तीर्थ यात्रियों के लिए होगी वरदान साबित होगी सोन प्रयाग से केदार नाथ और गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब तक की रोपवे परियोजनाएं

The ropeway projects from Son Prayag to Kedarnath and Govind Ghat to Hemkund Sahib will prove to be a boon for pilgrims

गोपेन्द्र नाथ भट्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने बुधवार को सोन प्रयाग से केदार नाथ तक 12.9 किमी लम्बी और गोविंद घाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर लंबी सात हजार करोड़ से भी अधिक की दो रोपवे परियोजनाओ के निर्माण को अपनी मंजूरी दे दी। इन रोप वे परियोजनाओं के मूर्त रुप लेने से केदार नाथ और हेमकुंड साहिब जी जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए ये परियोजनाएं एक वरदान के समान साबित होगी।

केन्द्रीय सूचना और प्रसारण और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि केदारनाथ मंदिर तक की यात्रा गौरीकुंड से 16 किमी की चुनौतीपूर्ण और एक दूभर चढ़ाई है और वर्तमान में इसे पैदल या टट्टू,पालकी और हेलीकॉप्टर आदि साधनों द्वारा तय किया जाता है।प्रस्तावित रोपवे योजना मंदिर में आने वाले तीर्थयात्रियों को सुविधा प्रदानकरने और सोन प्रयाग तथा केदारनाथ के बीच हर मौसम में कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। भारी हिमपात और वर्षा तथा मार्ग में टूटफूट होने के कारण कई बार यह यात्रा रोक देनी पड़ती हैं।

केदारनाथ भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में से एक है जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में 3,583 मीटर (11हजार 968 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है।यह मंदिर साल में अक्षय तृतीया (अप्रैल-मई) से दीपावली (अक्टूबर-नवंबर) तक लगभग 6 से 7 महीने तीर्थ यात्रियों के लिए खुला रहता है और इस मौसम के दौरान सालाना लगभग 20 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं।

प्रस्तावित रोप वे पर्यावरण के अनुकूल, आराम दायक और तेज़ कनेक्टिविटी प्रदान करने वाला होगा। इस परियोजना को डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और स्थानांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर 4,081.28 करोड़ रुपये की कुल पूंजी लागत पर विकसित किया जाएगा।इसकी डिजाइन क्षमता 1,800 यात्री प्रति घंटे प्रति दिशा (पीपीएचपीडी) होगी,जो प्रतिदिन 18,000 यात्रियों को ले जाएगी।इससे एक दिशा में यात्रा का समय लगभग 8 से 9 घंटे से घट कर मात्र 36 मिनट हो जाएगा ।

इस रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह सबसे उन्नत ट्राई-केबल डिटेचेबल गोंडोला (3एस) तकनीक पर आधारित होगा।

रोपवे परियोजना निर्माण और संचालन के साथ-साथ आतिथ्य, यात्रा, खाद्य और पेय पदार्थ (एफ एंड बी) और पर्यटन जैसे संबद्ध पर्यटन उद्योगों में पूरे वर्ष रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराएगी।

रोपवे परियोजना का विकास संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, पहाड़ी क्षेत्रों में लास्ट मील कनेक्टिविटी को बढ़ाने और तेजी से आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने इसके साथ ही गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब जी तक 12.4 किलोमीटर रोपवे परियोजना के निर्माण को भी मंजूरी दे दी है। इस परियोजना को भी डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (डीबीएफओटी) मोड पर विकसित किया जाएगा, जिसकी कुल पूंजीगत लागत 2,730.13 करोड़ रुपये होगी।

वर्तमान में हेमकुंड साहिब जी की यात्रा गोविंदघाट से 21 किलोमीटर की चुनौतीपूर्ण चढ़ाई है और इसे पैदल या टट्टू या पालकी द्वारा पूरा किया जाता है। प्रस्तावित रोपवे की योजना हेमकुंड साहिब जी के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों और फूलों की घाटी में आने वाले पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाई गई है और यह गोविंदघाट और हेमकुंड साहिब जी के बीच हर मौसम में अंतिम मील की कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगी।

रोपवे को सार्वजनिक-निजी भागीदारी में विकसित करने की योजना है और यह गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) तक मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (एमडीजी) पर आधारित होगा, जिसे घांघरिया से हेमकुंड साहिब जी (1.85 किमी) तक सबसे उन्नत ट्राइकेबल डिटैचेबल गोंडोला (3 एस) तकनीक से जोड़ा जाएगा, इसका डिजाइन इस तरीके से तैयार किया जाएगा जिससे इसकी क्षमता प्रति घंटे प्रति दिशा 1,100 यात्री (पीपीएचपीडी) होगी और यह प्रतिदिन 11,000 यात्रियों को ले जाएगा।

रोपवे परियोजना निर्माण और परिचालन के दौरान और साथ ही पूरे वर्ष आतिथ्य, यात्रा, खाद्य और पेय (एफ एंड बी) और पर्यटन जैसे संबद्ध पर्यटन उद्योगों में रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करेगी।

रोपवे परियोजना का विकास संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, तीर्थयात्रियों के लिए अंतिम मील तक कनेक्टिविटी बढ़ाने और क्षेत्र के तीव्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

रोपवे परियोजना का विकास संतुलित सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने, तीर्थयात्रियों के लिए अंतिम मील तक कनेक्टिविटी बढ़ाने और क्षेत्र के तीव्र आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उल्लेखनीय है कि हेमकुंड साहिब जी उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक अत्यंत श्रद्धेय तीर्थ स्थल है। इस पवित्र स्थल पर स्थापित गुरुद्वारा मई से सितम्बर के बीच साल में लगभग 5 महीने के लिए खुला रहता है और हर साल लगभग 1.5 से 2 लाख तीर्थयात्री यहां आते हैं। हेमकुंड साहिब जी की यात्रा फूलों की प्रसिद्ध घाटी के प्रवेश द्वार के रूप में भी काम करती है, जो प्राचीन गढ़वाल हिमालय में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।

मोदी सरकार के इन फैसलों से भारत में धार्मिक पर्यटन को और अधिक बुलंदियों तक पहुंचने ने मदद मिलेंगी और देशी विदेशी पर्यटकों से होने वाली राजस्व आमदनी भी बढ़ेगी। देखना है यह रोप वे परियोजनाएं कितना जल्दी मूर्त रूप लेकर हकीकत में बदलेंगी?