दीपक कुमार त्यागी
भारत के गौरवशाली इतिहास में नारी शक्ति की सुरक्षा के लिए ना जाने कितने लोगों ने आदिकाल से ही बलिदान दिये हैं, इतिहास में अनेक ऐसे उदाहरण है जिसमें लोगों ने अनजान नारी के लिए भी अपने प्राणों को दांव पर लगाने में भी कोई संकोच नहीं किया था। वैसे तो देश-दुनिया की हर धर्म व संस्कृति में नारी का विशेष बेहद सम्मानित स्थान माना गया है। लेकिन भारत की बहुसंख्यक आबादी विश्व के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की बेहद गौरवशाली संस्कृति में नारी शक्ति के विशेष महत्व का बखान बहुत ज्यादा मिलता है, हमारे बेहद प्राचीन धर्म ग्रंथों, शास्त्रों, वेदों और पुराणों में जगह-जगह नारी शक्ति को बेहद सम्मान जनक रूप से पूजनीय स्थान प्रदान किया गया है, हमारी संस्कृति में श्रेष्ठ स्थान प्राप्त नारी शक्ति के बारे में मनुस्मृति में क्या खूब कहा गया है कि –
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ॥ मनुस्मृति 3.56
अर्थात – जिस स्थान पर स्त्रियों की पूजा की जाती है और उनका सत्कार किया जाता है, उस स्थान पर देवता सदा निवास करते हैं और प्रसन्न रहते हैं। जहां ऐसा नहीं होता है, वहां सभी धर्म और कर्म निष्फ़ल होते हैं।
लेकिन उस सबके बाद भी देश में नारी शक्ति के प्रति बढ़ते अपराध सभ्य समाज को झकझोर देने वाले हैं, हाल में घटित लखीमपुर खीरी रेप कांड, उत्तराखंड की मासूम अंकिता हत्याकांड आदि ने एकबार फिर से हम लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या देश में नारी को उपभोग की एक वस्तु मात्र बनाकर रख दिया गया है। वैसे तो देश में नारी शक्ति की पूजा का सबसे बड़ा महापर्व नवरात्रि शुरू हो गये हैं, अष्टमी व नवमी के दिन उपवास खोलने के लिए हम कन्याओं का पूजा करने के लिए लोगों के दर-दर पर जाकर भटकते हुए उनको ढूंढते फिरते हैं। लेकिन बेहद अफसोस की बात यह है कि जिस देश की धर्म व संस्कृति में नारी शक्ति की पल में पल में पूजा होती हो, उसी देश में आज कुछ राक्षसी प्रवृत्ति के दरिंदों की दरिंदगी के चलते लोग आयेदिन अपने कलेजे के टुकड़े बेटियों की चिता जलाने पर मजबूर क्यों हो रहे हैं। हालांकि दिलोदिमाग को बहुत ही बुरी तरह से झकझोर देने वाली इन सभी शर्मनाक घटनाओं पर नारी पर आयेदिन अत्याचार करने वाले लोग भी शर्मिंदा और दुखी होने का जबरदस्त पाखंड व नाटक करते हैं और यह भी दिखाते हैं कि वह नारी शक्ति का बहुत सम्मान करते हैं। वैसे देखा जाए तो देश में बहुत लंबे समय से आयेदिन बेटी अब चिताओं में केवल जल नहीं रही है, बल्कि अब उस चिता में हम लोगों का यह भ्रम भी जल रहा है कि हम एक बहुत ही सभ्य, संजीदा व सुरक्षित समाज में रह रहे हैं।
आंकड़ों को देखें तो यह बिल्कुल स्पष्ट है कि पिछले कुछ वर्षों में देश में नारी शक्ति के प्रति विभिन्न प्रकार के छोटे व बड़े अपराधों में बहुत तेजी आ गयी है, लेकिन आज सबसे अहम विचारणीय तथ्य यह है कि आखिरकार देश में ऐसे हालात क्यों बनते जा रहे हैं, इस स्थिति पर हम सभी लोगों को नारी शक्ति के हित में आत्ममंथन करना ही होगा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2021 में वर्ष 2020 के मुकाबले नारी शक्ति के खिलाफ अपराधों में 15.3 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, इन आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 4,28,278 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज हुए थे। 15.3 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी देश में महिला सुरक्षा के तमाम वादों और इरादों से इतर एक अलग बेहद कड़वी व झकझोर देने वाली सच्चाई बयान करती है। वैसे भी इस रिपोर्ट के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित स्थान है जो सभ्य समाज को बुरी तरह से डराने वाले हालात है।
