मंदिर हमारे, जिम्मेदारी भी हमारी

The temple is ours, the responsibility is also ours

आचार्य डॉ. अदिति शर्मा और ‘भारतीय स्वच्छ मंदिर अभियान’ की वह आध्यात्मिक क्रांति, जो धर्म को सेवा से जोड़ती है

निलेश शुक्ला

दिल्ली की भीड़, तेज़ रफ्तार ज़िंदगी और बदलते सामाजिक मूल्यों के बीच एक स्वर लगातार गूंज रहा है—स्वच्छता केवल शरीर और घर तक सीमित नहीं, मंदिरों तक भी होनी चाहिए। यही स्वर है आचार्य डॉ. अदिति शर्मा का, जिन्होंने “भारतीय स्वच्छ मंदिर अभियान” को केवल एक सफाई अभियान नहीं, बल्कि एक धार्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना का आंदोलन बना दिया है।

आचार्य डॉ. अदिति शर्मा—एक ऐसा नाम जो आज सनातन धर्म, नारी नेतृत्व, सामाजिक चेतना और आध्यात्मिक जागरण के संगम का प्रतीक बनता जा रहा है। दिल्ली की निवासी, ज्योतिषाचार्य, समाजसेवी और आध्यात्मिक मार्गदर्शक—डॉ. अदिति शर्मा ने अपने जीवन को केवल साधना तक सीमित नहीं रखा, बल्कि सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और सामाजिक उत्थान को अपना जीवन लक्ष्य बना लिया।

साधना से सेवा तक का सफर
वर्ष 2009 में अपनी डॉक्टरेट पूर्ण करने के बाद डॉ. अदिति शर्मा ने वर्षों तक ज्योतिष, धर्म और समाज सेवा के क्षेत्र में अध्ययन और सक्रिय योगदान दिया। लेकिन वर्ष 2015 उनके जीवन का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। इसी वर्ष उन्होंने संकल्प लिया कि वह अपने जीवन को पूर्णतः सनातन धर्म, भारतीय संस्कृति और सामाजिक चेतना के संरक्षण और संवर्धन के लिए समर्पित करेंगी।

उनका मानना है— “धर्म तब तक सम्पूर्ण नहीं होता, जब तक वह समाज के अंतिम व्यक्ति के जीवन को नहीं छूता।”
इसी विचार ने उन्हें केवल प्रवचन तक सीमित नहीं रखा, बल्कि मैदान में उतरकर कार्य करने की प्रेरणा दी।

ब्राह्मण सनातन धर्म रक्षा मंच: परंपरा से भविष्य तक
आचार्य डॉ. अदिति शर्मा द्वारा स्थापित ब्राह्मण सनातन धर्म रक्षा मंच केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक वैचारिक अभियान है। इसका उद्देश्य है—सनातन धर्म, वेद-पुराण, भारतीय संस्कृति और गोवंश की रक्षा; सामाजिक जागरण; और एक संगठित, जागरूक व समर्पित समाज का निर्माण। इस मंच के प्रमुख उद्देश्य हैं—सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार, ब्राह्मण समाज का सशक्तिकरण, गौ-संरक्षण, धर्म रक्षा के लिए संगठनात्मक एकता, सेवा कार्यों द्वारा समाज उत्थान और नारी सशक्तिकरण।यह मंच केवल भाषणों तक सीमित नहीं है, बल्कि ज़मीनी स्तर पर लोगों को जोड़ने, धार्मिक चेतना जगाने और सांस्कृतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का कार्य कर रहा है।

शिव शक्ति महाकाली पीठ ट्रस्ट: आध्यात्मिक ध्वनि
डॉ. अदिति शर्मा शिव शक्ति महाकाली पीठ ट्रस्ट से भी जुड़ी हुई है, शर्मा के लिए शिव शक्ति महाकाली पीठ ट्रस्ट केवल एक ट्रस्ट नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा है—एक ऐसी यात्रा जिसमें हर कदम धर्म, मानवीय मूल्यों और राष्ट्र सेवा की दिशा में उठता है।उनके शब्दों में— “यह ट्रस्ट आधुनिक जटिलताओं के बीच सनातन मूल्यों को पुनः स्थापित करने का एक दिव्य प्रयास है।”
शिव और महाकाली को प्रेरणास्रोत मानकर निर्मित यह ट्रस्ट निरंतर धर्म, समाज और राष्ट्र की सेवा में संलग्न है।

दिल्ली से देश तक: भारतीय स्वच्छ मंदिर अभियान की शुरुआत
दिल्ली—देश की राजधानी। राजनीतिक केन्द्र, सांस्कृतिक गतिविधियों का संगम और आस्था का बड़ा केंद्र। लेकिन यही वह स्थान है जहाँ डॉ. अदिति शर्मा ने कई मंदिरों की हालत देखी—अव्यवस्था, अस्वच्छता और उपेक्षा।

