गोपेन्द्र नाथ भट्ट
जाने माने अर्थ शास्त्री और नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष रहें राजस्थान के डॉ अरविंद पनगढ़िया को 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष चुने जाने से नए वर्ष में राजस्थान की उम्मीदों को नए पंख लग गए है।
हमने राजस्थान – नया वर्ष और नया संकल्प शीर्षक से इसी कॉलम में लिखा था कि राजस्थान की विशेष भौगोलिक परिस्थितियों और प्रायःआने वाली प्राकृतिक आपदाओं सूखा अकाल,पाला और ओलावृष्टि टिड्डियों के आक्रमण तथा पश्चिम राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में पड़ने वाली विकास कार्यों की लागत तथा इन इलाकों में आवश्यक सेवाओं सड़क पानी बिजली आदि को पहुंचाने में अन्य प्रदेशों के मुकाबले अधिक सेवा लागत आने की समस्या का हल निकालने के लिए राजस्थान के नए मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को केंद्र सरकार से पहाड़ी प्रदेशों की तरह राजस्थान को भी विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए विशेष प्रयास करना चाहिए।
राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग नई नही है। आजादी के बाद से ही यह मांग की जाती रही है। कांग्रेस और भाजपा की सभी सरकारों ने इसे उठाया है। पूर्व राष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में इसे मुखरता से उठाया था। बाद में अशोक गहलोत और वसुन्धरा राजे की सरकारों ने भी इसे उठाया और थार के विशाल रेगिस्तान और पानी की भारी कमी तथा देश की सबसे बड़ी पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमाओं का जिक्र करते हुए राजस्थान को भी देश के पहाड़ी और सीमावर्ती इलाकों की तरह विशिष्ट श्रेणी के प्रदेशों में सम्मिलित करने का आग्रह किया था ताकि राजस्थान को भी सौ प्रतिशत केंद्रीय अनुदान सहायता मिल सकें।
डॉ अरविंद पनगढ़िया राजस्थान के निवासी है। वे प्रदेश के पश्चिम राजस्थान के विशाल भू भाग में पसरे एशिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में से एक थार मरुस्थल, बहुत लंबी अंतर राष्ट्रीय सीमाओं, प्रदेश की विशिष्ट परिस्थितियों,भौगोलिक विषमताओं, पानी की भयंकर कमी, प्रदेश के पहाड़ी और आदिवासी इलाकों में अथाह गरीबी, घुम्मकड़ जातियों की समस्याओं आदि परिस्थितियों को भलीभांति समझते हैं।राजस्थान में कमोबेश वही परिस्थितियां है जो देश के पहाड़ी और सीमावर्ती क्षेत्रों में है।
राजस्थान भौगोलिक लिहाज से देश का सबसे बड़ा प्रदेश है और पश्चिमी राजस्थान का एक संसदीय क्षेत्र बाड़मेर और जैसलमेर ही इतना बड़ा है कि उसमें यूरोप के कितने ही देश समा जाए। रेगिस्तान के धोरों में विकास के काम किसी चुनौती से कम नहीं होते साथ ही उन इलाकों तक सड़क पानी बिजली और अन्य सुविधाओं को पहुंचाने में आने वाली सेवा लागत देश के अन्य राज्यों की तुलना में कई गुना अधिक है।
प्रदेश में भूमिगत और सतही पानी की उपलब्धता बहुत कम है तथा राज्य के अधिकाश ब्लॉक डार्क जोन में है। पेयजल की समस्या इतनी गहरी है कि प्रदेश के जय इलाक़ों में गर्मियों के मौसम में विशेष रेल गाड़ियाँ चलानी पड़ती है और टैंकर आदि से पेयजल आपूर्ति करनी पड़ती है। पश्चिम राजस्थान के कई इलाक़ों में पानी की गुणवत्ता इतनी अधिक ख़राब है कि फ्लोराइड युक्त पानी के कारण लोगों को दाँत और हड्डियों के साथ हाई अन्य बीमारियाँ भी जो जाती है। चूरु जिले के एक इलाक़े को बाँका पट्टी भी बोला जाता है क्योंकि यहाँ का पानी पीने से लोग कुबडे और अपंग तक हो जाते है।
इसी प्रकार आदिवासी और पहाड़ी इलाकों में अथाह गरीबी है तथा लोगों को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है। किसानों के पास छोटे छोटे खेत हैं तथा वर्षा आधारित खेती होने से एक फसल भी नही हो पाती तथा कम वर्षा के कारण कुएँ बावड़ियाँ तालाब टाँके ट्यूब वेल आदि भी सूख जाते है।
उल्लेखनीय है कि वित्त आयोग, संविधान के अनुच्छेद-280 के तहत हर पांच वर्ष पर गठित होने वाली एक संवैधानिक संस्था है. जिसका मुख्य काम केंद्र और राज्य के बीच टैक्स के बटवारे की सिफारिश करना होता है।
यह आयोग भारत के समेकित कोष (Consolidated fund) से राज्यों के राजस्व की सहायता अनुदान देने की सिफारिश करता है।
राज्य वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय भी सुझाता है।
आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्तपोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उचित सिफारिशें कर सकता है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की अधिसूचना के अनुसार अरविंद पनगढ़िया 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष और वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव ऋत्विक रंजनम पांडे इस आयोग के सचिव होंगे।बाकी सदस्यों के नामों की घोषणा अलग से की जायेगी।इससे पहले 15वें वित्त आयोग के चेयरमैन एन.के. सिंह थे।
डॉ अरविंद पनगढ़िया का 16वें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में कार्यकाल 1 अप्रैल 2026 से शुरू होकर पांच साल की अवधि तक होगा। आयोग अपनी रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपेगा।
डॉ अरविंद पनगढ़िया विश्व विख्यात अर्थशास्त्री हैं, जो अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में भारतीय राजनीतिक अर्थव्यवस्था के प्रोफेसर हैं। इसके अलावा स्कूल ऑफ इंटरनेशनल एंड पब्लिक अफेयर्स में भारतीय आर्थिक नीतियों पर दीपक और नीरा राज केंद्र के निदेशक भी हैं।
अरविंद पनगढ़िया ने जनवरी 2015 और अगस्त 2017 के बीच भारत सरकार के थिंक-टैंक, नीति आयोग के पहले उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया है। अर्थशास्त्र और सार्वजनिक नीति के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें 2012 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें पद्म भूषण अलंकरण से भी सम्मानित किया गया था।
डॉ पनगढिया एशियाई विकास बैंक (ADB) के मुख्य अर्थशास्त्री रह चुके हैं। उन्होंने विश्व बैंक और आईएमएफ जैसे विश्वस्तरीय संस्थानों के साथ विभिन्न पदों पर काम किया है। डा.पनगढ़िया, अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार बोर्ड, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड(सेबी) के सदस्य भी रहे हैं।
राजस्थान के मुश्किल हालातों में डॉ अरविंद पनगढ़िया का 16वें वित्त आयोग का अध्यक्ष चुन कर आना प्रदेश के लिए एक संजीविनी के समान है। देखना है कि पनगढ़िया के आने से प्रदेश के वाशिंदों की उम्मीदें किस सीमा तक पूरी होती हैं।