‘नकद बनाम प्रश्न घोटाले’ की घिनौनी गाथा का सत्य

प्रो. नीलम महाजन सिंह

ये चार ‘पी’ बहुत खतरनाक हैं, यानी; पॉलिटिशियन, प्रेस, पावरफुल व प्रासटिचयूट! “राजनेता बिस्तर मेें अजीबोगरीब साथी होते हैं”! (politicians are strange bedfellows)! यह तथ्य विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘द टेम्पेस्ट’ से लिया गया है। दूसरी ओर राजनेता कहते हैं, “हम जनता के सेवक हैं”! यह निश्चित है कि सभी राजनीतिक दल अपने कार्यालय में धन जुटाते हैं। राजनेताओं व व्यापारिक घरानों का गठजोड़ पूर्ण रूप से स्थापित है। ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में, लोकसभा चुनावों के दौरान, राजनीतिक दलों को ‘कॉर्पोरेट डोनेशन’ के रूप में ₹920 करोड़ से अधिक प्राप्त हुए।

रिपोर्ट में पांच राष्ट्रीय दलों को कॉर्पोरेट दान का विश्लेषण किया गया: भारतीय जनता पार्टी, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) – (सीपीएम)। ‘प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट’ बीजेपी व कांग्रेस के लिए शीर्ष योगदानकर्ता था। उसके बाद ‘जनकल्याण इलेक्टोरल ट्रस्ट’ व ‘आईटीसी लिमिटेड’ थे। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ‘इलेक्ट्रिकल बाांड’ के माध्यम से दान अभी भी भाजपा व कांग्रेस की कुल आय का बड़ा हिस्सा है। हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ‘चुनावी बांड’ पर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। यह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की सांसद; मोहुआ मोइत्रा से संबंधित हर चैनल व अखबार की सुर्खियों में तात्कालिक घटियापन, विस्फोट, अति-राष्ट्रवाद की पृष्ठभूमि में है।

