प्रधानमंत्री ने जीएसटी सुधार के वायदे को किया पूरा, पर कांग्रेस क्रेडिट लेने की जुगाड़ में

The Prime Minister fulfilled the promise of GST reform, but Congress is trying to take the credit

अशोक भाटिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत के लोगों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में सुधार के रूप में दिया गया “दिवाली उपहार”, संभवतः तीन स्तंभों – संरचनात्मक सुधार, दरों को युक्तिसंगत बनाना, और जीवन को आसान बनाना – पर आधारित होगा तथा इसमें वर्तमान पांच-दर प्रणाली से दो-दर प्रणाली की ओर बदलाव शामिल हो सकता है।भारत के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर नई दिल्ली के लाल किले से अपने भाषण में श्री मोदी ने कहा था कि सरकार अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार लाएगी, जिससे आम आदमी पर कर का बोझ कम होगा। यह आपके लिए दिवाली का तोहफ़ा होगा। पीएम मोदी ने दिवाली के जिस गिफ्ट को आम आदमी को देने का वादा किया था, उसे नवरात्र के पहले दिन ही देने की तैयारी की जा रही है। जीएसटी परिषद ने त्योहारी सीजन पर नए जीएसटी ढांचे को लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है। परिषद के फैसले से आम लोगों, किसानों और कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। नई दरें नवरात्र के पहले दिन (22 सितंबर) से लागू होंगी। 22 सितंबर से नए जीएसटी स्लैब को लागू किए जाने के पीछे एक अहम उद्देश्य यह भी है कि 22 सितंबर से नवरात्र शुरू हो रहे हैं। ऐसे में त्योहारी सीजन में लोग खरीदारी करते हैं।सरकार का मानना है कि अगर नवरात्र के पहले दिन से छूट का प्रावधान लागू किया जाता है तो उससे ग्राहकों को लाभ होगा। इससे बाजार को भी गति मिलेगी। खासकर ऑटोमोबाइल क्षेत्र को व्यापक लाभ हो सकता है। इसलिए सरकार चाहती है कि जीएसटी परिषद में सहमति बनने के बाद जीएसटी के दो स्लैब लागू करने में ज्यादा देरी न हो।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर दर में कटौती की घोषणा करते हुए कहा कि अब से जीएसटी के केवल दो चरण होंगे। देश भर में सरकार के विज्ञापन अभियान में भी यही कहा गया है। लेकिन यह सच नहीं है। नवीनतम दर में कटौती से पहले, वस्तु और सेवा कर के छह चरण थे। शून्य प्रतिशत, 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, कर 28 प्रतिशत और 40 प्रतिशत अधिक था। इनमें से 12% और 28% को हटा दिया गया। इसका मतलब है कि छह चरणों में से केवल दो चरणों को हटाया जाएगा और अब से चार चरणों में कर लगाया जाएगा। इसमें भी 28 प्रतिशत में से कई 40 प्रतिशत तक चले जाएंगे। केवल एक चरण होना आदर्श वस्तु एवं सेवा कर है। हमारे जैसे देश में, यह असंभव है। हालांकि, सभी घटकों को अधिकतम दो चरणों में विभाजित करना आवश्यक था। इस संदर्भ में, माल और सेवा कर का मूल मसौदा। विजय केलकर की समिति ने भी दो चरणों की सिफारिश की थी और कई विशेषज्ञ अभी भी यही बात कहते हैं। सुधार का दावा करने वाली सरकार ने इससे मुंह मोड़ लिया है। अगर आप इस टैक्स के वास्तविक लाभों का अनुभव करना चाहते हैं, अर्थव्यवस्था के उछाल का अनुभव करना चाहते हैं, तो G. S. Tax के चरण दो से अधिक नहीं होने चाहिए।

