सुनील कुमार महला
सड़क हादसे ही नहीं आज दुनिया भर में बढ़ते विमान हादसे भी घोर चिन्ता का विषय हैं। अभी कुछ दिनों पहले ही देश के केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भारत में सड़क दुर्घटनाओं पर अत्यंत चिंताजनक वक्तव्य देते हुए यह बात कही थी कि जब वे सड़क एवं राजमार्ग विकास पर आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भागीदारी करते हैं, तो विभिन्न पक्षों द्वारा भारत में अधिक सड़क दुर्घटनाओं के संदर्भ में पूछे जाने वाले सवालों से वे लज्जित महसूस करते हैं। सड़क हादसों से परे, अब दुनिया में हो रहे विमान हादसे भी कम चिंता का विषय नहीं हैं। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज हवाई यात्रा भी सेफ या सुरक्षित नहीं रही है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि हाल ही में साल के आखिरी दिनों में विश्व में हुई दो भीषण विमान दुर्घटनाओं ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा और हर तरफ शोक की लहर दौड़ गई। हालांकि, जो विमान हादसे हाल ही में हुए हैं वे भारत में नहीं हुए हैं लेकिन नुकसान तो मानवजाति को ही पहुंचा है, भले ही फिर वे कहीं भी क्यों न घटित हुए हों। इस संबंध में हाल ही में मीडिया में आई खबरें यह बतातीं हैं कि कजाकिस्तान में हाल ही में अजरबैजान के विमान के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने से 38 लोगों की मौत हो गई वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया में हुए एक विमान हादसे में 179 लोगों मारे गए। यह बहुत ही दुखद है कि दक्षिण कोरिया में हुए विमान हादसे में बड़ी संख्या में लोग मारे गए, वहीं दूसरी ओर अज़रबैजान के विमान हादसे में भी अड़तीस लोगों का मारा जाना हर किसी के दिल को दहला देने वाला है।एक हफ्ते में दो विमानों का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना और उनमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों का मारा जाना कहीं न कहीं ये दर्शाता है कि आज विमान यात्रा भी सुरक्षित नहीं रह गई है। दक्षिण कोरिया के मुआन में हुए हादसे का कारण पक्षी के टकरा जाने को बताया गया है। बताया जा रहा है कि हादसा विमान की लैंडिंग के समय हुआ जब विमान के पिछले हिस्से से पक्षी टकरा गया और कुछ ही सैंकिड़्स में विमान आग की लपटों से घिर गया। कहा जा रहा है कि पक्षी टकराने की वजह से लैंडिंग गियर में खराबी आ गई। हालांकि, कई जानकार इससे सहमत नहीं हैं। वास्तव में हादसे की वजह क्या रही, यह सब तो हादसे की जांच से कुछ और तथ्य सामने आने के बाद ही सही रूप से स्पष्ट हो पाएगा। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि अजरबैजान विमान हादसे को लेकर अलग-अलग तरह के दावे किए जा रहे हैं। सच तो यह है कि इन अलग-अलग दावों के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की माफी ने सस्पेंस को खत्म नहीं किया बल्कि संदेहों को और अधिक गहरा कर दिया है। पुतिन ने अपने माफीनामे में यह बात कही है कि जब वह विमान कजाकिस्तान में लैंड कर रहा था उस समय यूक्रेनी ड्रोन हमलों के मद्देनजर रूसी डिफेंस सिस्टम एक्टिव था। लेकिन पुतिन ने यह स्वीकार नहीं किया है कि वह विमान इसी सिस्टम का टारगेट बना। कहना मुश्किल है कि लैंडिंग के वक्त विमान में कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई या वह किसी मिसाइल का शिकार हुआ, लेकिन जो भी हो सच तो यही है कि इसमें सवार यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी। बहरहाल, यहां यह भी उल्लेखनीय है कि एविएशन इंडस्ट्री के मामले में साउथ कोरिया का रिकॉर्ड अच्छा माना जाता रहा है और यह पिछले एक दशक में हुई साउथ कोरियन एयरलाइन की पहली बड़ी दुर्घटना है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि इससे पहले वर्ष 2013 में दुर्घटना हुई थी, जब एशियाना एयरलाइंस की एक फ्लाइट सैन फ्रांसिस्को में तीन लोग मारे गए थे। वास्तव में विमान दुर्घटनाओं के अनेक कारण हो सकते हैं। इस संबंध में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि पायलट की गलती, तकनीकी खामियां, मौसम की प्रतिकूलता और यहां तक कि एयरलाइन कंपनियों की लापरवाही के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती न हैं। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि एक रिपोर्ट में यह बताया गया कि पायलट की गलती हवाई दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण है, जो करीब 53% दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। दरअसल, आज पायलटों को अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे खराब मौसम, यांत्रिक समस्याएं और सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करना वगैरह वगैरह। इसके अलावा, क्रू मेंबर की छोटी-छोटी गलतियां, जैसे सामान को सही से न रखना, भी बहुत बार गंभीर परिणाम दे सकती हैं। मेंटेनेंस की कमी,विमान के डिजाइन और निर्माण में खामियां, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, सुरक्षा उपकरण और लैंडिंग तकनीक भी विमान दुर्घटनाओं का एक बड़ा एवं प्रमुख कारण है। बहरहाल, जो भी हो विमान दुर्घटनाओं से जान-माल दोनों की ही बड़ी क्षति होती है। वास्तव में हवाई दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विभिन्न सुरक्षा उपायों को कड़ाई से लागू किया जाना चाहिए। साथ ही साथ विभिन्न तकनीकी खामियों को भी समय रहते सुधारने की आवश्यकता है। कहना ग़लत नहीं होगा कि किसी भी एयरलाइंस को सुरक्षा को पहली प्राथमिकता देते हुए अपनी नीतियों में जरूरत के हिसाब से बदलाव करना चाहिए, तभी वास्तव में विमान दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सकता है।
सुनील कुमार महला, फ्रीलांस राइटर, कालमिस्ट व युवा साहित्यकार, उत्तराखंड।