इसमें एक ‘सोप ओपेरा का मेलोड्रामा है’। 50 वर्षीय मोहुआ मोइत्रा, को डा. शशि थरूर ‘एक बच्ची है महुआ, मेरी बेटी की तरह’, कह रहें हैं। ‘शैंपेन’ का आनंद लेते व पार्टी करते मोहुआ-शशि की वायरल निजी तस्वीरों पर डॉ. शशि थरूर ने यह जवाब दिया। आकर्षक दिखने वाले कारोबारी दिग्गज, हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ, 41 वर्षीय दर्शन हीरानंदानी ने रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, न्यूयॉर्क से एमबीए किया है। उन्हें हीरानंदानी समूह के रियल एस्टेट कारोबार को वैश्विक स्तर पर ले जाने, डेटा-सेंटर, क्लाउड कंप्यूटिंग, ऊर्जा, औद्योगिक भंडारण और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्रों में विविधता लाने का श्रेय दिया जाता है। दर्शन भारतीय पासपोर्ट का प्रयोग कर रहें हैं व भारत के नागरिक हैं। साउथ मुम्बई व दुबई में वे रहते हैं। फिर मोहुआ मोइत्रा के ‘रिलेशनशिप पार्टनर’ जय अनंत देहाद्राई, एक युवा वकील हैं, जिन्हें महुआ ने अपना “बॉयफ्रेंड; एक पूर्व एक्स” कहा है (A jilted Ex)! मोहुआ मोइत्रा ने अपने डेनिश पति, लार्स वाउवर्ट ब्रोरसन को तलाक दे दिया है। उत्साही व आक्रामक डॉ. निशिकांत दुबे, गोड्डा, यूपी से भाजपा सांसद ने यह बवाल, लोकसभा अध्यक्ष के सामने रखा है। अरे बाप रे! असली मुद्दा क्या है? ‘बिल्ली थैले से बाहर कैसे निकली’? अचानक राष्ट्रीय सुरक्षा, संसदीय नैतिकता का उल्लंघन या राष्ट्रीय विरोधी साज़िश जैसे मुद्दे सामने आ गए! सत्य यह है कि वकील जय अनंत देहाद्राई और मोहुआ मोइत्रा के रिश्तों में खटास आ गई थी व वे विषाक्त हो गए! फिर यह प्यारा सा ‘रॉटवीलर कुत्ता-हेनरी’ भी है; जो दोनों बिछड़े साथियों का ‘प्यार’ है! फिर देहाद्राई, मोहुआ के ‘बेहद करीबी निजी दोस्त’ दर्शन हीरानंदानी से ईर्ष्या कर रहे थे, ‘गुच्ची, हर्मेस, लुयु-विटाॅन, क्रिश्चियन डाॅयर, के सामानों की बौछार करके मोहुआ मोइत्रा का भरोसा जीत रहे थे! महुआ ने इस से इंकार किया है। तब यक्ष प्रश्न यह उठता है; क्या एक संसद सदस्य, एक शिक्षित बैंकर, एक उत्साही वक्ता, इतनी भोली या मूर्ख हो सकती है, कि वह दर्शन हीरानंदानी को अपना ‘संसद का लॉगिन पासवर्ड’ देेंगीं? रूठे हुए प्रेमी की मुलाकात निशिकांत दुबे से हुई। यही तो असली पकड़ है ! ऐसा नहीं है कि निशिकांत दुबे ने कोई घोटाले का पर्दाफाश किया हो। दरअसल मोहुआ मोइत्रा के सारे राज़, देहाद्राई ने ही दुबे को दिये थे! अगर मोहुआ मोइत्रा ने गौतम अडानी ग्रुप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सवाल पूछने के लिए संसद की वेबसाइट का अपना पासवर्ड दर्शन हीरानंदानी के साथ साझा किया है, तो यह वास्तव में एक गंभीर मामला व अपराध है। निशिकांत ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को महुआ मोइत्रा के खिलाफ औपचारिक शिकायत दी है। लोकसभा अध्यक्ष ने यह शिकायत को सदन की ‘आचार समिति’ को भेज दिया। संसदीय आचार समिति की उत्पत्ति अक्टूबर, 1996 में नई दिल्ली में आयोजित पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में अपनाए गए एक प्रस्ताव से हुई। लोकसभा में आचार समिति का गठन 2000 में किया गया था। इसमें अध्यक्ष द्वारा नामित अधिकतम पंद्रह सदस्य होते हैं। राज्यसभा में आचार समिति का गठन 1997 में किया गया।सन्दर्भित मामले, महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ आरोपों पर तृणमूल कांग्रेस ने एक आधिकारिक ब्यान जारी किया है, कि जांच रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। दर्शन हीरानंदानी ने यह कहीं भी नहीं कहा कि उसने महुआ को नगद पैसा दिया है।