रविवार दिल्ली नेटवर्क
जयपुर। आजादी के अमृत महोत्सव के एक वर्ष पूर्ण होने पर नई दिल्ली के अशोका होटल में आयोजित अमृत समागम कार्यक्रम के दौरान मंगलवार को कला एवं संस्कृति मंत्री डॉ. बी डी कल्ला ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के तत्वाधान में चलाए जा रहे सभी कार्यक्रमों को समावेशी बनाया जाना चाहिए उन्होंने कहा कि आजादी के छिपे हुए हीरोज को स्टेट वाइज लिपिबद्ध करवाया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियों को इन हीरोज के साहसिक कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी मिल सके।
डॉ. बी डी कल्ला ने अमृत समागम कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के इतिहास में आजादी है वीरों की कहानियां भरी पड़ी है उनसे युवाओं को परिचित करवाया जाना जरूरी है, बताया कि बिजोलिया किसान आंदोलन की धमक अंग्रेजों के कानों तक पहुंची जिसकी महात्मा गांधी ने भी खूब प्रशंसा की ऐसी महत्वपूर्ण घटनाओं को महोत्सव के माध्यम से हाईलाइट करना चाहिए उन्होंने बताया कि राजस्थान के इतिहास में ऐसी अनेक अनसुनी कहानियां है जिन्हें अमृत महोत्सव में शामिल करके इस कार्यक्रम को समावेशी बनाया जा सकता है। डॉ. कल्ला ने स्वर्गीय श्री जय नारायण व्यास की कहानी बताते हुए कहा कि जब वह जेल में थे तो तत्कालीन शासक ने जेल प्रशासन को निर्देश दिए कि इनका और उनके परिवार का पूरा ख्याल रखा जाए क्योंकि ये ही भविष्य के शासक और नीति निर्धारक होंगे। आगे चलकर श्री जय नारायण व्यास राजस्थान के मुख्यमंत्री बने ऐसी अनसुनी घटनाएं जो आर्काइव रिकॉर्ड में दर्ज हैं उन्हें अमृत महोत्सव के माध्यम से युवाओं को बताया जाना चाहिए।
आनंद भवन, स्वराज भवन देश को दान दे दिये—
डॉ. कल्ला ने कांफ्रेंस के दौरान बोलते हुए बताया कि आजादी के आंदोलन के दौरान जब आनंद भवन और स्वराज भवन में आजादी के आंदोलन की रूपरेखाएं बनती थी वहां एक पत्रकार गया और श्री जवाहरलाल नेहरू से पूछा कि इन भवनों का अब क्या करोगे तो श्री नेहरू ने कहा कि देश आजाद होने के बाद इन भवनों को देश के लिए दान दे दूंगा, यह बात जब श्री मोतीलाल जी नेहरू को बताई गई तो उन्होंने नेहरू जी को बुलाकर उसी वक्त दोनों भवनों को दान करने की बात पर खुशी जाहिर करते हुए सहमति जता दी। उन्होंने कहा कि श्री मोतीलाल नेहरू, श्री जवाहरलाल नेहरू और श्रीमती इंदिरा गांधी जैसी विभूतियों की तीन-तीन पीढ़ियों ने जेल की यातनाओं को सहा और देश के लिए सब न्योछावर कर दिया उनसे जुड़ी ऐसी प्रेरणास्पद कहानियों को हमें अमृत महोत्सव का हिस्सा बनाना चाहिए। आजादी के आंदोलन में महिलाओं के योगदान को भी हमें रेखांकित करना चाहिए, श्री कल्ला ने बताया कि 1942 के क्विट इंडिया मूवमेंट के दौरान जब सारे नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तो मुम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में बड़ा आंदोलन होने वाला था और वहां आंदोलन का कोई नेतृत्व करने वाला नहीं था, ऐसे में अरूणा आसफ अली वहां आई और आंदोलन को नेतृत्व दिया। इसी प्रकार इलाहाबाद में इंकलाब जिंदाबाद के नारे लग रहे थे लेकिन कोई नेतृत्व करने वाला नहीं था तो 106 डिग्री बुखार होने के बावजूद श्रीमती कमला नेहरू ने क्रांतिकारियों का नेतृत्व किया और वहीं बेहोश हो गई। ऐसी वीरांगना महिलाओं को आजादी के अमृत महोत्सव के माध्यम से हाईलाइट किया जाना जरूरी है।
डॉ. कल्ला ने कहा कि वर्तमान समय में जिस तरह विघटनकारी ताकतें देश को तोड़ने के प्रयास कर रही है ऐसे समय में हमें आजादी के आंदोलन के बारे में युवाओं को बताना चाहिए कि किस तरह हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने सभी को साथ लेकर देश को प्रथम मानते हुए आजादी की लड़ाई लड़ी और जीती।
अमृत समागम कांफ्रेंस के दौरान डॉ. कल्ला ने राजस्थान में पिछले 1 वर्ष में आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में किए गए कार्यक्रमों का भी विस्तार से विवरण दिया। उन्होंने बताया कि राजस्थान की तरफ से 1284 कार्यक्रम अमृत महोत्सव के दौरान किए गए जोकि आपके ऐप पर अपलोड किए गए हैं। उन्होंने बताया कि राजस्थान में पिछले 1 वर्ष में 500 कलाकारों के माध्यम से एक विशाल आर्ट मेला, ऑल इंडिया ड्रामा फेस्टिवल के साथ-साथ सभी जिलों में लगातार कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। उन्होंने बताया कि आने वाले साल में इन कार्यक्रमों को तेज गति से आगे बढ़ाया जाएगा।
अमृत समागम कांफ्रेंस में केंद्रीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी, श्रीमती मीनाक्षी लेखी, श्री अर्जुन राम मेघवाल सहित विभिन्न राज्यों के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रीओं सहित संबंधित विभागों के अधिकारी और गणमान्य लोग उपस्थित थे।