हमारी भारतीय हॉकी टीम की ताकत ही एक दूसरे पर भरोसा और तालमेल : फुल्टन

  • फिटनेस के साथ स्ट्रक्चर में खेलना, रफ्तार और हॉकी कौशल भी जरूरी
  • हमें मालूम है एशियाई खेल जीतने के लिए हमें क्या करना है

सत्येन्द्र पाल सिंह

चेन्नै : क्रेग फुल्टन चीफ कोच के रूप भारतीय हॉकी टीम को अगले महीने हांगजू(चीन) में होने वाले एशियाई खेलों से पहले यहां एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में खिताब जिता कर पहले बड़े इम्तिहान में पास हो गए। क्रेग फुल्टन बतौर कोच भारतीय हॉकी की बागडोर संभालने के दो महीने के भीतर उसे ‘स्ट्रक्चर’ के अनुरूप ढालने में कामयाब रहे। भारत के यहां मलयेशिया के खिलाफ एशियन चैंपियंस ट्रॉफी हॉकी फाइनल में जूझने की बाबत फुल्टन ने कहा, ‘ हमने जापान के खिलाफ सेमीफाइनल में बेहतरीन खेल दिखाकर जीत हासिल की। भले ही मलयेशिया के खिलाफ यहां फाइनल में हमें जीत के लिए कुछ संघर्ष करना लेकिन हम उसके खिलाफ बुरा नहीं खेले। मलयेशिया ने पहले हाफ में मैच खेल अपने काबू में रखा। पिछडऩे के बाद हम जानते थे कि एक गोल कर लेते हैं तो हम इस फाइनल में वापसी कर सकते हैं। हम अपनी भारतीय टीम में खासतौर पर नौजवान खिलाडिय़ों से यही चाहते हैं कि वे आपस में एक दूसरे पर भरोसा करं। हमारी टीम ने 1-3 से पिछडऩे के बाद जिस तरह बड़ा जिगरा दिखाया वह शानदार है। हमारी भारतीय हॉकी टीम की ताकत ही आपस में एक दूसरे पर भरोसा और तालमेल है। टीम के नौजवान खिलाडिय़ों ने मैदान पर फाइनल में गजब की वापसी कर यह भरोसा दिखाया कि वे मैदान पर अपना काम सही ढंग से कर सकते हैं।यह एशियन चैंपियंस ट्रॉफी थी एशियाई खेल नहीं। हमें मालूम है एशियाई खेल जीतने के लिए हमें क्या करना है। मुझे अपनी टीम के खिलाडिय़ों पर भरोसा होना है। हम बराबर आपस में चर्चा करते है लेकिन एशियाई खेलों के लिए रणनीति क्या होगी यह मैं आपसे नहीं बाटूंगा। फाइनल जीतने में हमारी टीम में सभी ने अपनी भूमिका निभाई। 1-3 से पिछड़े के बाद गजब का जीवट और जज्बा दिखाना शानदार है। हमनें एशियाई खेलों से पहले अपनी बहुत खामियों को दूर करने की कोशिश है।चाहे ओलंपिक खेल हों, विश्व कप या एशियाई खेल फाइनल में कुछ भी मुमकिन है। इसमें आपको जेहनी तौर पर मजबूती की जरूरत होती।’

फुल्टन कहते हैं, ‘फाइनल हमेशा पेचीदा ही होता है। इसमें कुछ भी मुमकिन है। ऐसे में हमारे लिए मलयेशिया के खिलाफ एशियाई खेलों से पहले एशियन चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल जैसा बेहद संघर्षपूर्ण मैच खेलना जरूरी था। हमें अपने पैर जमीन पर रखने थे यानी मुश्किल हालात में खुद पर नियंत्रण बनाए रखना जरूरी था। हमारी टीम ने मुश्किल से उबरने का जज्बा दिखाया। फिर भी यह बात भी समझनी होगी शनिवार का फाइनल एशियाई खेल का मुकाबला नही ंथी। हम हमेशा और बेहतर कर सकते हैं और मजबूत हो सकते हैं। खिलाड़ी के रूप मेंं जेहनी तौर पर आपमें यह जज्बा होना चाहिए बतौर टीम आप कुछ भी कर सकते है और किसी भी चुनौती से निपट सकते है। किसी भी काम को कर सकते हैं। फाइनल में मलयेशिया के खिलाफ हाफ टाइम में हमारे बीच अच्छी चर्चा हुई और यह कारगर रही और हमारे लड़कों बाजी पलट दी। फिट होना कोई जीत की गारंटी नहीं है लेकिन आप इसके बिना भी कतई कुछ नहीं कर सकते। जीत के लिए फिटनेस के साथ स्ट्रक्चर में खेलना, रफ्तार और हॉकी कौशल भी जरूरी है। अब जल्द ही एशियाई खेलों के लिए हमारी टीम का शिविर लगेगा। हम इस शिविर में आगे एशियाई खेलों के लिए अपनी तैयारियों की चर्चा करेंगे। हमारी टीम पिछले 12 मैचों से अब तक अजेय है।

फुल्टन ने मध्यपंक्ति में हमें खुल का खेलने की छूट दी है:मनप्रीत
अनुभवी मनप्रीत सिंह , ‘मेरी बतौर खिलाड़ी और टीम कोशिश मैदान पर अपनी शिद्दत से खेल टीम को जिताने की रही। मुझे जो भी भूमिका दी जाती है मैंने उसे शिद्दत से निभा ने की कोशिश की हे। मध्यपंक्ति में मैं, उपकप्तान हार्दिक सिंह विवेक सागर प्रसाद बेहतर तालमेल से खेले। कोच फुल्टन ने हमें खुल खेलने और अपना कौशल दिखाने की छूट दी है। हम तीनों ही ऐसे में आक्रामक खेल दिखा गोल करने में कामयाब हो रहे हैं। हम खुल कर इसलिए भी खेल पाए क्योंकि हम हमारी रक्षापंक्ति ने पूरी मुस्तैदी से अपने किले की चौकसी की।’

हमने तय किया कि हमें अपनी योजना पर काबिज रहना है: हरमनप्रीत
भारत के कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा, ‘फाइनल कोई भी हो हमेशा मुश्किल होता है। हमने यह तय किया हम चाहे मैच में आगे चल रहे हों या पीछे हो अपने स्ट्रक्चर और अपनी योजना पर काबिज रहना है। मलयेशिया के फाइनल में हमें कड़ी टक्कर देने से हमें हैरानी नहीं हुई। यहां फाइनल में भी हमने वही किया।