दीपक कुमार त्यागी
विश्व के लोगों को परिवार की अहमियत बताने व समझने के उद्देश्य से हर वर्ष 15 मई को “विश्व परिवार दिवस” मनाया जाता है। वैसे तो इस संसार या समाज में परिवार एक सबसे छोटी लेकिन महत्वपूर्ण व बेहद मजबूत इकाई है। यह हमारे जीवन की एक ऐसी आवश्यक मौलिक इकाई है, जो हमें एक-दूसरे के साथ प्यार, मोहब्बत, आपसी सहयोगात्मक, सामंजस्य के साथ जीवन जीना सिखाती है, परिवार ही हमें समाज में सौहार्दपूर्ण संबंध व आपसी मेलजोल से रहना सिखाता है। प्रत्येक इंसान किसी न किसी परिवार का महत्वपूर्ण अंग है या फिर जीवन में कभी रहा है। परिवार से अलग होकर व्यक्ति के अस्तित्व के बारे सोचना भारत में आज भी बहुत चुनौती पूर्ण है। आज भी हम भारतवासी आधुनिक संस्कृति और सभ्यता के परिवर्तनों को स्वीकार करके अपने आप को चाहें कितना भी बदल ले या परिष्कृत कर ले, लेकिन फिर भी हमने जीवन में कभी परिवार के अस्तित्व पर कोई भी आंच नहीं आने दी है, हम लोगों में अधिकतर अब भी कभी ना कभी परिवार के साथ मिल इकट्ठा जरूर रहते हैं। जीवन में रिश्तों की इस बेहद मजबूत महत्वपूर्ण कड़ी को हमने आज के व्यवसायिक दौर में भी बहुत सुरक्षित करके रखा हुआ है। हो सकता है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में आपसी मनमुटाव के चलते कभी-कभी वह भले टूटने के कगार पर पहुंच जाती है, लेकिन फिर भी हम भारतीय परिवार व उसके लोगों के अस्तित्व को अपने जीवन में कभी नकारा नहीं सकते है, क्योंकि हमारी जिंदगी में परिवार बहुत आवश्यक है।
वैसे आज के आपाधापी व भागदौड़ भरी जिदंगी में जब हर क्षेत्र में बहुत अधिक प्रतियोगिता है, आज के दौर में इंटरनेट का प्रभाव और जीवन में कभी ना समाप्त होने वाली महत्वकांक्षाओं के समंंदर में अगर डूबने से कोई बचा सकता है तो वह संयुक्त परिवार ही है। वैसे भी विश्व में अलग-अलग तरह की विभिन्न शोधों में यह साबित हो चुका है कि वे लोग बहुत ही कम अवसाद ग्रस्त होते हैं जो संयुक्त परिवार में मिलजुल कर इकट्ठा रहते हैं और वो लोग अपने जीवन के लक्ष्य को बेहद आसानी से हासिल कर लेते है। आज के भौतिकवादी युग में भले ही समाज में हर तरफ व्यक्तिवादी और उपभोक्तावादी संस्कृति का बहुत बोलबाला हो गया है, लेकिन अब भी परिवार समाज की एक सबसे मजबूत महत्वपूर्ण ईकाई है, जिसके रिश्तों की बेहद घनी छांव और स्नेह भरे स्पर्श के चलते व्यक्ति एक ही पल में अपने सारे दुख दर्द भूल जाता है। परिवार सिर्फ समाज की सबसे छोटी ईकाई ही नहीं, बल्कि सबसे अधिक मजबूत ईकाई भी है। यही किसी व्यक्ति या समाज के विकास का सबसे मजबूत स्तंभ भी है, इसके बलबूते ही हम सभी मिलजुलकर एकजुट होकर रहते हैं।
“विश्व परिवार दिवस” के इतिहास को देखें तो समाज में परिवार के महत्व को देखते हुए सम्पूर्ण विश्व में लोगों के बीच परिवार की अहमियत बताने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र संघ ने “विश्व परिवार दिवस” या “अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस” हर साल 15 मई को वर्ष 1994 से मनाना शुरू किया था। वर्ष 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ के प्रस्ताव संख्या A/RES/47/237 के द्वारा प्रतिवर्ष 15 मई 1994 से “विश्व परिवार दिवस” मानने की शुरुआत हुई। जिसके लिए हर वर्ष एक अलग विषय (थीम) चुनाव किया जाता है और तब से हर वर्ष यह सिलसिला लगातार जारी है। परिवार की महत्ता को लोगों को समझाने के लिए 15 मई को सम्पूर्ण विश्व में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस दिन के लिए जिस प्रतीक चिह्न को चुना गया है, उसमें हरे रंग के एक गोल घेरे के बीचों बीच एक दिल और घर अंकित किया गया है। जिससे स्पष्ट है कि किसी भी समाज का केंद्र परिवार ही होता है। परिवार में आकर ही हर उम्र व वर्ग के लोगों को जिंदगी का असली सुकून पहुँचता है। हालांकि आज के व्यवसायिक दौर में संयुक्त परिवार के स्वरूप में बहुत परिवर्तन आया है, आज परिवार के मूल्यों में भी बहुत परिवर्तन हुआ है, लेकिन फिर भी कभी जिंदगी में परिवार की अहमियत के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्न नहीं लगाया जा सकता है, भारत में हर व्यक्ति के जीवन में परिवार का अपना अलग ही महत्व है।
