सड़कों पर मुखर हुई पहाड़ के बेरोजगार युवाओं की पीड़ा

ओम प्रकाश उनियाल

उत्तराखंड में भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग को लेकर देहरादून में आंदोलित बेरोजगार युवक-युवतियों पर पुलिस द्वारा बर्बरतापूर्ण लाठियां भांजे जाने के विरोध में राज्य में जगह-जगह सरकार के पुतले फूंकने, काली पट्टियां बांधकर युवाओं द्वारा धरने-प्रदर्शन करने का प्रकरण खूब गरमाहट में रहा। विपक्षी दलों ने भी सरकार व पुलिस की तीखी भर्त्सना की। ज्ञातव्य है कि उत्तराखंड में बेरोजगारी की दर निरंतर बढ़ रही है। हालांकि, बेरोजगारी एक ऐसी विकट समस्या बनी हुई है जिसने पूरे देश को अपने आगोश में जकड़ा हुआ है। कुछ राज्यों में यह समस्या अधिक है। जिसके कारण युवाओं का आक्रोशित होना स्वाभाविक है।

उतराखंड को बाईस साल हो चुके हैं। यहां यह समस्या दिनोंदिन मुंह बाए जा रही है। राज्य के उच्च-शिक्षित बेरोजगार रोजगार पाने हेतु दर-दर भटक रहे हैं। न सरकारी और न ही प्राईवेट नौकरी। युवा सरकारी नौकरी के लिए परीक्षा देते रहे हैं और परिणाम पेपर लीक होने की खबर के साथ। पिछली कुछ भर्तियों के पेपर लीक होते रहे हैं। सरकार उन परीक्षाओं को निरस्त करती रही। युवाओं का यही आरोप था कि सरकार उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है। इसी कारण मजबूरन उन्हें सड़कों पर उतरना पड़ा।

शांतिपूर्ण ढंग से अपना आंदोलन चला रहे युवाओं पर पुलिस बर्बरता के कारण आंदोलन में एक नया मोड़ आ गया था। उधर, धामी सरकार इस प्रकरण को सुलझाने का प्रयास करती रही।

सरकार ने भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए राज्य में नकल विरोधी अध्यादेश लागू कर दिया है। जिसमें सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।