राष्ट्रीय फलक पर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का मुद्दा फिर चर्चा में आया

राजस्थान के 13 ज़िलो की जीवनदायिनी परियोजना है ईआरसी पी

गोपेंद्र नाथ भट्ट

नई दिल्ली। राष्ट्रीय फलक पर पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) का मुद्दा फिर चर्चा में आया है।

केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित प्री-बजट चर्चाबैठक के दौरान राजस्थान के नगरीय विकास एवं आवासन मंत्री शांति धारीवाल ने प्रदेश की इस महत्वपूर्णमाँग को जोरदार ढंग से रखा।

उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा कई बार उठाई गई इस माँग को फिर से केन्द्र सरकार के समक्ष रखते हुए कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया जाए तथाआगामी केन्द्रीय बजट मे इसके लिए विशेष केन्द्रीय सहायता का प्रावधान रखा जाए। उन्होंने कहा कि 37 हजार 247 करोड़ अनुमानित लागत की पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना से राज्य के 13 जिलों की बड़ी आबादीको सिंचाई एवं पेयजल का लाभ मिलेगा।

उल्लेखनीय है कि राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के कार्यकाल में बनी राजस्थान के 13 जिलों जयपुर, अलवर, झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, दौसा, करौली, भरतपुर और धौलपुर के लिए जीवनदायिनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) आज भी अधर में लटकी हुई है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जयपुर और अजमेर की रेलियों में दिए गए आश्वासन और केन्द्रीय जल शक्ति मन्त्रीगजेन्द्र सिंह शेखावत के राजस्थान से होने के बावजूद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अभी तक मंज़ूरी नहीं मिली है।

वसुन्धरा राजे का शासन बदलने के बाद सत्ता में आए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मुख्यमंत्रियों के सम्मेलनऔर अन्य कई अवसरों पर सिंचाई और पेयजल की दृष्टि से अहम इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व की परियोजना घोषित करने की माँग उठाई हैं। उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी कई बार पत्र भीलिखें हैं। पूर्व सीएम और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने भी सार्वजनिक मंच पर इस मुद्दे को उठाते हुए कहा है कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) 13 ज़िलो के लिए जीवनदायिनी परियोजना है।किसानों और लोगों को सिंचाई एवं पेयजल के लिहाज़ से राहत देने वाली यह परियोजनाए समय पर पूरी होनी चाहिए।

योजनाओं के समय पर पूरा नहीं होने से उनकी लागत भी बढ़ जाती है और लोगों को समय पर लाभ भी नहीं मिल पाता।

राजस्थान के पूर्वी हिस्से में सिंचाई और पेयजल की समस्या का स्थाई निराकरण करने के लिए यहपरियोजना बनाई गई थी लेकिन केन्द्र की मंज़ूरी नही मिलने से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रदेशके बजट में 9600 करोड़ रु का प्रावधान रख अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी है।

इधर केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शक्तावत ने संसद में दिए अपने जवाब में कहा है कि यह परियोजना चम्बल नदी पर राजस्थान और मध्य प्रदेश की साँझा जल परियोजना है।लेकिन जल के बँटवारे की दृष्टि से दोनों प्रदेशों में अभी तक सहमति नहीं हुई है।इसलिए दोनों राज्यों की सहमति के बाद ही इस पर कोई निर्णय हों पायेगा। बताया जा रहा है कि मध्य प्रदेश में कमल नाथ की सरकार के वक्त इस पर सैद्धांतिक स्वीकृति बनीथी लेकिन उनकी सरकार बदलने और शिवराज सिंह चौहान की सरकार आने के बाद यह मामला अधरझूल मेंलटका हुआ है।

प्री-बजट चर्चा बैठक में शान्ति कुमार धारीवाल ने कहा कि प्रदेश में छितरी आबादी एवं विशाल क्षेत्रफल केकारण पेयजल की प्रति कनेक्शन लागत अन्य राज्यों की अपेक्षा में काफी अधिक आती है इसलिए जलजीवनमिशन में भी राजस्थान को विशेष राज्य का दर्जा देकर केन्द्र की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 90 प्रतिशत कियाजाना चाहिए ।

धारीवाल ने कोटा एयरपोर्ट का जल्द निर्माण, रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा रेल लाइन परियोजना औरअजमेर से सवाई माधोपुर वाया टोंक रेल लाइन परियोजना का निर्माण कार्य शीघ्र प्रारंभ करने का अनुरोध भीकिया।

इसके अलावा उन्होंने पेंशन योजनाओं में केन्द्रीय हिस्सेदारी बढ़ाने , नये आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्वीकृति, जीएसटी मुआवजे की राशि 3780.53 करोड़ रुपये जल्द जारी करने तथा खनिजों की रॉयल्टी दरों मेंसंशोधन करने आदि माँगे भी रखी।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजस्थान की उक्त सभी जायज मांगों परगंभीरता से विचार कर उन्हें केन्द्रीय बजट के समय हरसंभव ध्यान रखने का आश्वासन दिया है। अगले वर्ष केअंत में राजस्थान विधान सभा के चुनाव भी होने है। देखना है कि राजनीतिक दृष्टि से कोई घोषणाओं कोकेन्द्रीय बजट में शामिल किया जायेगा या नही?