गोपेन्द्र नाथ भट्ट
अपनी मौलिक सोच एवं नवाचारों के लिए पहचाने जाने वाले राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अपने नवाचारों की श्रृंखला में एक और पहल करते हुए राजस्थान की राजधानी पिंक सिटी जयपुर में राजस्थान विधानसभा के सदन के हॉल को भी पिंक आवरण में तब्दील कराया हैं। पहले विधानसभा का यह हॉल हरे रंग से सुसज्जित था लेकिन वर्ष 2001 में राज्य विधानसभा के हवामहल जलेब चौक से ज्योति नगर में जनपथ पर स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित होने के बाद से पिछले करीब 24 वर्षों बाद सदन में बिछे हरे कालीन को बदल गुलाबी नगरी के वैभव के अनुरूप गुलाबी रंग में बदला गया हैं। इस परिवर्तन से सदन की आभा और अधिक निखर गई है। राजस्थान की बेजोड़ स्थापत्य कला से निर्मित विधानसभा का भव्य एवं सुन्दर भवन भी राजस्थान के गुलाबी पत्थर से ही निर्मित है।
नये वर्ष 2025 में जनवरी के अन्तिम सप्ताह में प्रस्तावित राज्य विधान सभा के आगामी सत्र में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े, सदन के नेता मुख्यमन्त्री भजन लाल शर्मा और पक्ष एवं प्रतिपक्ष के सभी 200 सदस्यों का सदन में बिछाये गये गुलाबी रंग के नये कालीन से भरा कलेवर स्वागत करेगा। साथ ही हर विधायक के टेबल पर कम्प्यूटर भी लगे मिलें, ऐसे प्रयास किए जा रहें है। विधानसभा के डिजिटल होने से सदन की कार्यवाही अब पेपरलैस होगी तथा विधानसभा का प्रत्येक सदस्य सूचना तकनीक का उपयोग करते हुए सदन की कार्यवाही में भाग ले सकेगा। इस प्रकार 16वीं विधानसभा का तृतीय सत्र डिजिटल पद्धति से संचालित होगा।
राजस्थान विधान सभा के अध्यक्ष वासुदेव देवनानी का पिछलें एक वर्ष का कार्यकाल कई नवाचारों और उपलब्धियों से भरपूर स्वर्णिम काल रहा हैं। विधानसभाध्यक्ष के रूप में उनके कार्यकाल का इस 21 दिसम्बर को एक वर्ष पूरा हुआ हैं। राजस्थान विधानसभा के 18 वें अध्यक्ष देवनानी ने एक वर्ष के अपने कार्यकाल में कई नवाचार कर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ अर्जित की है। नए साल 2025 में विधानसभाध्यक्ष देवनानी की लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के हाथों राजस्थान कांस्टीट्यूशन क्लब का शुभारम्भ करा विधायकों को नया तोहफा देने की योजना है।राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली की तरह जयपुर में राजस्थान कांस्टीट्यूशन क्लब बनाने के मामले में भी राजस्थान अग्रणी प्रदेश बन रहा है।
देवनानी ने विधानसभा भवन और इससे सटे नव निर्मित विधायक निवास में बिजली के खर्च की बचत के लिए सोलर पेनल लगाने की दिशा में प्रयास किए हैं।
देवनानी ने संसद की तरह राजस्थान विधानसभा में भी सर्वदलीय बैठक की ऐतिहासिक पहल की है तथा सदन में लंच ब्रेक की शुरुआत भी कराई हैं। उन्होंने राज्य सरकार के अधिकारियों से विधानसभा प्रश्नों के उत्तर समय सीमा में मंगाने के साथ ही विधानसभा की विभिन्न समितियों की रिपोर्ट भी समय पर मंगाना और उनकी आवश्यक रूप से सदन में चर्चा करना भी सुनिश्चित कराया है। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में स्थगन के साथ पूर्व की भांति पर्ची के माध्यम से लोक महत्व के विषयों को उठाये जाने की व्यवस्था को पुनः लागू करने के साथ ही इन मामलों के अविलम्ब जवाब दिलाना भी शुरू कराया है। वे सदन को अधिक से अधिक समय तक चलाने और सार्थक चर्चा पर विशेष ध्यान दे रहें हैं। डिजिटल व्यवस्था को सुदृढ़ कराने से विधानसभा के विधेयक, रिपोर्टस, वीडियो आदि मीडिया अनुसंधानकर्ता और आम नागरिकों को अब सरलता से ऑन लाईन उपलब्ध हो रहे है। देवनानी अगले वर्ष से संसद की तरह विधानसभा के भी तीन सत्र चला कर कार्यदिवस बढ़ाने का विचार कर रहे है।
