श्याम कुमार मिश्रा
विनोद कुमार विक्की की सद्य प्रकाशित व्यंग्य संग्रह सब चकाचक है…सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक, आर्थिक, तकनीकी, साहित्यिक आदि सभी क्षेत्रों में व्याप्त विसंगतियों पर तंज युक्त रचनाओं का समावेश है। रचनाओं के साथ कार्टूनिस्ट अमरेंद्र की व्यंग्यात्मक रेखा चित्र रचनाओं को और विशिष्ट बना दी है। संग्रह की कुल 26 रचनाओं में भक्त की अभिलाषा और सब चकाचक है… रचना में व्यंग्यकार ने भारतीय वीवीआइपी और भारत में व्याप्त सामाजिक वर्गों के बीच की खाई का काफी अच्छा चित्रण किया है।
मस्त मौसम बाढ़ का, मुखिया उम्मीदवार, वोटर केयर सेंटर में आपका स्वागत है,घर वापसी आदि रचनाओं में लेखक द्वारा राजनीतिक विद्रूपताओं पर जमकर कलम चलाई गई है। इसी प्रकार अफसरशाही के ऊपर लिखी गई रचना “सर का असर” संकलन की बेहतरीन रचनाओं में से एक है।
संग्रह की सभी व्यंग्य रचनाएं अच्छी है, जिनका सरोकार यथार्थ और वर्तमान परिदृश्य से है।भ्रष्टाचार एक्सप्रेस,अहं भ्रष्टाचारास्मि में सर्वव्यापी भ्रष्टाचार पर कटाक्ष किया गया है, इसी प्रकार फेसबुक बंदी का खौफ, डिजिटल क्रांति आदि रचनाओं में तकनीक के गुलाम हो चुके लोगों के उपर कटाक्ष किया गया है।तथाकथित साहित्यकार जो छप जाने की लालसा में कुछ भी लिख कर साहित्य का कबाड़ा कर रहें हैं, उन लोगों के ऊपर लिखी गई रचना सर्वरस संपन्न कवि काफी मजेदार है। आपदा में अवसर शीर्षक के तहत लेखक ने काफी बेहतरीन तरीके से यह बताने की कोशिश की है कि संकट के दौरान किस प्रकार घर बैठे डिजिटल समाजसेवी,मदद की बजाय मोबाइल पत्रकार, आस्तिक प्रवृत्ति का विकास एवं बिना लेखा-जोखा वाले सरकारी राहत फंड का विकास होता है।
संकलन की रचनाओं में व्यंग्यात्मक धार है कटाक्ष है और तीखापन है।
“फिर से सुनने के लिए स्टार दबाएँ, मेन मेन्यू में जाने के लिए आठ दबाएँ अथवा अपने क्षेत्र के शिक्षित, कर्मठ, लगनशील, सुयोग्य उम्मीदवार से संबंधित सभी प्रकार की छोटी बड़ी जानकारी हेतु हमारे वोटर केयर एक्जीक्यूटिव से बात करने के लिए नौ दबाएँ!मैने कम्प्यूटरीकृत आवाज से उलझने की बजाय नौ दबाकर सीधे-सीधे वोटर केयर एक्जीक्यूटिव से बात कर क्षेत्र के सुयोग्य उम्मीदवार के बारे में जान लेना उचित समझा।
“आपकी कॉल हमारे लिए महत्वपूर्ण है। शीघ्र ही आपकी बात हमारे “वोटर केयर एक्जीक्यूटिव से होने वाली है कृपया लाइन पर बने रहे” की ध्वनि के साथ शास्त्रीय संगीत के रिंगटोन पर पूरे पंद्रह मिनट तक
लटकाए रखने के बाद दूसरी ओर से आवाज आई-क्षमा करें! आपने गलत विकल्प चुना है! और दूसरी ओर से फोन डिस्कनेक्ट कर दिया गया”(वोटर केयर सेंटर में आपका स्वागत है) में लेखक ने समाज सेवा के नाम पर चुनाव को अपना व्यवसाय बनाने वाले नेताओं पर करारा तंज कसते हुए राजनीतिक सच को उजागर करने का प्रयास किया है।