यहीं से उनके भीतर यह प्रश्न उठा— “क्या हम अपने आराध्य के स्थानों को वह सम्मान दे रहे हैं, जिसके वे अधिकारी हैं?”
यही प्रश्न “भारतीय स्वच्छ मंदिर अभियान” का बीज बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान से प्रेरणा लेकर उन्होंने मंदिरों की स्वच्छता, पवित्रता और संरक्षण को राष्ट्रीय आंदोलन का रूप देने का संकल्प लिया।

यह केवल सफाई नहीं, संस्कृति की रक्षा है
यह अभियान केवल झाड़ू लगाने तक सीमित नहीं। इसके अंतर्गत— मंदिरों की स्वच्छता व पवित्रता, मंदिर परिसरों को नशा मुक्त बनाना, सनातन परंपराओं का संरक्षण, स्वैच्छिक श्रमदान, खंडित मूर्तियों और पूजनीय सामग्रियों का सम्मानपूर्वक विसर्जन, पुष्प व निर्माल्य का पुनः प्रयोग और युवाओं को धर्म से जोड़ना—जैसे व्यापक कार्य किए जा रहे हैं।

इसका मूल संदेश स्पष्ट है— “मंदिरों की सेवा, स्वयं की आत्मा की सेवा है।”

जनता का विश्वास धीरे-धीरे बना
शुरुआत आसान नहीं थी। सहयोग सीमित था। कहीं विरोध, कहीं उदासीनता। लेकिन समय के साथ जनता, प्रशासन और मंदिर समितियों का विश्वास जुड़ता गया। आज यह अभियान केवल दिल्ली तक सीमित नहीं, बल्कि देश के कई हिस्सों में फैलता जा रहा है।

जब नेतृत्व नारी के हाथों में हो
धार्मिक नेतृत्व का क्षेत्र आज भी चुनौतीपूर्ण माना जाता है, खासकर महिला के लिए। डॉ. अदिति शर्मा को भी परंपरागत सोच, मंचों तक पहुंच, सामाजिक आलोचना, सुरक्षा, संसाधनों की कमी जैसी अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा।

लेकिन उन्होंने हर बाधा को अपने संकल्प से छोटा कर दिया। उनका मानना है— “नारी शक्ति महाकाली की शक्ति है—धैर्य, साहस और संकल्प का प्रतीक।”

सनातन धर्म: संकट और पुनर्जागरण
डॉ. अदिति शर्मा सनातन धर्म के वर्तमान संकट को केवल बाहरी कारणों से नहीं जोड़तीं। उनके अनुसार—
ज्ञान परंपरा का कमजोर होना, संस्कृति का बाजारीकरण, सामाजिक विभाजन, आधुनिक जीवन शैली का प्रभाव, राजनीतिकरण, प्राचीन विद्या प्रणालियों का लोप और सोशल मीडिया पर धार्मिक ग्रंथों की गलत व्याख्या—ये सभी संकट को बढ़ाते हैं।

लेकिन वह आशावादी भी हैं— युवा फिर से आध्यात्मिकता की ओर लौट रहे हैं, मंदिरों का पुनरुत्थान हो रहा है और वैदिक मूल्यों पर चर्चा तेज़ हो रही है। यह पुनर्जागरण का संकेत है।

युवा शक्ति: राष्ट्र की नींव
डॉ. अदिति शर्मा मानती हैं कि युवा किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी होते हैं। यदि युवा अपने कर्तव्यों, मूल्यों और आत्मविश्वास से जुड़े रहें, तो राष्ट्र का भविष्य उज्ज्वल होता है। उनके लिए 19 वर्षीय देवव्रत महेश रेखे जैसे युवा प्रेरणास्रोत हैं, जिन्होंने कम उम्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की।

नारी शक्ति: आधुनिकता और परंपरा का संगम
उनकी दृष्टि में नारी शक्ति केवल समानता नहीं, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी का संतुलन है।

नारी को आत्मनिर्भर, आत्मसम्मानी और निर्णयक्षम होना चाहिए। उनके अनुसार, विद्रोह नहीं, विवेक ही नारी शक्ति का वास्तविक स्वरूप है—जो परिवार, समाज और संस्कृति को दिशा देता है।

आगे की राष्ट्रीय योजनाएँ
डॉ. अदिति शर्मा का सपना स्पष्ट है— देश भर में सनातन धर्म का पुनर्जागरण, स्वच्छता अभियान का विस्तार, सामाजिक उत्थान, युवाओं में धार्मिक चेतना और सबसे महत्वपूर्ण—महिला सशक्तिकरण और रोजगार से जोड़ना।

प्रेरणा के स्रोत
उनके जीवन के प्रेरणास्रोत अनेक हैं— गुरुजन, मानव कल्याण, भगवान शिव, मां महाकाली, भगवान परशुराम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छता अभियान—इन सबने उनके जीवन पथ को दिशा दी है।