अहिल्यादेवी होल्कर का शासनकाल दुनियाँ के लिये मिशाल

The reign of Ahilyadevi Holkar is an example for the world

नरेंद्र तिवारी

मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट बैठक इंदौर के होल्कर राजवंश के महल राजवाडा मे 20 मई को आयोजित हुई। राजवाड़ा मे बैठक के पीछे सरकार का संदेश लोकमाता देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300 वीं जयंती को यादगार एवं चिरस्थाई बनाना रहा है। प्रजातंत्रिक ढंग से चुनी गयी मोहन यादव सरकार ने एमपी की राजधानी भोपाल मे बने विधानसभा भवन की बजाय इंदौर के राजवाड़ा मे सरकार की एक दिवसीय बैठक का राजशाही अंदाज मे आयोजन किया। इस हेतू इंदौर के राजवाड़ा मे मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की बैठक उसी प्रकार सजाई गयी जैसे राजवाड़ा पर राजा महाराजा के समय हुआ करती थी।
असल मे इस बैठक के पीछे लोकमाता देवी अहिल्या बाई होल्कर को याद करना था। उनके लोकहितार्थ किये कार्यो को याद करना था। परम शिवभक्त अहिल्याबाई होल्कर का सम्पूर्ण जीवन सादगी, गरिमा और संघर्ष की मिशाल रहा है। उनका शासनकाल जनहित और लोकमंगल का प्रमाण है। उन्होंने अपने राज्य मालवा मे उत्कृष्ट कार्य किये अपनी सीमा से बाहर भी जनहित के कार्य किये। उनका शासन मालवा राज्य का स्वर्णिम काल रहा है।

अहिल्या बाई एक साधारण परिवार मे जन्मी असाधारण महिला थी। अपने लोकमंगल के कार्यो से समाज ने उन्हें देवी अहिल्या का दर्जा दिया। अहिल्या बाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के चौडी ग्राम मे हुआ था। उनके पिता का नाम मानको जी शिंदे था। वे खेतीबाडी करते थै,अहिल्या बाई अपने पिता की एकमात्र संतान होने से परिवार मे उनके प्रति अपार स्नेह था। अहिल्या बचपन से ही शिव की परम भक्त थी, ईश्वर पर उनका अटूट विश्वास था। ईश्वर पर उनका विश्वास जीवनपर्यन्त कायम रहा। उनका विवाह मालवा के शासक मल्हारराव होल्कर के पुत्र खण्डेराव होल्कर से हुआ। उन्होंने अपनी सरलता से ससुराल वालों का दिल जीत लिया। सब उन्हें बहुत स्नेह करते थै, उनकी दो संताने हुई। पुत्र का नाम मालेराव एवं पुत्री का नाम मुक्ताबाई था। उनके जीवन मे परिवार का सुख अधिक नहीं रहा। भरतपुर युद्ध मे खाण्डेराव वीरगति को प्राप्त हो गए। अहिल्याबाई युवा अवस्था मे ही विधवा हो गयी, उन्होंने रंगीन वस्त्र त्याग दिए सफ़ेद वस्त्र धारण करने का निर्णय लिया। ससुर मल्हारराव, पुत्र मालेराव एवं पुत्री मुक्तबाई भी असमय काल कलवित हो गए अहिल्या बाई ने इस विपरीत समय मे विचलित होने के बजाय, धैर्य और संयम से अपने आप को संभाला मालवा राज्य की जिम्मेदारी का बखूबी निर्वहन किया।

अहिल्या बाई ने एक शासक रहते हुए अनेकों परोपकारी कार्य किये अपने राज्य के आलावा अन्य राज्यों मे उनके किये कार्य अब भी दिखाई देते है। उन्होंने तीर्थ क्षेत्रों मे घाट, कुएँ, बावड़ियों, धर्मशालाओं, आश्रमों, अन्न क्षेत्रों, एवं प्याऊ का निर्माण कराया।