वैसे देखा जाये तो जीवन पथ पर संयुक्त परिवार में रहने का अपना एक अलग अनमोल आनंद है और इसके बहुत सारे लाभ हैं, जो निम्न हैं-
सुरक्षा और स्वास्थ्य :- संयुक्त परिवार में रहने के बहुत लाभ हैं, परिवार का प्रत्येक सदस्य अपने आपको आर्थिक रूप से, सामाजिक रूप से व असमय आने वाले खतरों से बहुत ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है, क्योंकि उसके साथ उसका परिवार खड़ा है, वह सभी आपस में परिवार की हर तरह की सुरक्षा की जिम्मेदारी सभी परिजन मिलजुल कर इकट्ठा निभाते हैं। जिसके चलते परिवार के किसी भी सदस्य की स्वास्थ्य समस्या, सुरक्षा समस्या, आर्थिक समस्या पूरे परिवार की समस्या होती है जिससे उस समस्या का आसानी से समाधान हो जाता है।परिवार के संयुक्त प्रयास होने के चलते किसी व्यक्ति के सामने आयी कोई भी बड़ी से बड़ी अनापेक्षित रूप से आयी परेशानी आपसी सहयोग से बहुत ही सहजता व सरलता से सुलझा ली जाती है। जिससे पीडित व्यक्ति का हौसला कभी भी नहीं टूटता है और वह गम्भीर से गम्भीर स्थिति का सामना भी बहुत ही सहजता से कर लेता है।
आपस में बंट जाते हैं कार्य व जिम्मेदारियां :- संयुक्त परिवार में परिजनों की संख्या अधिक होने के कारण हम लोग आपस में अपने कार्यों व जिम्मेदारी का विभाजन करके जीवन जीने की राह को आसान बना लेते है। इससे परिवार के किसी एक सदस्य पर जिम्मेदारियों व कार्यो का ज्यादा बोझ नहीं पड़ता और सब लोग आपस में हंसी-खुशी से एक-दूसरे के लिए सहयोग करके अपने दायित्वों का सफलतापूर्वक निर्वहन करते हैं, जिससे परिवार तरक्की के नये आयाम स्थापित करता है।
जीवन में अनावश्यक तनाव से मुक्ति :- संयुक्त परिवार में जिम्मेदारियों व कार्यो का बंटवारा हो जाने से किसी एक सदस्य पर किसी तरह का अनावश्यक बहुत ज्यादा दबाव नहीं पड़ता है। जिससे तनाव की स्थिति उत्पन्न नहीं होती है और व्यक्ति का जीवन तनाव मुक्त रहकर सुखी व सरलता से चलता रहता है।
बच्चों के चरित्र का समुचित विकास :- संयुक्त परिवारों में हमारी भावी पीढ़ी छोटे बच्चों के लिए सर्वाधिक सुरक्षित और उचित शारीरिक एवं चारित्रिक विकास के भरपूर अवसर प्राप्त होते है। परिजनों की संख्या अधिक होने से बच्चे की इच्छाओं और आवश्यकताओं का भी अधिक ध्यान रखा जाता है। उसे परिवार में ही अन्य बच्चों के साथ खेलने कूदने का भरपूर मौका मिलता है, उसका समूचित मानसिक व शारिरिक विकास बहुत ही आसानी से होता है। साथ ही बच्चे को माता-पिता के साथ-साथ परिवार के अन्य सदस्यों विशेष तौर पर दादा, दादी का अपार स्नेह व प्यार भी मिलता है। जिससे बच्चे संस्कारवान बनते है और उनके चरित्र का समुचित विकास होता है जिससे की वो भविष्य में आने वाली हर समस्या के समाधान के लिए सशक्त रूप से तैयार हो जाते है।
विश्व परिवार दिवस का मूल उद्देश्य परिवारों के विघटन को रोकना :- आज के आधुनिक समाज में परिवारों का विघटन दिन-प्रतिदिन बहुत ही तेजी के साथ बढ़ रहा है, हमारा देश भारत भी इससे अछूता नहीं है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य जीवन में लोगों को संयुक्त परिवार की अहमियत बताना है, संयुक्त परिवार से जीवन में होने वाली उन्नति के साथ, एकल परिवारों और अकेलेपन के नुकसान के प्रति युवाओं को जागरूक करना भी “विश्व परिवार दिवस” का मूल उद्देश्य है। जिससे युवा अपनी बुरी आदतों (शराब, धूम्रपान, जुआ, गंदा नशा आदि) को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत संयुक्त परिवार में रह कर सकें। इसी उद्देश्य के साथ अब धीरे-धीरे सम्पूर्ण विश्व में “विश्व परिवार दिवस” बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाने लगा। जिसे अब हम संयुक्त परिवार के महत्व और जीवन में परिवार की जरुरत के प्रति युवाओं में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष सेलिब्रेट करते है। इसलिए आज हमको इस दिन का उद्देश्य पूरा करने के लिए संकल्प लेना होगा कि हम हमेशा अपने परिजनों का ध्यान रखेंगे और सुख-दुख में आपस में सहयोग करेंगे तथा सनातन धर्म की प्राचीन परंपरा “वसुधैव कुटुम्बकम्” जिसके अनुसार धरती ही परिवार है माना गया है पर अमल करेंगे, आज हम जिंदगी के इसी मूल मंत्र के साथ आपको व आपके परिवार को “विश्व परिवार दिवस” की बधाई देते हैं।