ललित गर्ग
विश्व दृष्टि दिवस प्रत्येक वर्ष अक्तूबर के दूसरे गुरुवार को वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। इस साल यह 12 अक्टूबर गुरुवार को पड़ रहा है। यह दिन दृष्टि हानि, अंधापन के साथ-साथ दृष्टि संबंधी समस्याएं के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है, सभी लोगों के लिए अच्छी दृष्टि के महत्व पर प्रकाश डालता है। विश्व दृष्टि दिवस 2023 की थीम है “काम पर अपनी आँखों से प्यार करें: कार्यस्थल में आँखों की देखभाल!’ यह विषय समग्र कल्याण के मूलभूत पहलू के रूप में कार्यस्थल में दृष्टि स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के महत्व को रेखांकित करता है, क्योंकि आधुनिक जीवनशैली एवं कार्यस्थलों पर कम्प्यूटर, लैैपटॉप, मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बढ़ते प्रचलन में आंखें पर ही सर्वाधिक जोर पड़ता है। इस तरह जो लोग स्क्रीन पर बहुत अधिक समय बिताते हैं, उनमें समय के साथ आंखों से संबंधित कई तरह की बीमारियां होने का खतरा रहता है। मोबाइल-कंप्यूटर या टेलीविजन की स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी आंखों के लिए बहुत हानिकारक होती है। विश्व दृष्टि दिवस नेत्र देखभाल सेवाओं तक समान पहुंच को बढ़ावा देता है, विशेष रूप से वंचित और हाशिए पर रहने वाली आबादी के लिए। यह आंखों की देखभाल को किफायती और सभी के लिए उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर जोर देता है।
विश्व दृष्टि दिवस इसलिये काफी महत्त्वपूर्ण है, दुनिया भर में नेत्र रोगों में बहुत अधिक बढ़ावा हो रहा है। दृष्टि हानि सभी उम्र के लोगों को प्रभावित करती है और अधिकांश प्रभावित लोग 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं। बढ़ते नेत्र-रोगियों से दुनिया धुंधली हो रही है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, एक अरब से अधिक लोग ऐसे हैं जो ठीक से देख नहीं सकते हैं क्योंकि उनके पास चश्मे तक पहुँच की सुविधा नहीं है। इनमें से एक अरब लोग निवारण किये जा सकने योग्य दृष्टि दोष से पीड़ित हैं। दृष्टि हीनता व्यक्तिगत गतिविधिंयाँ, घूमने-फिरने, स्कूली शिक्षा और कार्य, दैनिक दिनचर्या, सामाजिक मेलमिलाप व वार्तालाप जैसे जीवन के हर पहलू पर दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ती है। शरीर की खूबसूरती में आंखें एवं उनकी दृष्टि-सम्पन्नता बहुत सहायक होती है। कवियों ने तो अपनी कविताओं, गजलों, गीता में उपमाएं देकर आंखों का बखान किया हैं। उनकी कल्पना में जब जुबान खामोश होती है तो आंखें बोलती है, इसलिये दृष्टि दिवस पर आंखों के बारे में जानना और उनकी सुरक्षा करना जरूरी है।
यो तो हमारे शरीर का हर अंग हमारे लिए बहुत कीमती और महत्वपूर्ण है। यदि उनमें से कोई भी अंग खराब या कमजोर हो जाए तो हमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं, हम इस जीवन का आनंद भी ठीक से नहीं ले पाते हैं। खासकर अगर आंखों की बात करें तो यह हमारे शरीर का सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है। कुदरत का यह नायाब तोहफा है, जिससे सारी दुनिया की रंगीनी एवं अच्छी-बुरी सभी चीजें देखी जा सकती है। ऐसे में अगर आंखों को कुछ हो जाए तो दुनिया कितनी बेरंग हो जायेगी? यह किसी के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है, यह जीवन का अधूरापन है। आंखों का काम देखना और देखे हुए संदेश को मस्तिष्क तक पहुंचाना होता है। शरीर का सबसे ज्यादा कोमल अंग आंखें ही होती है, इसलिए जरूरी है कि हम अपनी आंखों का खास ख्याल रखें। आंखों को सही रखने के लिए सही खान-पान का होना बहुत जरूरी है।