आरोप यह है कि महुआ मोइत्रा को लोकसभा में गौतम अडानी ग्रुप के खिलाफ सवाल पूछने के लिए महंगे तोहफे व पैसे मिले थे। यह देहाद्राही कह रहा है। टीएमसी नेता के पूर्व ‘निजी मित्र’ जय अनंत देहाद्राई ने ‘अपनी ऐक्स’ मोहुआ मोइत्रा के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो में एक शिकायत दर्ज की है। निशिकांत दुबे व देहाद्राई दोनों 26 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी के सामने पेश हुए व अपने ब्यान दर्ज कराये। इसके जवाब में महुआ मोइत्रा ने दोनों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मानहानि का मुकद्दमा दायर किया है। एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष, विनोद सोनकर ने आश्वासन दिया है कि कमेटी ‘कैश फॉर क्वेरी’ घोटाले से जुड़ी हर चीज़ की जांच करने के बाद ही नतीजे पर पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे से सबूत पेश करने को कहा गया है। क्या सबूत देंगें? केश को साबित नहीं किया जा सकता। टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ. ब्रायन ने कहा, “संबंधित सदस्य को पार्टी नेतृत्व द्वारा उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने की सलाह दी गई है। वह पहले ही अपना पक्ष दे चुकीं हैं।” दुबे ने कहा कि भारतीय अरबपति व्यवसायी निरंजन हीरानंदानी का बेटा, दर्शन हीरानंदानी, संसद में गौतम अडानी समूह से संबंधित विशेष प्रश्न उठाने के बदले मेें मोहुआ मोइत्रा को रिश्वत देता रहा है। निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मोहुआ मोइत्रा को तुरंत लोकसभा से निलंबित करने का आग्रह किया है। दुबे ने लिखा, “नकद व उपहारों के बदले संसद में सवाल पूछने के लिए उनके व व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के बीच रिश्वत का आदान-प्रदान हुआ।” ट्विटर हमले तो कमाल कर रहे हैं! दुबे, महुआ को ‘दुबई-दीदी’ कह रहे हैं तो महुआ, उन्हें ‘झारखण्ड का पिट्टबूल’ कह रहीं हैं। दर्शन हीरानंदानी ने स्वीकार किया है कि, “मैंने गौतम अडानी समूह के खिलाफ़त में सवाल उठाने के लिए टीएमसी सांसद मोहुआ मोइत्रा के लॉगिन कोडवर्ड का इस्तेमाल किया है।” परंतु उसका ‘ओटीपी’ तो महुआ के पास ही आता था। हीरानंदानी ने दावा किया कि मोइत्रा ने उनसे अनुग्रह व उपहार की मांग की। दर्शन हीरानंदानी ने स्वतः ही ओम बिड़ला को स्टाम्प पेपर पर नोटरीकृत एक शपथ पत्र भेजा है। दर्शन हीरानंदानी भी आपराधिक कदाचार के समान रूप से दोषी है, अगर वह वास्तव में सीधे मोइत्रा के लॉगिन पासवर्ड के माध्यम से प्रश्न पोस्ट कर रहा था। ये उच्च जोखिम वाले कॉर्पोरेट-युद्ध हैं। सभी व्यापारिक समूह संसद में प्रश्न उठाने के लिए सांसदों का प्रयोग करते हैं। हेमा मालिनी ने ‘केंट-आरओ प्यूरीफायर’ का मामला संसद में उठाया था, जिसकी वह मॉडलिंग करती थीं! उन्होंनेेे इसके लिए माफी मांगी, लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें फटकार भी लगाई। दर्शन हीरानंदानी अपने को बचाने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि वह अपने ही अनौचित्य के जाल में फंस गया है। भारत के लोगों को ज्ञातव्य होना चाहिए कि उनके प्रतिनिधियों की अलमारी में कई कंकाल हैं। यह एक शर्मनाक अध्याय है व धारावाहिक मनोरंंज भी, क्योंकि इसमें एक प्रेम कहानी, टूटा हुआ दिल, एक व्यवसायी, एक राजनेत्री के प्रति आकर्षण, जिसने अपना लॉगिन पासवर्ड तक सरेंडर कर दिया है। विपक्षी गठबंधन ने (I.N.D.I.A.) सरकार पर हमला करने के अवसर को खो दिया है। ममता बनर्जी की सरल, सांसारिक जीवनशैली ‘मां-माटी-मानुष’ के नारे को ‘कैश फॉर क्वेरी’ घोटाले से झटका लगा है। पूर्ण निष्पक्षता से, संसद सदस्य के रूप में, मोहुआ मोइत्रा को इन गंभीर आरोपों पर अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए। साक्ष्य महत्वपूर्ण होंगें। वैसे ‘हेनरी’ ने अपना ब्यान नहीं दिया! सचमुच यह घिनौनी गाथा है। सत्यार्थ को प्रबल होना आवश्यक है।

(वरिष्ठ पत्रकार, लेखक-साहित्यकार, दूरदर्शन व्यक्तित्व, मानवाधिकार संरक्षण सॉलिसिटर व परोपकारक)