वैसे देखा जाए तो देश में पिछले कुछ दशकों से भारतीय समाज को एक पुरुष प्रधान समाज बनाने के चक्कर में लोगों के मन में यह एक आम धारणा बना दी गयी है कि सभी वर्ग के लोगों में एक ऐसी पुरुष प्रधान व्यवस्था कायम रहनी ही चाहिए जिसमें हर वक्त पुरुष ताकतवर बनकर के मुख्य केन्द्र में रहकर नारी को उपभोग की एक वस्तु मात्र मानकर उसके साथ अपनी मनमर्जी व विभिन्न तरह से अत्याचार करता रहे, जो कि सभ्य समाज व नारी शक्ति के लिए बिल्कुल भी उचित नहीं है। हालांकि दुनिया में भारत के सबसे प्राचीन सनातन धर्म की संस्कृति, परंपराओं व व्यवस्थाओं में पुरुष व नारी दोनों का ही बेहद विशेष अहम स्थान है, लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि उस व्यवस्था में नारी शक्ति का आदिकाल से ही बेहद विशेष पूजनीय स्थान रहा है। लेकिन आज उस सबके होने के बाद भी हमारे प्यारे देश में नारी शक्ति पर अत्याचार अपने चरम पर हैं। आलम यह हो गया है कि शहर हो या गांव, घर हो या बाहर, आयेदिन कुछ लोगों की निकृष्ट राक्षसी मानसिकता के चलते देश में आज किसी भी आयु व वर्ग की नारी शक्ति पूरी तरह से घर के अंदर या घर के बाहर कहीं पर भी सुरक्षित नहीं बची है। देश में नारी शक्ति के साथ छेड़छाड़, मारपीट, उत्पीड़न, अश्लील वीडियो बना लेन, जबरन देह व्यापार करवाना, बलात्कार, हत्या आदि जैसे जघन्य अपराध आयेदिन होने के चलते अब अपने चरम पर हैं, उससे हर आयु व वर्ग की महिलाओं के प्रति तेजी से बढ़ते हुए अपराध का ग्राफ हमारे सभ्य समाज के लिए भविष्य में एक बड़े खतरें का संकेत दे रहा है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देश में प्रतिदिन 90 नाबालिग लड़कियों से बलात्कार होता है, जो कि बेहद डरावना है। आज के हालात पर मेरा मानना है कि अपराध के घटित होने के बाद कुछ लोगों के द्वारा अपराधियों के पक्ष में जो तर्क व कुतर्क करके जाति व धर्म के आधार पर वर्गीकरण किया जाता हैं, उससे पीड़ित पक्ष के साथ तो बड़ा अन्याय होता ही है, साथ ही यह प्रवृत्ति अपराधियों के हौसले बढ़ाती है, जो कि सभ्य समाज के लिए भी बेहद घातक है। वैसे तो सभ्य समाज के लिए आज लोगों की इस तरह की पक्षपातपूर्ण व बेहद अमानवीय मानसिकता को समाप्त करने की तत्काल जरूरत है, जिस प्रकार सभ्य समाज में जन्म, क्षेत्र, जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देना ठीक नहीं है, उसी प्रकार से इनके आधार पर एक अपराधी के पक्ष में खड़ा होना भी बेहद घातक है, क्योंकि उस संरक्षण के चलते ही व्यक्ति को भविष्य में फिर नारी शक्ति के खिलाफ तरह-तरह के अपराध घटित करने का हौसला मिलता है, जो कि ठीक नहीं है।
हालांकि भारत सरकार लगातार देश में नारी शक्ति की सुरक्षा करने के लिए और विशेष रूप से उनके प्रति अपराध की घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकारों के साथ सामंजस्य बनाकर निरंतर कार्य करती रहती है, लेकिन फिर भी देश में जो नारी शक्ति के प्रति अपराध में तेजी के हालात बने हुए हैं, उसको देखकर लगता है कि देश में अभी अधिक कारगर उपाय किए जाने की जरूरत है, सभ्य समाज से राक्षसों के सफाए करने के लिए सख्त जरुरी कदमों को तत्काल उठाने की जरूरत है। इसके लिए सरकार व समाज दोनों को ही मिलकर पहल करनी होगी और समाज में मृतप्राय हो चुके संस्कारों को पुनर्जीवित करना होगा, तब ही भविष्य में जीवनदायिनी नारी शक्ति सुरक्षित रह सकती है।