
ओम प्रकाश उनियाल
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की भारी महत्व है। हर साल लाखों श्रद्धालु चारधामों के दर्शनार्थ आते हैं। राज्य सरकार का प्रयास रहता है कि तीर्थयात्रियों को किसी प्रकार की दिक्कत न उठानी पड़े इसके लिए व्यवस्थाओं पर निगरानी रखी जाती है। जब भी यात्रा शुरु होती है तो कई बार तीर्थयात्रियों की कई शिकायतें भी सरकार को मिलती हैं। जिनको सुधारने के लिए सरकार भरपूर प्रयास करती है। लेकिन यह भी होता है कि कुछेक अधिकारियों की लापरवाही के चलते सरकार की व्यवस्था को सही तरीके से संचालित न किए जाने से समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।
तीर्थयात्रियों का भी दायित्व बनता है कि सरकार ने यात्रा की जो गाइडलान (नियमावली) बनायी है उसका अनुपालन जरूर करें। यात्रा पर आने वालों को पहाड़ों में स्थित इन धामों की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। यहां किसी भी प्रकार की गंदगी न फैलायी जाए। देवों के धाम तो पवित्र होते हैं उनकी गरिमा, महता संजोकर रखनी चाहिए। तभी यात्रा सफल मानी जा सकती है। देवस्थलों के पिकनिक स्थल न समझें। इनमें श्रद्धा, भाव और भक्ति का संचरण होता है। मन की शुद्धि स्वत: ही देवस्थलों पर होती है।
राज्य सरकार ने तीर्थयात्रियों के स्वास्थ्य की देखभाल के लिए इस बार योजना बनायी है। आगामी चारधाम यात्रा 2025 के दौरान तीर्थयात्रियों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जाएंगी।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार के अनुसार माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के मार्गदर्शन में विभाग ने यात्रा को और अधिक सुगम, सुरक्षित और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से मजबूत बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। स्वास्थ्य मंत्री मा. डॉ धन सिंह रावत द्वारा लगातार स्वास्थ्य सुविधाओं की सतत निगरानी की जा रही है।
इस बार केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम में दो नए अस्पताल खोले जा रहे हैं। केदारनाथ में 17 बेड और बद्रीनाथ में 45 बेड के अस्पताल स्थापित किए जाएंगे, जो तीर्थयात्रियों को बेहतरीन स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेंगे। इसके अलावा, यात्रा मार्ग पर 25 विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी, ताकि श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सहायता मिल सके। इस साल यात्रा मार्ग में 20 मेडिकल रिलीफ पोस्ट (एमआरपी) और 31 स्वास्थ्य जांच केंद्र स्थापित किए जाएंगे, जो तीर्थयात्रियों की उच्च ऊंचाई से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं की जांच करेंगे। देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी और टिहरी जैसे ट्रांजिट जिलों में 37 स्थायी स्वास्थ्य केंद्रों को सुदृढ़ किया गया है और नई स्क्रीनिंग इकाइयों की स्थापना की योजना बनाई गई है।
स्वास्थ्य विभाग ने यात्रा मार्ग पर 154 एम्बुलेंस तैनात करने का निर्णय लिया है, जिनमें 17 एडवांस लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस शामिल हैं। इसके अलावा, एम्स ऋषिकेश द्वारा संचालित हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस और टिहरी झील में बोट एम्बुलेंस भी उपलब्ध रहेंगी, ताकि आपातकालीन स्थिति में श्रद्धालुओं को त्वरित चिकित्सा सहायता मिल सके।
पिछले साल 34,000 से अधिक मेडिकल आपातकालीन मामले सामने आए थे, जिसमें 1,011 मरीजों को एम्बुलेंस द्वारा और 90 मरीजों को हेलीकॉप्टर से रेस्क्यू किया गया था। स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि इस साल स्वास्थ्य मित्रों (फर्स्ट मेडिकल रिस्पॉन्डर) की संख्या बढ़ाई जा रही है, ताकि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को तत्काल चिकित्सा सहायता मिल सके स्वास्थ्य सेवाओं को तकनीकी रूप से उन्नत किया जा रहा है। इस वर्ष ई-स्वास्थ्य धाम पोर्टल को अपग्रेड किया जाएगा, जिसमें एक बटन जोड़ा जाएगा, ताकि तीर्थयात्री आपात स्थिति में तुरंत सहायता प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, प्वाइंट ऑफ केयर टेस्टिंग डिवाइस के माध्यम से तीर्थयात्रियों की 28 महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मापदंडों की तुरंत जांच की जाएगी।