आंखें शरीर का वह अंग हैं जो हमें दुनिया की खूबसूरती का एहसास कराती हैं। हालांकि, समय के साथ जीवनशैली और खान-पान में गड़बड़ी के कारण इससे जुड़े खतरे बढ़ते जा रहे हैं। चाहे वह मोबाइल एवं कंप्यूटर पर बहुत अधिक समय बिताना हो या शुगर और बीपी जैसी बीमारियां हों, इन सभी का आंखों के स्वास्थ्य पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में अंधेपन और कमजोर नजर का मुख्य कारण मोतियाबिंद, डायबिटिक रेटिनोपैथी और ग्लूकोमा जैसी बीमारियों को बताया है। आँख या नेत्र जीवधारियों का वह अंग है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील है। अच्छी दृष्टि किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव डालती है। यह लोगों को दैनिक कार्य करने, शिक्षा प्राप्त करने और समाज में पूरी तरह से भाग लेने, समग्र कल्याण में योगदान करने में सक्षम बनाता है।
दृष्टि दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के साथ जुड़ा है, जिसमें इस बात पर जोर दिया जाता है कि अच्छी दृष्टि सुनिश्चित करना व्यापक वैश्विक विकास उद्देश्यों को प्राप्त करने का एक अभिन्न अंग है। विश्व दृष्टि दिवस वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देता है, दृष्टि हानि और अंधापन को रोकने के लिए एक साझा मिशन में व्यक्तियों और संगठनों को एकजुट करता है। हर साल दुनिया भर में अंधापन और दृष्टि हानि के प्रति जागरूकता बढ़ाने पर लायंस क्लब फाउंडेशन सक्रिय हुआ, इसकी प्रेरणास्रोत बनी अमेरिकी लेखिका, शांतिकर्मी, युद्ध विरोधी राजनीतिक कार्यकर्ता, समाजसुधारक एवं प्रेरक उद्बोधक हेलेन केलर, वो स्वयं अंधी होने के बावजूद दुनिया में अनूठे एवं विलक्षण कर किये। 1925 में, जब लायंस इंटरनेशनल केवल सात वर्ष का था, प्रसिद्ध हेलेन केलर ने अपने वार्षिक सम्मेलन में लायंस सदस्यों से अंधता निवारण पर प्रेरक उद्बोधन देते हुए ‘अंधेरे के खिलाफ धर्मयुद्ध में अंधों के शूरवीर’ बनने के लिए चुनौती दी। उस भाषण ने लायंस की एक नई दिशा तय कर दी और तब से साइट फर्स्ट अभियान की नैत्र-क्रांति से अंधता को दूर किया जा रहा है।
दुनिया भर में लाखों लायंस सदस्यों ने दृष्टिबाधित लोगों की मदद करने के लिए अपने उल्लेखनीय उपक्रम कर रहे हैं। इस प्रयास में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ-साथ इंटरनेशनल एजेंसी फॉर द प्रिवेंशन ऑफ ब्लाइंडनेस (आईएपीबी) द्वारा सहयोग मिल रहा है। आईएपीबी एक वैश्विक संगठन है जिसमें 100 से अधिक देशों के विभिन्न धर्मार्थ संगठन और गैर सरकारी संगठन एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए मिलकर काम करते हैं जिसमें विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अंधता रोकथाम और इलाज खोजने सहित अंधेपन के मुद्दे पर जागरूकता फैलाई जाती है। दुनिया के कुछ हिस्सों में बहुत से लोगों को अंधेपन और अन्य ऑप्टिकल समस्याओं का खतरा अधिक है क्योंकि उनके पास आंखों की देखभाल तक पर्याप्त पहुंच नहीं है। विश्व दृष्टि दिवस एक चैरिटी में दान करने के लिए एक आदर्श प्रेरणा प्रदान करता है जो उन लोगों की मदद करता है जो अपनी आवश्यक दृष्टि देखभाल पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
नेत्र स्वास्थ्य सबसे जरूरी है और दृष्टि हानि और अंधापन शिक्षा, रोजगार, जीवन की गुणवत्ता और बहुत कुछ को प्रभावित करता हैं। इसलिए, विश्व संगठनों और लोगों को नेत्र स्वास्थ्य तक सार्वभौमिक पहुंच का सक्रिय रूप से समर्थन करने के लिए हाथ मिलाना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह मिशन एवं विजन हर किसी के लिये मायने रखता है। 74वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में, सदस्य राज्यों ने 2030 तक नेत्र देखभाल के लिए अपवर्तक त्रुटियों के प्रभावी कवरेज के लिए 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी एवं मोतियाबिंद सर्जरी के प्रभावी कवरेज में 30 प्रतिशत की वृद्धि-ये दो वैश्विक लक्ष्य अपनाए हैं। उपरोक्त लक्ष्य न केवल वैश्विक नेत्र देखभाल कवरेज को बढ़ाएंगे बल्कि गुणवत्तापूर्ण सेवाएं भी प्रदान करेंगे। हमें नेत्र-दान का संकल्प लेने के साथ नेत्र-रोगियों को उन्नत दृष्टि देने के लिये सहयोग के हाथ बढ़ाते हुए मानवता को बल देने एवं दुनिया में संतुलन एवं समता का विकास करना चाहिए।