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रविवार दिल्ली नेटवर्क
ग्रेटर नॉएडा : महानंदन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सभागार में “राजमाता देवी अहिल्याबाई होलकर जी के त्रिशताब्दी वर्ष” पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संपर्क विभाग द्वारा प्रबुद्ध नागरिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया ।
गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. आर सी मिश्रा,न्यूरोसर्जन,चेयरमैन, महानंदन अस्पताल ने की।
गोष्ठी में मुख्य वक्ता वेदपाल, प्रांत सह संपर्क प्रमुख, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, मेरठ प्रांत रहे। मां भारती व मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर तथा पुष्प अर्पित कर गोष्ठी का प्रारंभ किया गया।
विषय परिचय करवाते हुए प्रोफेसर वंदना पांडे, राष्ट्र सेविका समिति प्रबुद्ध वर्ग,संस्कृति विचार मंच, वर्तमान में अधिष्ठाता सामाजिक विज्ञान,गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय ग्रेटर नोएडा ने अपने उद्बोधन में कहा कि पुण्यश्लोका राजमाता देवी अहिल्याबाई होलकर जी नर्मदा के जल के आचमन की भांति पवित्र व गुणशाली हैं। संघर्षों के विरुद्ध उनका जीवन ,शासन परमार्थ, त्याग,समाज सेवा,महिलाओं के आदर्श नेतृत्व और प्रशासनिक गुणों से परिपूर्ण रहा।
पूज्य माता पिता के संस्कारों और ससुर के स्नेह, संरक्षण के कारण वैधव्य पश्चात उनका शासन एक महिला होते हुए भी उस काल में,कर्मठता, सच्चरित्रता,न्यायशीलता का आचरण अनुकरणीय था।
अपने संबोधन में वेदपाल जी ने कहा कि लोकमाता पुण्यश्लोका अहिल्याबाई अपनी प्रजा की मातोश्री थी। 15 मई, 1731को जन्मी अहिल्याबाई,जीवप्रेमी शिवभक्त थी। वे गौसेवक, परमार्थक,समाज के प्रति संवेदनशील व्यक्तित्व की स्वामिनी बाल्यकाल से ही थी।
अपने पति के लिए भी राज्य शासन के कार्य में सहयोगी रही। आदर्श पतिव्रता स्त्री थी।पति के व्यसनों को सुधारने में भी सहायक बनीं।
उनका जीवन के कर्तृत्व आज भी प्रासंगिक है। अपने गुणों के आधार पर 28 वर्षों तक शासन किया।
महिला शिक्षा, विधवा विवाह,विधवाओं को सम्पत्ति का अधिकार, विधवा को दत्तक पुत्र के चयन का अधिकार,राज्य कर्मचारियों के लिए, असहाय सैनिकों के लिए आजीविका का साधन उपलब्ध करवाया।
राज्य की आर्थिक स्थिति में सहयोग के लिए राज्य कर्मचारियों के वेतन से अंशदान लेकर जीवनभर का स्वावलंबन पूर्वक निर्वाह सुनिश्चित किया।
कृषि और व्यवसाय की प्रणेता बनी। साड़ी उद्योग की जननी बनी।स्वयं सहायता समूह बनाकर प्रजा विशेषतः महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया।
अस्त्र शस्त्र बनवाकर युद्ध भी लड़ी व शत्रु का मान मर्दन किया।पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित की।हर दस कोस पर गुप्त डाक व्यवस्था बनाई।
हर परिवार को बारह पौधे उपलब्ध करवाकर,पांच वृक्ष के फल राज्य कर के रूप में प्राप्त कर राज्य की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ की।
धार्मिक यात्राएं प्रारंभ करवाकर,धर्मस्थल बनवाकर सामाजिक सांस्कृतिक चेतना का विस्तार किया।टीपू सुल्तान के राज्य में भी एक मंदिर बनवाया।
विभाग व जिले के दायित्ववान कार्यकर्ताओं संग समाज के विभिन्न वर्गों के सज्जनों ने इस गोष्ठी में प्रतिभाग किया।
समस्त राज्यादेश श्री शंकर के हस्ताक्षर से जारी किए।
महिलाओं की सेना टुकड़ी बनाई लेकिन युक्ति से शत्रु को बुद्धि से समझाकर युद्ध लड़े बिना ही वापिस भेज दिया।
अनैतिक कब्जा करने वाले अंग्रेज की छावनी में घुसकर, उसके अस्त्र शस्त्र तहस बहस कर दिए।अपने किले के बाहर भी शिव मंदिर बनवाया।
जीवन यापन के साधन की कमी से लुटेरा बने भीलों को उस मार्ग पर कर लेने का अधिकार देकर समस्या की जड़ पर प्रहार करके प्रेरणास्रोत बनी।
डॉ. आर सी मिश्रा ने अपने आपको धन्य माना कि उनके अस्पताल में लोकमाता पुण्यश्लोका अहिल्याबाई जी को याद किया जा रहा है। किसी भी संस्था के संचालन में उनका जीवन प्रेरणीय है।
कल्याण मंत्र द्वारा कार्यक्रम का समापन किया गया।