दीपक कुमार त्यागी
“भारत रत्न” अटल बिहारी वाजपेयी अपने नाम के ही अनुरूप अटल व्यक्तित्व वाले एक महामानव थे। वह अपनी कार्यशैली व ओजस्वी विचारों के दम पर आम जनमानस के दिलो-दिमाग में हमेशा जिंदा रहेंगे, हम और हमारी आने वाली पीढ़ियां उनके व्यक्तित्व से हमेशा प्रेरणा लेती रहेंगी। अटल जी की पहचान देश व दुनिया भर में एक ऐसे लोकप्रिय राजनेता के रूप में होती थी, जिसके पक्ष व विपक्ष दोनों खेमें के नेता, समर्थक व आम जनमानस मुरीद थे। उनकी पहचान कुशल राजनीतिज्ञ, पूरी तरह से आम जनमानस के लिए नि:स्वार्थ भाव से समर्पित एक बेहद ही शानदार सामाजिक व्यक्ति, प्रखर वक्ता, कवि, साहित्यकार, आम जनमानस के हक की बात करने वाले कलम के सशक्त प्रहरी पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले महामानव के रूप में होती थी। अटल जी हमेशा आम जनमानस की बातों को ध्यान से सुनते थे और जन आकाँक्षाओं को पूरा करने का भरसक प्रयास करते थे। जीवन पर्यन्त उनके द्वारा किए गए कार्य राष्ट्र के प्रति उनके अटूट समर्पण के भाव को दिखाते हैं।
एक साधारण परिवार में 25 दिसंबर 1925 को जन्में अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत के प्रधानमंत्री पद को तीन बार सुशोभित करने का कार्य किया था। उनके जीवन का हर क्षण, शरीर का एक-एक कण मां भारती व भारतीय समाज के हितों के कार्य के लिए समर्पित था। “भारत रत्न” अटल बिहारी वाजपेयी कवि हृदय वाले एक ऐसे बेहद संवेदनशील उत्कृष्ट व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे, जिनको हर परिस्थिति में राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर के हमेशा इंसान व इंसानियत की चिंता रहती थी। लेकिन साथ ही जब देशहित की बात हो तो अटल जी के व्यक्तित्व में एक बेहद ही कठोर चट्टान की तरह कठोरता मौजूद थी, जिसकी बानगी दुनिया ने समय-समय पर देखी है, कारगिल युद्ध इसकी एक बानगी मात्र है। अटल जी का ओजस्वी व्यक्तित्व एक आम इंसान व एक खास इंसान सभी तरह के लोगों को जोड़कर के चलने की क्षमता रखता था। वह मां सरस्वती के ऐसे ज्ञानी पुत्र थे, जो कि वाकपटुता के धनी धाराप्रवाह बोलने की क्षमता रखने वाले एक कुशल ओजस्वी वक्ता थे। अटल जी 21वीं सदी के आधुनिक भारत के स्वप्नद्रष्टा और आधुनिक राष्ट्र के निर्माता थे, जिन्होंने देश को एक नयी दिशा देकर आम जनता के जीवन की दशा में बहुत सारे सकारात्मक बदलाव किए थे। उनके कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्होंने देश की दशा व दिशा को पूरी तरह से बदल डालने का कार्य किया था –
- 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में जब उन्होंने पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण कर के इतिहास रचा था, तो उस समय पूरी दुनिया अचानक से बढ़ती भारत की परमाणु शक्ति से हैरान-परेशान हो गयी थी। उस वक्त भारत के दुश्मन देश अपनी सुरक्षा के लिए यूएन व अमेरिका से भीख मांग रहे थे, वह अटल जी के द्वारा उठाए गए इस कदम से बेहद परेशान हो गए थे।
- वहीं 19 फरवरी 1999 को पाकिस्तान से संबंध सुधारने के उद्देश्य से सदा-ए-सरहद नाम से दिल्ली से लाहौर की बस सेवा शुरू करके अटल जी ने भारत-पाकिस्तान के संबंधों को बेहतर बनाने के लिए एक इतिहास रचने का कार्य किया था। हालांकि उनके इस कदम पर आतंकियों के आका पाक ने ही स्वयं पानी फेर दिया था।
- अटल जी के नेतृत्व में ही 3 मई 1999 – 26 जुलाई 1999 तक भारतीय सेना के जांबाजों ने करगिल युद्ध में पाक के अवैध कब्जे से भारत के बहुत बड़े भूभाग को छुड़ाने का साहसिक व ऐतिहासिक कार्य किया था।
