।यह स्थिति सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली पर अतिरिक्त बोझ डालती है और देश की मानव पूंजी को कमजोर करती है।
साथियों बात अगर हम एफएसएसएआई का निर्णायक हस्तक्षेप,दिसंबर 2025 से विशेष अभियान को समझने की करें तो,उपभोक्ताओं की बढ़ती चिंताओं और संसद में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़ों के बाद,भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने दिसंबर 2025 में एक बड़ा और सख्त कदम उठाया। एफएसएसएआई ने देशभर में मिलावटी दूध, पनीर और खोया के खिलाफ विशेष प्रवर्तन अभियान चलाने का आदेश जारी किया,जिसे अब तक का सबसे व्यापक डेयरी निगरानी अभियान माना जा रहा है।देशव्यापी प्रवर्तन अभियान- होटल से डेयरी यूनिट तक सख्ती -इस विशेष अभियान के तहत होटल,रेस्टोरेंट,कैटरिंग यूनिट्स, मिठाई दुकानों और डेयरी प्रसंस्करण इकाइयों को जांच के दायरे में लाया गया है। खाद्य व्यवसाय संचालकों के परिसरों से दूध,पनीर और खोया के सैंपल लिए जाएंगे और उन्हें मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में जांच के लिए भेजा जाएगा। मानकों पर खरे न उतरने वाले उत्पादों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी।

साथियों बात अगर हम राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को स्पष्ट निर्देश देने के महत्व को समझने की करें तो,एफएसएसएआई ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देशित किया है कि वे दूध और दुग्ध उत्पादों में मिलावट की पहचान के लिए व्यापक, समयबद्ध और लक्षित अभियान चलाएं।यह निर्देश केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि जवाबदेही से जुड़ा है। राज्यों को तय समयसीमा में कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। फूड सेफ्टी ऑफिसरों की भूमिका, जमीनी स्तर पर कार्रवाई,इस अभियान में फूड सेफ्टी ऑफिसर की भूमिका केंद्रीय है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे नियमित रूप से दूध,पनीर और खोया के सैंपल लें, संदिग्ध यूनिट्स पर छापे मारें और प्रयोगशाला परीक्षण सुनिश्चित करें। पहली बार यह सुनिश्चित किया गया है कि निरीक्षण केवल कागज़ी न रहे, बल्कि ठोस और परिणाम आधारित होगी। (1) सख्त दंडात्मक प्रावधान-लाइसेंस रद्द से लेकर यूनिट बंद तक,जहां मिलावट पाई जाएगी, वहां केवल जुर्माने तक सीमित न रहकर लाइसेंस निलंबन या रद्दीकरण, माल जब्ती,अवैध यूनिट्स को सील करना और मिलावटी उत्पादों को नष्ट करना अनिवार्य किया गया है। यह स्पष्ट संदेश है कि अब मिलावटखोरी को एक गंभीर आर्थिक अपराध माना जाएगा। (2) ट्रेसबिलिटी जांच, पूरी सप्लाई चेन पर नजर- एफएसएसएआई ने पहली बार दूध और पनीर की पूरी सप्लाई चेन की ट्रेसबिलिटी जांच को अनिवार्य किया है। यदि किसी क्षेत्र में संदिग्ध पैटर्न या बार-बार मिलावट की शिकायत मिलती है, तो कच्चे दूध से लेकर अंतिम उत्पाद तक की जांच की जाएगी। इससे बड़े नेटवर्क और संगठित मिलावट माफिया तक पहुंचने में मदद मिलेगी। (3) रियल टाइम रिपोर्टिंग-पारदर्शिता की नई व्यवस्था-अभियान की निगरानी के लिए हर 15 दिन में रियल टाइम रिपोर्टिंग अनिवार्य की गई है। सभी निरीक्षणों और नमूना जांच का डेटा तुरंत एफएसएसएआई पोर्टल पर अपलोड करना होगा। इससे राष्ट्रीय स्तर पर निगरानी, विश्लेषण और नीति निर्माण को मजबूती मिलेगी।(4) फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स-मोबाइल लैब का विस्तारग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में त्वरित जांच के लिए फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स यानी मोबाइल लैब को बाजारों और भीड़भाड़ वाले इलाकों में तैनात किया जा रहा है। इससे मौके पर ही प्रारंभिक जांच संभव होगी और उपभोक्ताओं में जागरूकता भी बढ़ेगी।

साथियों बात कर हम होटल और फूड सर्विस सेक्टर की जिम्मेदारी इसको समझने और संसद में पेश पंजाब के आंकड़ों की करें तो,एफएसएसएआई ने होटल, रेस्टोरेंट और कैटरिंग सेक्टर को कड़ा संदेश दिया है कि वे केवल प्रमाणित और शुद्ध डेयरी उत्पादों का ही उपयोग करें।यदि किसी फूड सर्विस यूनिट में मिलावटी दूध या पनीर पाया गया, तो उसे भी समान रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।संसद में पेश केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े इस संकट की गंभीरता को उजागर करते हैं।वर्ष 2024- 25 में पंजाब में जांचे गए लगभग 47 प्रतिशत दुग्ध उत्पाद मानकों पर खरे नहीं उतरे। पनीर में स्टार्च और सुक्रोज जैसी मिलावट ने यह स्पष्ट कर दिया कि समस्या केवल छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि औद्योगिक पैमाने पर हो रही है।गलत ब्रांडिंग और उपभोक्ता के साथ धोखा मिलावट के साथ- साथ गलत ब्रांडिंग भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। नकली लेबल, फर्जी सर्टिफिकेशन और भ्रामक दावे उपभोक्ताओं को गुमराह करते हैंएफएसएसएआई ने स्पष्ट किया है कि गलत ब्रांडिंग भी खाद्य सुरक्षा उल्लंघन के अंतर्गत आएगी और उस पर सख्त कार्रवाई होगी।

साथियों बात अगर हम अंतरराष्ट्रीय संदर्भ वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों से तालमेल इसको समझने की करें तो दुनियाँ के कई देशों में दूध और डेयरी उत्पादों की ट्रेसबिलिटी रियल टाइम मॉनिटरिंग और कठोर दंड व्यवस्था पहले से लागू है। एफएसएसएआई का यह अभियान भारत को वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों के अनुरूप लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।उपभोक्ता जागरूकता: नीति की सफलता की कुंजी,सरकारी कार्रवाई के साथ-साथ उपभोक्ता जागरूकता भी उतनी ही आवश्यक है। जब तक उपभोक्ता शुद्ध उत्पादों की मांग नहीं करेंगे और संदिग्ध उत्पादों की शिकायत नहीं करेंगे, तब तक मिलावट पर पूरी तरह सटीक रूप से अंकुश लगाना कठिन रहेगा।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे क़ि खाद्य सुरक्षा से राष्ट्रीय विश्वास तक,मिलावटी दूध, पनीर और खोया के खिलाफ एफएसएसएआई का विशेष अभियान केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई नहीं,बल्कि जनस्वास्थ्य, उपभोक्ता अधिकार और राष्ट्रीय खाद्य विश्वास की रक्षा का प्रयास है।यदि यह अभियान ईमानदारी, पारदर्शिता और निरंतरता के साथ लागू होता है,तो यह न केवल मिलावटखोरों पर नकेल कसेगा,बल्कि भारत की खाद्य प्रणाली को अधिक सुरक्षित, विश्वसनीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित बनाएगा।