कुछ लोगों का मानना है कि भले ही सरकार दो करने का दावा करती है, लेकिन यह एक धोखा है। वित्त मंत्री के बयान में वस्तु/सेवा कर के तीन महत्वपूर्ण घटकों- पेट्रोल, डीजल और शराब को वस्तु/सेवा कर में शामिल करने का उल्लेख नहीं है। अर्थात, सरकार के पास अभी भी ईंधन की कीमत को छूने की हिम्मत नहीं है, जिस पर परिवहन लागत, जो सभी वस्तुओं/सेवाओं के घटकों की कीमतों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। ऐसी स्थिति में, केवल सरकार और विचारक ही जो हुआ उसे ‘प्रमुख सुधार’ कह पाएंगे। दूसरों ने कहा कि इन कथित सुधारों ने इन कथित सुधारों को जन्म दिया है। यह खुश होना वांछनीय है कि सेवा कर में हास्यास्पद असामंजस्य कुछ हद तक कम हो जाएगा।

यानी ‘बन-पाव’ पर 5 फीसदी, काजल पर 5 फीसदी, लेकिन बन-मास्क पर 18 फीसदी, जो कई लोगों के नाश्ते का एक घटक है। या स्कूल स्तर पर आवश्यक स्नैक्स पर 5 फीसदी, मासिक धर्म के दौरान आवश्यक सैनिटरी पैड पर 12 फीसदी और इसी उद्देश्य के लिए इस्तेमाल होने वाले टैम्पोन पर 18 फीसदी।नवीनतम तथाकथित सुधारों में चिकित्सा बीमा आदि पर करों में कमी आएगी। बेचारा। अब यह टैक्स फ्री होगा। सबसे बड़ा बदलाव जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर टैक्स में होगा। इन दो आवश्यक सेवाओं पर 18 प्रतिशत का कर लगाना मूल रूप से मूर्खतापूर्ण है। हमारे पास पहले से ही चिकित्सा बीमा चाहने वाले लोगों की एक छोटी संख्या है। इसने इस क्षेत्र की कमर 18 प्रतिशत तक तोड़ दी। यह अब सीधा होना चाहिए। क्योंकि ये बीमा प्रीमियम अब टैक्स फ्री होगा। वही मूर्खतापूर्ण कहर सिनेमाघरों में पॉपकॉर्न-नामित मकई के लट्टे के बारे में था। पहले मक्के के लट्टे साधारण होने पर 5 प्रतिशत, नमकीन लट्ठे पर 12 प्रतिशत और कारमेलाइज्ड लाठियों पर 18 प्रतिशत कर देना पड़ता था। अब, हम पांच प्रतिशत में सभी लाठियों से छुटकारा पा लेते थे। अब, सभी लाठियां घटाकर पांच प्रतिशत कर दी जाएंगी। बढ़ते तापमान के कारण, एयर कंडीशनर कोई विलासिता नहीं है। रेल मंत्रालय का कहना है कि मुंबई में सभी लोकल ट्रेनें वातानुकूलित होनी चाहिए। उपभोक्ता वस्तुएं 5 फीसदी के दायरे में आएंगी। इसमें आपका स्वागत है।

हालांकि, ये तथाकथित सुधार इस स्वागत को एकमुश्त करने की अनुमति नहीं देते हैं। उदाहरण के लिए, कारों और होटलों के लिए कर संरचना 40 प्रतिशत होगी और 7,500 रुपये से अधिक शुल्क लेने वाली होटल सेवाओं पर भी कर लगेगा। हमारी सरकार को अभी तक पता नहीं है कि ऐसी कार लेने वाले और महंगे होटलों में रहने वाले अमीर नहीं हैं। हमारे पास सड़कों और परिवहन की गुणवत्ता को देखते हुए, बहुत से लोग सुरक्षा कारणों से हाल ही में बड़ी कारें खरीदते हैं। अब लागत बढ़ेगी। एक खामी भी है। इसका मतलब है कि 1200 सीसी इंजन की क्षमता वाली कारों पर ज्यादा टैक्स लगेगा, इसलिए इसमें कोई शक नहीं है कि 1150 सीसी क्षमता वाली कारें जल्द ही आएंगी। दूसरा मुद्दा स्टार होटलों का है। यह सच है कि इसका उपयोग अमीरों द्वारा किया जाता है। लेकिन यह भी सच है कि स्टार होटलों में आम होटलों की तुलना में अधिक रोजगार की क्षमता होती है। एक पांच सितारा होटल सीधे कम से कम 500 लोगों को रोजगार देता है और समान संख्या में अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करता है। इसलिए अगर हम रोजगार सृजन, खरीदारी और सेवाओं को प्रोत्साहित करना चाहते हैं, तो हमें बड़ी कारों या बड़े होटलों की जरूरत है। ऐसा लगता है कि ‘अमीरों को थप्पड़ मारो’ मानसिकता के कारण ऐसा नहीं हो रहा है। सरकार का अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक सुधार नोटबंदी रहा है। इसके पीछे मकसद अमीरों को सबक सिखाना था। वास्तव में, किसे फायदा हुआ और कौन दिवालिया हो गया, इसका इतिहास ताजा है। इस मानसिकता के दोहराव की संभावना है।

