नरेंद्र तिवारी ‘पत्रकार’
कुश्ती के भारतीय खिलाड़ियों का महासंघ के खिलाफ जंतर-मंतर पर धरने पर बैठना भारतीय कुश्ती इतिहास की अप्रत्याक्षित घटना है। इस घटना के पीछे की सम्पूर्ण सच्चाई का जाहिर होना बहुत जरूरी है। पर्दे के पीछे की सच्चाई का पर्दाफास हुए बगैर इस घटनाक्रम को दबाने के प्रयास कुश्ती ओर भारतीय खेलो के प्रति अन्याय होगा। देश को कुश्ती महासंघ के अंदर की सच्चाई से हूबहू वाकिब होने का अधिकार है। जंतर-मंतर पर देश के पदक विजेता खिलाड़ियों सहित कुश्ती जगत से जुड़े 200 पहलवानों का भारतीय कुश्ती फेडरेशन के विरुद्ध धरने पर बैठना और महासंघ के अध्यक्ष एवं प्रशिक्षकों के खिलाफ महिला पहलवानों के साथ यौन शोषण के अतिगम्भीर आरोप लगाना। कुश्ती महासंघ के अंदर चल रहे अन्याय, अत्याचार, भ्रष्टाचार, शोषण और व्याभिचार की तरफ इशारा करता हैं। खिलाड़ियों के लगाए आरोपो के जवाब में कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भाजपा सांसद सदस्य ब्रजभूषण शरण सिंह का टीवी बहस के दौरान अपने बयानों से सुनामी आ जाने की बात कहना, कुश्ती महासंघ की सम्पूर्ण कार्यप्रणाली को शंकाओं के दायरे में खड़ा करता है। महिला पहलवानों के शोषण की जांच देश मे महिलाओं की स्थिति का सच बयाँ करने के लिए भी जरूरी है। देश के लिए विदेशी धरती पर दो-दो हाथ करने वाली महिला पहलवानो द्वारा यौन शोषण के आरोप की जांच गम्भीरता से किये जाने की जरूरत है। जनवरी की तारीख 21 की शाम खेल मंत्री अनुराग ठाकुर द्वारा दिये जांच के आश्वाषन के बाद खिलाड़ियों ने अपना धरना वापिस ले लिया है। खिलाड़ियों ने 4 सप्ताह में इन आरोपो की जांच के आश्वाषन के उपरांत धरना समाप्त जरूर किया है। किंतु प्रश्न अभी भी यथावत बने हुए है, इनका निराकरण करना बहुत जरूरी है। कुश्ती महासंघ के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठने वाले खिलाड़ियों में साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, रवि दहिया, विनेश फोगट, अंशु मलिक, सरिता मोरे, दीपक पुनिया, अमित धनकट, संगीता फोगट, सोनम मलिक, परमजीत नारंग जैसे जाने-माने नाम शामिल है। सवाल यह उठता है। कुश्ती के इन जाने-माने खिलाड़ियों को महासंघ के खिलाफ प्रदर्शन की आवश्यकता क्यों पड़ी ? जंतर-मंतर पर अपनी पीड़ा का बयान करतें हुए इन खिलाड़ियों की आंखों में आंसू थै। रुआंसे अंदाज में खिलाड़ियों के साथ होने वाले शोषण को बयाँ करतें हुए महिला पहलवान विनेश फोगट ने बताया की समय आने पर सबूत भी पेश करेंगे बजरंग पुनिया ने कहा कि यह कोई राजनीतिक विरोध नहीं है, यह हमारे अधिकारों की लड़ाई है। कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष एवं प्रशिक्षको की जांच स्वतन्त्र एजेंसी से कराई जाना चाहिए। दरअसल खेल में ईमानदार निर्णय की दरकार होती है। क्रिकेट, फुटबॉल, हाँकी और कुश्ती सहित अन्य खेलों में आजकल तीसरे एम्पायर की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। थर्ड एम्पायर याने कैमरे की आंखे। ऐसा विश्वास किया जाता है कि मानवीय भूल की संभावना तो है, किंतु कैमरे रूपी तीसरे एम्पायर से भूल होने की सम्भावना बेहद कम रहती है। तीसरे अंपायर के भांति ही गठित जांच दल को बारीकी से जांच करना चाहिए। खेल मंत्रालय को