द्विदिवसीय 16वां ग़ज़ल कुंभ-2025 हरिद्वार में धूमधाम से सम्पन्न, अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त कवियों ने की शिरकत

The two-day 16th Ghazal Kumbh-2025 concluded with great pomp in Haridwar, internationally renowned poets participated

प्रसिद्ध कवयित्री गार्गी कौशिक ने गाज़ियाबाद से की शिरकत

ज़ुल्म तो जुर्म है इसको सहना नहीं,
सामने जालिमों के झुका मत करो।

रविवार दिल्ली नेटवर्क

हरिद्वार / गाजियाबाद। बसंत चौधरी फ़ाउंडेशन (नेपाल) के सौजन्य से ‘अंजुमन फ़रोगे उर्दू’ दिल्ली द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ का भव्य आयोजन हरिद्वार में निष्काम सेवा ट्रस्ट के सभागार में किया गया जिसमें देश- विदेश से पधारे लगभग 200 शायरों / शायराओं ने ग़ज़ल पाठ किया। गत वर्ष मुंबई में आयोजित ग़ज़ल कुंभ-2024 में पढ़ी गई ग़ज़लों के संकलन का विमोचन और मुख्य अतिथि के रूप में पधारे नेपाल के वरिष्ठ कवि-लेखक, समाजसेवी श्री बसंत चौधरी के कविता संग्रह ‘वक्त रुकता नहीं ‘ एवं ग़ज़ल संग्रह ‘ठहरे हुए लमहे’ का लोकार्पण एवं वितरण किया गया। इसके अतिरिक्त ग़ज़ल कुंभ में अन्य शायरों व ग़ज़लकारों द्वारा रचित अनेक पुस्तकों का भी विमोचन किया गया। गत 16 वर्षों से लगातार आयोजित होने वाला ग़ज़ल कुंभ अब एक अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित साहित्यिक उत्सव हो गया है, जिसमें ग़ज़ल पाठ हेतु सभी इच्छुक शायरों को सादर आमंत्रित किया जाता है। ग़ज़ल कुंभ ग़ज़ल विधा के नवांकुरों के लिए एक ऐसा मंच है जहाँ से अनेक नवोदित ग़ज़लकारों एवं शायरों ने नए नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। देश के अलग- अलग शहरों में आयोजित हो चुके इस 16वें दो दिवसीय ग़ज़ल कुंभ के चार सत्रों की अध्यक्षता क्रमशः प्रख्यात शायर अशोक मिज़ाज बद्र, वरिष्ठ शायर भूपेन्द्र सिंह ‘होश’, वरिष्ठ शायर डॉ. इरशाद अहमद ‘शरर’ और वरिष्ठ शायर अम्बर खरबंदा ने की।

आयोजन में नेपाल से पधारे मुख्य अतिथि बसन्त चौधरी द्वारा पढ़ी गई ग़ज़ल ‘सामने सबके न बोलेंगे, हमारा क्या है। छुप के तनहाई में रो लेंगे, हमारा क्या है’ ने भरपूर दाद हासिल की। वहीं छोटी बहर के बड़े शायर विज्ञान व्रत ने अपने चिर परिचित अंदाज में अपनी ग़ज़ल – ‘मैं था तनहा एक तरफ़, और ज़माना एक तरफ़। तू जो मेरा हो जाता, मैं हो जाता एक तरफ़।’ पढ़कर हॉल में उपस्थित सैकड़ों शायरों का दिल जीत लिया।

ग़ज़ल कुंभ में एक से बढ़कर ग़ज़लें पढ़ी गईं। राजवीर सिंह राज ने पढ़ा –

हमने दिल में रखा है तुझे,
फिर भी शिकवा रहा है तुझे।
प्रशांत साहिल मिश्र ने पढ़ा –
‘साहिल’ चराग़ मेरा भला क्यूँ बुझा गई।
रिश्ते तो ठीक-ठाक थे मेरे हवा के साथ।

दीक्षित दनकौरी ने दिलकश तरन्नुम में अपनी ग़ज़ल पढ़कर सभी का मन मोह लिया –

जान सांसत में डाल ली हमने,
दुश्मनी खुद से पाल ली हमने।
उनकी हसरत का एहतराम किया,
खुद ही पगड़ी उछाल ली हमने।

अंतरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त शायर दीक्षित दनकौरी के संयोजन में होने वाले इस आयोजन में प्रो.डॉ. उषा उपाध्याय (अहमदाबाद), श्री इम्तियाज़ ‘वफ़ा’ (अध्यक्ष-उर्दू अकादमी, काठमांडू), श्री शैलेन्द्र जैन ‘अप्रिय’ (समूह सम्पादक-अमर भारती मीडिया समूह), श्री राजेंद्र शलभ (वरिष्ठ कवि, नेपाल) एवं सुकवयित्री डॉ. श्वेता दीप्ति (नेपाल) के सान्निध्य में अंजुमन फ़रोग़ ए उर्दू, दिल्ली के अध्यक्ष मोईन अख़तर अंसारी, श्री बसंत चौधरी और दीक्षित दनकौरी द्वारा वरिष्ठ शायर विज्ञान व्रत को इस वर्ष का ‘ग़ज़ल कुंभ सम्मान-2025’ प्रदान किया गया।

गार्गी कौशिक ने बताया की ग़ज़ल कुंभ में एक से बढ़कर एक ग़ज़लें पढ़ी गईं, अनेक नवोदित शायरों ने बहुत ही शानदार ग़ज़लें पढ़कर वरिष्ठ शायरों की दाद हासिल की और आशीष प्राप्त किया। प्रत्येक अतिथि और शायरों के लिए आवास, भोजन आदि की शानदार नि:शुल्क व्यवस्था की गई और उन्हें भेंट में मिली पुस्तकों और स्मृतिचिन्ह से सभी प्रतिभागी प्रफुल्लित थे। चारों सत्रों का मंच संचालन क्रमशः अलका ‘शरर’, दीक्षित दनकौरी, फरीद आलम कादरी, अली अब्बास नौगांवी और निरुपमा चतुर्वेदी ने किया।

ग़ज़ल कुंभ के संयोजक लोकप्रिय एवं प्रख्यात शायर दीक्षित दनकौरी (जिनका शे’र ‘न माँझी, न रहबर, न हक़ में हवाएं, है कश्ती भी जर्जर, ये कैसा सफ़र है।’ को भारत के प्रधानमन्त्री श्री मोदी जी संसद में संसद में पढ़ चुके हैं) ने बताया कि इस आयोजन के पीछे उनका मकसद ग़ज़ल परम्परा को आगे बढ़ाना और वरिष्ठ ग़ज़लकारों को सम्मान देने के साथ- साथ नवोदित ग़ज़लकारों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए उचित मंच उपलब्ध कराना है।