भारत सरकार की तरफ से GST में किए गए बदलाव को लेकर कांग्रेस भी क्रेडिट लेने की जुगाड़ में है । विपक्ष के नेता राहुल गांधी अपने कई पुराने ट्वीट सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।कांग्रेस का कहना है कि आठ साल बाद बीजेपी को अपनी गलती का अहसास हुआ है, जबकि कांग्रेस इसका पहले से ही विरोध कर रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने उन पुराने ट्वीट को शेयर किया, जिनमें उन्होंने लिखा था कि कांग्रेस 18% CAP के साथ एक रेट के लिए संघर्ष जारी रखेगी। उन्होंने कहा था कि अगर बीजेपी ये काम नहीं करेगी, तो कांग्रेस करके दिखाएगी।

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया अकाउंट पर ऐसे ट्वीट शेयर किए जिसमें एक ट्वीट 8 साल पुराना है और दुसरा 9 साल पुराना है। 2017 में शेयर किए गए ट्वीट में लिखा था कि भारत को गब्बर सिंह टैक्स नहीं, सरल GST चाहिए। कांग्रेस और देश की जनता ने लड़कर कई वस्तुओं पर 28% टैक्स खत्म करवाया है। 18% CAP के साथ एक रेट के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। अगर भाजपा ये काम नहीं करेगी, तो कांग्रेस करके दिखाएगी। वहीं 2016 के ट्वीट में लिखा था कि जीएसटी दर पर 18% की सीमा सभी के हित में है।

इस पर पवन खेड़ा ने कहा कि शुरू से राहुल जी 2 स्लैब्स की बात कर रहे हैं। एक सिंप्लिफिकेशन होना चाहिए। हमारी सलाह मानने में 9 साल लग गए। वाकई इनकी समझ कम है या घमंड है। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि मैं आठ साल बाद सरकार को अपनी गलती का एहसास होने पर उसकी सराहना करता हूं। उन्होंने कहा कि आठ साल तक बीजेपी ने मध्यम वर्ग और गरीबों को निचोड़ा है। कांग्रेस नेता ने कहा कि उस समय हमने सलाह दी थी कि ऐसा कर नहीं लगाया जाना चाहिए, लेकिन उस समय न तो प्रधानमंत्री और न ही मंत्रियों ने हमारी बात सुनी। उन्होंने कहा कि मैंने संसद में भी आवाज उठाई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। चिदंबरम ने कहा कि GST की दरें 12% और 18% से घटाकर घटाकर 5% कर दी गई हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि कांग्रेस लंबे समय से जीएसटी 2.0 की वकालत करती रही है। बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जीएसटी परिषद की बैठक से पहले पीएम मोदी ने 15 अगस्त को जीएसटी की दरों को घटाने की बात कही थी। उन्होंने बीजेपी पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या जीएसटी परिषद अब केवल एक औपचारिकता बनकर रह गई है?कांग्रेस नेता ने कहा कि पीएम को कांग्रेस ने 2017 में भी ध्यान दिला दिया कि उनके द्वारा लिया गया निर्णय गलत है। उन्होंने कहा कि इसे इसे गुड एंड सिंपल टैक्स कहा गया था, लेकिन यह ग्रोथ सप्रेसिंग टैक्स साबित हुआ।अब यह तो धीरे – धीरे ही पता चलेगा कि आम जनता को दिवाली ला कितना गिफ्ट मिला है ।