भी इस मामले में दूध का दूध पानी का पानी करने की प्रयास करने होगें। यह मसला उन खिलाड़ियों का है, जो भारत के मस्तक को विदेशों में ऊंचा उठाते है। इस विवाद की सच्चाई का सार्वजनिक किया जाना इसलिए भी जरूरी है। क्योंकिं हम भारत की जनता ओलंपिक, एशियाड या अन्य खेल प्रतियोगिताओं में इन खिलाड़ियों से पदक या विजयी की अपेक्षा तो खूब रखते है, किंतु इन खिलाड़ियों को किन संकटों से होकर गुजरना पड़ता है। यह नहीं जान पाते। अमूमन सभी खेल संघों में अध्यक्ष सहित पदाधिकारियों की नियुक्ति राजनीतिक आधारों पर की जाती है। जिन नेताओं को खेल का ज्ञान तक नहीं होता वह संस्था प्रमुख होकर खेलो में राजनीति करतें है। परिणामस्वरूप भारत के खिलाड़ी खेल की दुनियां में वह प्रदर्शन नहीं कर पाते जिसकी दरकार गोल्ड मेडल तक पहुचने के लिए होती है। कुश्ती फेडरेशन के अध्यक्ष ब्रजभूषण शरण सिंह की गिनती बाहुबली ओर दबंग सांसदों में होती है। एक टीवी रिपोर्ट में उनकी 54 कॉलेजेस, हेलीकॉप्टर, अस्तबल, कारों का काफिला, जमीनें सहित राजसी ठाटबाट ओर ऐशोआराम ओर सुखसुविधाओं को बताया जा रहा था। देखकर लगा कि आज भी हम राजा-महाराजाओं की दुनियां में रह रहे है। एक आमआदमी के पास आय से अधिक संपत्ति पर सरकारी एजेंसियों का उस पर टूट पड़ना आम बात है। इन एजेंसियों को शायद ब्रजभूषण शरण सिंह से भी अपनी संपत्ति का हिसाब मांगना चाहिए। यह प्रजातंत्र है भाई यहां क्या आम और क्या खास सब एक से है। कानून की नजर में सब बराबर है। खिलाड़ियों का प्रदर्शन के लिए सड़क पर उतर जाना देश के लिए सम्मान की बात नहीं है। भारत का गौरव बढाने वाले इन खिलाड़ियों ने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन का निर्णय ज्यादतियों के चरम पर पहुचने के बाद ही लिया होगा। कुश्ती महासंघ पर खिलाड़ियों द्वारा लगाए आरोपों की निष्पक्षता से जांच जरूरी है। इसे दबाने, छुपाने,भरमाने का हर प्रयास खेल ढांचे को कमजोर करने, खेल से जुड़ी महिलाओं के साथ हो रहें शोषण पर पर्दा डालने, भारत को खेल की दुनियां की महाशक्ति बनने के प्रयासों को बाधित करने के रूप में देखा जाना चाहिए। कुश्ती महासंघ से जुड़ी हर एक सच्चाई का उजागर होना भारत मे खेल संस्कृति को बढाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा। यह कदम कुश्ती के अलावा अन्य खेल संस्थाओं और महासंघो के लिए भी सबक का सबब होगा। सवाल किसी व्यक्ति के हटने का नहीं है। यह देश की नारी शक्ति के साथ राष्ट्र की गरिमा औऱ गौरव से जुड़ा है। खेल मंत्रालय ने कुश्ती फैडरेशन की जांच हेतु 7 सदस्यीय समिति गठित की है। यह समिति कुश्ती फैडरेशन और महासंघ के अध्यक्ष पर लगाए आरोपों की जांच करेगी। आशा की जानी चाहिए कि यह जांच कुश्ती महासंघ सहित राष्ट्र में खेलों की दशा औऱ दिशा को सुधारने वाली होगी। खेल से जुड़ी संस्थाओं, महासंघों का ईमानदार, पारदर्शी औऱ खेल प्रेमी होना बहुत जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि खेल महासंघ का अध्यक्ष किस राजनैतिक दल से जुड़ा है, कितने समय से जुड़ा है, दल के प्रति कितना निष्ठावान है। महासंघ से पहलवानों की कुश्ती का सम्पूर्ण सच उजागर होना खेल जगत में सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण कदम होगा।