देवनानी ने परम्परा से हट कर राजस्थान विधानसभा के द्वार आमजन के लिए खोल दिए है। जिससे अब विधानसभा के डिजिटल संग्रहालय को काफ़ी संख्या में लोग विद्यार्थी देखने आ रहे है। संग्रहालय में संविधान दीर्घा का शुभारम्भ भी देवनानी की ऐतिहासिक एवं शोधपरक दृष्टि का परिचायक है। इस दीर्घा में मूल संविधान के बाईस भागों को खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है। विशेष कर संविधान के बाईस भागों के मुख पृष्ठ पर भारत की संस्कृति और स्वाभिमान को दिखाती तस्वीरों में भारत की प्राचीन सभ्यता मोहेंजोदडो से लेकर महाभारत में कुरुक्षेत्र और कृष्ण द्वारा दिए गए गीता के ज्ञान, भगवान श्री राम की लंका विजय, भगवान बुद्ध का जीवन चरित्र, महान सम्राट अशोक, उज्जैन के न्यायप्रिय महाराज विक्रमादित्य के राजदरबार, प्राचीन वैदिक गुरुकुल, नालंदा विश्वविद्यालय, भगवान नटराज, रामभक्त हनुमान के साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मी बाई, नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, छत्रपति वीर शिवाजी और गुरु गोविन्द सिंह आदि को प्रदर्शित किया गया है।उन्होंने विधानसभा म्यूजियम को देश के पर्यटन नक्शे से भी जुडवाया है। इससे देश विदेश के पर्यटक भी विधानसभा संग्रहालय और विधान सभा बेजोड़ भवन को निकट से देख पा रहें है।
देवनानी के ऐतिहासिक नवाचारों में विधानसभा द्वारा प्रकाशित कैलेण्डर और डायरी भी शामिल है। इनका प्रकाशन भारतीय वर्ष के अनुसार नवसंवत्सर के माह चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के आधार पर कराया गया है। साथ ही इनमें वीर वीरांगनाओं और महापुरूषों के चित्रों को भी शामिल किया गया है।
देवनानी के मार्गदर्शन में राष्ट्र मण्डल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा को विधानसभा में सक्रिय मंच के रूप में परिवर्तित किया गया है। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के 67वें सम्मेलन को सम्बोधित किया। साथ ही ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर और जापान आदि देशों की हाल ही की यात्रा के दौरान भारतवंशियों और प्रवासी राजस्थानियों को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के 2047 तक विकसित को भारत राष्ट्र बनाने के विजन को मूर्त रुप देने के लिए भारत तथा राजस्थान के सर्वांगीण विकास में योगदान देने के लिए प्रेरित किया हैं।
तीर्थराज पुष्कर और अजमेर दरगाह के लिए विश्व प्रसिद्ध अजमेर निवासी 76 वर्षीय वासुदेव देवनानी सनातन भारतीय संस्कृति के प्रतीक है।उनकी कर्मभूमि कई वर्षों तक उदयपुर रही। इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर वे तकनीकी शिक्षाविद् रहें । आरएसएस की विचारधारा में पले बढ़ें और भारतीय विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रह कर राजनीति में आये देवनानी एक प्रखर और गंभीर राजनेता है। देवनानी ने राजस्थान विधानसभा के सदस्य की शपथ संस्कृ्त भाषा में ली थी। संसदीय कार्य प्रणाली का लंबा अनुभव रखने वाले देवनानी हिन्दी, संस्कृत, सिन्धी और अंग्रेजी भाषा में अच्छी पकड रखते है। वे अजमेर उत्तर से विधायक हैं और पाँचवी बार विधायक का चुनाव जीत चुके है। वसुन्धरा राजे के मुख्यमंत्रित्वकाल में प्रदेश के शिक्षा मंत्री रहते हुए भी उन्होंने कई नवाचार किए और पाठ्य पुस्तकों में महाराणा प्रताप महान जैसे कई परिवर्तन करा पूरे देश में चर्चित हो चुके है।
वासुदेव देवनानी अपने नवाचारों से राजस्थान विधानसभा को देश की सर्वश्रेष्ठ विधान सभा बनने के लिए सतत प्रयत्नशील है।