डॉ. बी.आर. नलवाया, पूर्व प्राध्यापक वाणिज्य, शा.कन्या महाविद्यालय, मन्दसौर
प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाय) देश ही नहीं बल्कि विश्व के सभी देशों से सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहल की गई, एक मिशाल योजना बन कर उभरी है। वित्तीय समावेश के उद्देश्य से दस वर्ष पूर्व 28 अगस्त, 2014 को इस योजना की शुरूआत की गई थी। योजना गरीबांे को आर्थिक मुख्य धारा में लाने के विकास की महत्ती भूमिका मंे अग्रसर हुई। योजना की 10 वीं वर्षगांठ पर केन्द्रीय वित्तमंत्री ने कहा कि बैंक खाते, छोटी बचत योजनाओं, बीमा और कर्ज सहित सार्वभौमिक और सस्ती वित्तीय सेवाऐं प्रदान करके योजना ने पिछले एक दशक में देश के बैंकिंग और वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया है। उन्होंने कहा कि इस योजना ने देश में वित्तीय समावेशन की क्रांति ला दी है। इस क्रांति का यह आशय है कि योजना के तहत खुले खातों की संख्या 53 करोड़ के आकड़े को पार कर गई है। यह आँकड़ा कई देशों की कुल आबादी से भी अधिक है।
इस योजना का मुख्य लाभ यह है कि जो अधिकांश गरीबों को बैंकिंग की व्यवस्था से दूरी थी, वह बिल्कुल खत्म इसलिए हो गई कि बिना किसी राशि के खाते खुलवाने की सुविधा प्रदान की गई। इसलिए एक दशक में 53 करोड़ से ज्यादा जनधन खाते खुल चुके है। स्मरण रहे जब यह योजना शुरू की गई थी तब ऐसे सवाल उठे थे, कि आखिर जनधन खातों में पैसा कहाँ से आएगा ? आँकड़े बता रहें है कि 31 मार्च, 2015 तक योजना के तहत तक 14.72 करोड़ खाते खोले गए थे, जिनकी संख्या 30 अगस्त, 2024 तक 53 करोड़ हो चुकी है। इस समय इन खातों में सिर्फ 15,670 करोड़ रू. जमा थे, इस वर्ष 28 अगस्त 2024 तक 2.3 लाख करोड़ रू. जमा हो गए। इस तरह मार्च, 2015 में प्रति खाता औसत शेष 1065 रू. था। अब यह बढ़कर 4,325 रू. का हो गया है। मौजूदा कारोबारी वर्ष में 3 करोड़ से ज्यादा खाते खोलने का लक्ष्य है।
योजना के दूसरी ओर देखे लगभग 56 प्रतिशत खाते महिलाओं के है। इस में करीब 67 प्रतिशत जनधन खाते गांवो और छोटे कस्बों में खोले गए है। इससे यह स्पष्ट है कि यह योजना अंतिम छोर पर खड़े वंचित लोगों तक पहुंची है। योजना में खाता धारकों को डिजिटल भुगतान के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। खातों के संचालन के लिए डेबिट कार्ड जारी किए गए। इस वर्ष 16 अगस्त तक कुल 53 करोड़ खाताधारियों में से 33.98 करोड़ से अधिक खाताधारियों को रूपयें डेबिट कार्ड जारी किए जा चुके है। इसके अलावा 10,000 रू. तक का ओवर ड्राफ्ट, दो लाख रूपयें का दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाऐं भी मिलती है। इसमें महत्वपूर्ण यह है कि खाता जीरो बैलेंस खाता है। मतलब यह इस खाते में न्यूनतम राशि रखने की आवश्यकता नहीं होती है।
अन्य बैंक बचत खाते में न्यूनतम बैलंस नहीं रखे जाने पर अब भी कई बैंक खाताधारकों से जुर्माना वसुल रहे है। आरबीआई ने बताया कि पिछले पांच वर्षो में न्यूनतम बैलेंस कम होने पर बैंकों ने खाता धारकों से 18,000 करोड़ की वसूली की। वैसे आरबीआई के आदेश बैंक खाते में न्यूनतम निर्धारित बैलेंस नहीं होने पर कुछ शुल्क लेते थे, वहीं दूसरी और एसबीआई ने ऐसा शुल्क लेना बंद कर दिया है। देखा जाय तो देशभर में इस प्रकार के 70 करोड़ खाते है जो जनधन योजना से अधिक है। जुर्माना वसूल करने वाले बैंक से लोग हटते हुए देखे जा रहे है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने उद्बोधन में जनधन योजना के बारे में जनता को कई अपने मन की बाते बताई है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक न होने कारण वे एक रूपया भी नहीं बचा पाते थे, जिसके चलते उनका बैंक खाते में कई सालों तक एक रूपया भी नहीं रहा था। मोदीजी ने बैंक को होने वाली परेशानी को महसूस करते हुए खुद ही अकाउंट बंद कर दिया। अब उन्होंने खाते खोलने पर जोर दिया है। अब जनधन खाता धारक बैंक से उधार लेने के साथ अन्य सुविधाऐं भी हासिल कर सकते है। मोदी सरकार के पहले किसी ने भी यह नहीं सोचा कि गरीबों को भी बैंकिंग व्यवस्था से जोड़ने की जरूरत है। इसके कारण करोड़ों लोग आर्थिक मुख्यधारा से बाहर थे। यह तो निश्चित है कि कोई भी देश अपने बलबुते पर समर्थ तभी बन पाता है जब उसका प्रत्येक नागरिक आर्थिक विकास की मुख्यधारा ओर वित्तीय गतिविधियों से जु़ड़ता है। इस योजना से यह तथ्य स्पष्ट है कि देश की आर्थिक प्रगति में सभी का योगदान है। देश की केन्द्र व राज्य सरकारे जन कल्याणकारी कार्यो को करने हेतु आर्थिक रूप से गरीब जनता की ओर ध्यान देना होगा। इससे बचत को बढ़ावा मिलेगा इसके साथ ऋण की पहुंच आसान होगी। देश में सरकारी योजनाएँ भ्रष्ट तत्वों की लूटपात से बचाने के लिए बैंकिंग के विकास से योजनाओं का लाभ सीधे बैंक खातों में भेजना आसान नहीं था, वही मोदी सरकार ने हर स्तर पर जवाबदारी सुनिश्चित करके इस असंभव लक्ष्य को हासिल किया। इसके साथ ही अपराध की दर में गिरावट के साथ नशीले पदार्थो का सेवन कम होने लगेगा।