- कारगिल युद्ध के बाद भारत व पाकिस्तान के बीच बेहद तनावपूर्ण संबंधों के बाद भी वर्ष 2001 में भारत के कट्टर दुश्मन पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से आगरा में शिखर वार्ता करने का साहसिक कदम उठाकर, अटल जी ने दुनिया को चौका दिया था।
- अटल जी ने ही 21वीं सदी के आधुनिक भारत के विकास की मज़बूत नींव रखने का कार्य करते हुए, विकास को तेज गति देने के लिए देश भर में राष्ट्रीय राजमार्ग की विभिन्न छोटी-बड़ी परियोजनाओं की शुरुआत करते हुए, देश को महत्वाकांक्षी व दूरगामी परिणाम देने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज जैसी बेहद ही काम की बड़ी परियोजना के माध्यम से देश के चार मुख्य महानगर दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई को सड़क मार्ग से जोड़ने की शुरूआत करके देश में आधुनिक सड़कों के जाल बिछाने की शुरुआत की थी।
हालांकि आज महामानव “भारत रत्न” अटल बिहारी वाजपेयी जी की जयंती पर देश व दुनिया के लोग उनको अपने-अपने शब्दों के मध्यम से अपनी-अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं। लेकिन यह भी कटु सत्य है कि विराट व्यक्तित्व की शख्सियत अटल जी के विराट व्यक्तित्व का वर्णन शब्दों में करना किसी भी व्यक्ति के लिए आसानी से संभव नहीं है। उनके शानदार व्यक्तित्व का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि वह आम जनमानस के साथ-साथ देश के राजनीतिक गलियारों में पक्ष व विपक्ष दोनों के लिए ही आदर्श रहे हैं। उनकी वाकपटुता का आज भी देश के राजनीतिक गलियारों कोई तोड़ नहीं है, देश के आम व खास सभी वर्गों के लोग उनको बेहद ध्यान से सुनने का कार्य करते थे। अटल जी की बोलने की शैली बेहद ही शानदार थी, देश के पक्ष व विपक्ष के सभी राजनेताओं को उस शैली से सीखना चाहिए। अटल जी जब भी किसी व्यक्ति या संस्था पर टिप्पणी करते थे, तो अपनी उस टिप्पणी से उनका उद्देश्य भी पूरा हो जाता था और आपसी संबंधों में किसी भी प्रकार की कटुता भी उत्पन्न नहीं होती थी, यह उनकी शैली की खूबी थी, जिस शैली को आज के दौर के राजनेताओं व सार्वजनिक जीवन जीने वाले सभी लोगों को अपने जीवन में उतारना चाहिए, कवि हृदय अटल जी ने एक से बढ़कर एक कविताएं लिखी हैं, उनकी एक कविता “क़दम मिलाकर चलना होगा”-
“बाधाएँ आती हैं आएँ
घिरें प्रलय की घोर घटाएँ,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएँ,
निज हाथों में हँसते-हँसते,
आग लगाकर जलना होगा।
क़दम मिलाकर चलना होगा।”
की चंद पंक्तियां जीवन पथ चलते हुए पर हर पल व्यक्ति को जबरदस्त हौसला प्रदान करती हैं।
जनसंघ के संस्थापक सदस्य व भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष भारतीय राजनीति के पुरोधा युगपुरुष भारत रत्न “अटल बिहारी वाजपेयी” ने ना केवल “भारतीय जनता पार्टी” को देश व दुनिया में विशिष्ट पहचान दिलाने का कार्य किया था, बल्कि उन्होंने देश की राजनीति को भी हमेशा एक नई सकारात्मक दिशा देने का कार्य किया था। अटल जी ने राजनीति में रहकर भी कीचड़ में खिलने वाले कमल के पुष्प की तरह ही जीवन भर निष्कलंक रहते हुए देश व समाज हित में कार्य करने का काम किया था। उन्होंने भारत की राजनीति में नेहरू, शास्त्री, इंदिरा, मुरारजी, चौधरी चरण सिंह, राजीव गांधी, वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, एचडी देवगौड़ा, आई के गुजराल आदि का दौर देखा और इन सबके बीच रहकर भी अपनी कार्यशैली से अपनी विशिष्ट पहचान बनाने का कार्य किया था। वास्तव में वह “मां भारती” के एक अनमोल रत्न थे, मैं जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।