” मैं शिक्षित धरमपत्नी हूँ… मैं हिन्दू स्त्री धर्म एवं संस्कृति की घिसी-पिटी मान्यता को नही मानती हूँ। मैं हिन्दू नारी के फर्ज को भी नहीं जानती हूँ। मैं जानती हूँ तो सिर्फ हिन्दू विवाह अधिनियम को अपने संस्कार के कारण मेरे साथ दाम्पत्य जीवन में यदि भूल से भी तुम्हारे मन में मातृ-पितृ-भ्रातृ स्नेह और दायित्व का बीज फूटा तो याद रखना घरेलू हिंसा एक्ट, दहेज उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न सहित ढेर सारे कानूनी फल देने से मुझे एक परशेंट भी गुरेज नहीं होगा।
मैं मॉडर्न धरमपत्नी हूँ। यह और बात है कि मोबाइल लैपटॉप पर व्यस्तता के कारण मैंने हिन्दू परंपरा को नहीं जाना। सती अनुसुइया, सावित्री, सीता, द्रोपदी, पदमावती आदि जैसी पतिव्रता या फिर सास-ससुर की सेवारत हिन्दू नारी चरित्र को नहीं जान पाई। ना ही मैंने रामायण पढ़ कर एक पत्नी / बहू / भाभी के फर्ज को समझने का बोरिंग काम किया किंतु गृह उद्योग में उत्पादित माँ-बुआ प्रदत्त सीखा बुद्धि मंत्र, कानूनी हिन्दू मैरेज एक्ट 1955, कानून द्वारा स्त्रियों को दिए गए अधिकार आदि के सही गलत प्रयोग पर पूरा पीएचडी कर रखा है।
जिस प्रकार संविधान में उल्लेखित मौलिक कर्तव्यों के पालन की बजाय नागरिक सिर्फ और सिर्फ मौलिक अधिकार का उपयोग करना जानते है उसी प्रकार मैं भी एक पत्नी का ससुराल के प्रति कर्तव्य या दायित्व की बजाय सिर्फ और सिर्फ पत्नी अधिकार के बारे में ही जानती”(अथ धर्मपत्नी महात्म्य) उक्त रचना शीर्षक के अंतर्गत वर्तमान में आपसी तालमेल की बजाय कानूनी दांवपेंचों में बर्बाद हो रहे दांपत्य जीवन के यथार्थ से रूबरू कराया गया है।
भ्रष्टाचार के ऊपर व्यंग्य बाण निम्न प्रकार चलाया गया है।” जरूरतमंद यात्रीगण कृपया ध्यान दें ! भ्रष्टाचार की पटरी पर सरपट दौड़ती सभी छोटे-बड़े सरकारी कार्यालय, प्राइवेट स्कूल, प्राइवेट अस्पताल होते हुए पुलिस स्टेशन को जाने वाली करप्ट नज़राना एक्सप्रेस जल्द ही बेईमानी के प्लेटफार्म संख्या 420 पर आने वाली है! ” (भ्रष्टाचार एक्सप्रेस)
ऐसे ही एक से बढ़कर एक अच्छी व्यंग्य रचनाओं का समावेश है सब चकाचक है…
विनोद विक्की की इस संग्रह की हास्यपुट युक्त रचनाएं हमें गुदगुदाती है, तो साथ ही साथ सोचने पर मजबूर भी करती हैं। व्यंग्य में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह पुस्तक वर्ष 2023 का उत्तम साहित्यिक उपहार साबित हो सकता है।
पुस्तक- सब चकाचक है… (हास्य व्यंग्य संग्रह)
लेखक- विनोद कुमार विक्की
प्रकाशक- इंडिया नेटवर्क प्राइवेट लिमिटेड,दिल्ली
मूल्य- ₹200 पृष्ठ- 87