इनमे वाराणसी, अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, गया, द्वारिका, सोमनाथ, बद्रीनारायण, रामेश्वरम आदि सम्मिलित है। उन्होंने नदियों पर बने घाटों पर महिलाओं के स्नान की पृथक व्यवस्था कराई जिससे महिलाए सुरक्षित वातावरण मे स्नान कर सके। तीज त्योहारों, उत्सवों पर वें मन्दिरों को दान देती थी। छोटे से ग्राम इंदौर को एक विकसित नगर बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। एक महिला होने के नाते उनका तत्कालीन समय मे महिलाओं की स्थिति को लेकर विशेष ध्यान था, महिला शिक्षा को लेकर उनका विशेष ध्यान रहता था। उनका मानना था की शिक्षित महिला परिवार और देश को आगे बढ़ाने मे मददगार शाबित होती है।

महिलाओं की स्थिति को लेकर उनकी चिंताओं के कारण ही विधवा महिला के निसंतान रहने पर उसके पति की सम्पति राजकोष मे जमा करने के क़ानून मे संशोधन करते हुए विधवा महिलाओं को पति की सम्पति मे अधिकार देने वाला क़ानून बनाया। उन्होंने किसानों के लगान को कम किया, कृषि एवं उद्योग को सुविधाएं प्रदान की। उन्होंने नर्मदा तट पर स्थित महेश्वर को राजधानी बनाया और इसे धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र के रूप मे विकसित किया। यहां उन्होंने अहिल्या किला, नर्मदा घाट, अहिलेश्वर मंदिर, न्याय सभा, और पाटेश्वर तीर्थ का निर्माण कराया।

परम शिव भक्त अहिल्या देवी होल्कर ने अपनी राजकीय मुद्रा मे शिव, नंदी, बैल पत्र के प्रतिको को अंकित कराया, उनकी राजाज्ञाओं पर श्री शंकर आज्ञा लिखा रहता था। उनका यह स्पष्ट मत था की सत्ता मेरी नहीं है, सम्पत्ति भी मेरी नहीं है, जो कुछ है भगवान का है। समाज भगवान का प्रतिनिधि है और सारी सम्पदा समाज की है। इतिहासकार सर यजुनाथ सरकार ने अहिल्या बाई होल्कर के बारे मे लिखा ‘वें उच्च श्रेणी की कूटनीतिक थी, उनकी लोक सेवा और दानशीलता संकीर्ण धार्मिकता नहीं थी, अपितु मूल्यों की स्थापना के स्थाई केंद्र थै।’

अब जबकि राष्ट्र अहिल्या देवी होल्कर को याद कर रहा है, एमपी की मोहन यादव सरकार ने उनके 300वें जन्मों उत्सव के अवसर पर होल्कर राजघराने के इंदौर स्थित राजवाड़ा पर कैबिनेट की बैठक का आयोजन किया। तब लगा की सरकारों को अहिल्या बाई के कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके लोकहित के कार्यो को सरकार की कार्यप्रणाली मे शामिल करना चाहिए। न्याय सबको मिले इस पर सबका समान हक है। जनहित के कार्यों मे लालफीताशाही से परेशान प्रदेश की जनता को निजात दिलाना, किसानों की फसलों का उचित भाव मिलना, प्रदेश के नगरो मे उद्योग धंधो के विकास की योजनाएँ बनाकर उन्हें ईमानदारी से क्रियान्वयन करना, महिलाओं की स्थिति मे सुधार करना, गरीब, शोषित वँचित लोगो के विकास की योजनाएँ बनाना उन्हें जमीन पर उतारना, जनहित और लोककल्याण के कार्यो मे सरकारी सिस्टम का ईमानदार होना जैसे महत्वपूर्ण कार्यो को अमलीजामा पहनाकर धर्मनिष्ट शासक अहिल्या दैवी होल्कर के कार्यो और लोकसेवा को सच्चे मन से याद किया जा सकता है। अहिल्या बाई का शासन काल दुनियाँ मे मिशाल के तौर पर सदियों याद किया जाएगा।