धरा प्रथम के मूल मंत्र को स्वीकार करे विश्व !

सीता राम शर्मा ” चेतन “

चंद्रयान तीन की सफलता से हर भारतीय हर्षित, गर्वित है और प्रेरित भी ! निःसंदेह व्यतीत तेइस अगस्त का दिन और उसका वह पल राष्ट्रीय उत्सव उल्लास का अविस्मरणीय पल था जब हमारे विद्व वैज्ञानिकों ने अपने अंतरिक्ष लक्ष्यों में से एक और लक्ष्य को साधते हुए अपने अथक जीवट प्रयासों से निर्मित यंत्र यान चंद्रयान तीन को चांद के दक्षिणि ध्रुव पर सफलतापूर्वक उतार दिया था ! हालाकि भारत ने अनंत ब्रह्मांड के अथाह ज्ञान को सदियों पूर्व अपनी ऋषि परंपरा और मंत्र शक्ति के माध्यम से ना सिर्फ जान और जी लिया था बल्कि बहुत हद तक उसके ज्ञान को ग्रंथ रुप में संयोजित भी कर दिया था ! वह ऐसा समय था जब हमारे ऋषि आत्मिक साधना और कठोर जप-तप से जब जहां चाहे अंतरिक्ष भ्रमण कर आते थे, जहां पहुंचना आज के विकसित हुए, होते और होने वाले विज्ञान के लिए या तो असंभव है या फिर उसमें दशकों लग जाते हैं, लेगेगें । उन्होंने ब्रह्मांड के जिन रहस्यों को जाना समझा उसे जानने खोजने में आज के कथित आधुनिक विकसित विज्ञान को अभी भी सदियों का श्रम देना होगा ! भारतीय पुरातन और सनातन उपलब्धियों की वह गौरवशाली यात्रा परंपरा आज भी गुप्त और चमत्कारिक सत्य के साथ अनवरत जारी है । मानवीय दैहिक सर्वोच्च विज्ञान को जाने बिना आज के कथित आधुनिक विकसित बाह्य यांत्रिक विज्ञान को अंतरिक्ष और ब्रह्मांड के उन रहस्य ज्ञान को जानने में अभी हजारों सदियां लगेगीं । विकास के नाम पर विनाश की ओर जाती आज की मानवीय बिरादरी उन वास्तविक सत्यों तक कभी पहुंच भी पाएगी या नहीं यह कहना बहुत मुश्किल है क्योंकि संभावित सत्य तो यही जान पड़ता है कि विकास के नाम पर तेजी से विनाश के अनावश्यक अविष्कार करती वर्तमान और भविष्य की मानवीय बिरादरी विज्ञान के अपने वृहद दिखते आंशिक विकास के अधिकांश हिस्से का तो खुद के साथ खुद ही विनाश कर लेगी !

खैर, चंद्रयान तीन के राष्ट्रीय उत्सव और उल्लास के अनमोल पलों में फिलहाल बात वर्तमान वैश्विक विज्ञान की उस दृष्टि और सृष्टि की, जिसमें भारतीय वैज्ञानिकों ने अपने निर्मित चंद्र यान चंद्रयान तीन को चांद के दक्षिणि ध्रुव पर उतार दिया है और जिससे वह अपने वसुधैव कुटुम्बकम के ध्येय को साधना चाहती है, क्या सचमुच वह अंतरिक्ष विज्ञान और मानवीय जहान के लिए बहुत ज्यादा उपयोगी है ? क्या अंतरिक्ष विज्ञान के विकास की यह वैश्विक ललक और प्रतिस्पर्धा ठीक है ? क्या अंतरिक्ष विज्ञान की व्यापक समझ और खोज अत्यंत जरुरी है ? क्या आध्यात्म के आत्मिक ज्ञान से प्राप्त होने वाले अंतरिक्ष ज्ञान से बेहतर है सामुहिक श्रम साध्य से पाया जाने वाला अंतरिक्ष विज्ञान ? फिलहाल इन प्रश्नों को अनुत्तरित या फिर पाठकीय विवेक पर छोड़ते हुए बात सिर्फ और सिर्फ उस धरती की, जिस पर असीमित असहनीय अपराध करते हुए हम निरंतर खुद को ज्यादा ज्ञानी, गौरवशाली और विकसित कहने मानने की अक्षम्य भूल किए जा रहे हैं ! थोड़ा रुककर और शांतचित्त होकर हमें सबसे पहले यह जानने समझने की जरूरत है कि हमारे लिए और हमारी पूरी मनुष्य जाति के लिए सबसे अधिक जरुरी और महत्वपूर्ण यह है कि हम चांद और सूरज पर जाने से पहले उस धरती के प्रति ज्यादा संवेदनशील, समझदार, जागरूक और जिम्मेवार बनें जिस पर हम अपना जीवन बहुत सरलतापूर्वक जीते आए हैं और जी सकते हैं ! ऐसा इसलिए कि हमने मानवीय जीवन और अंतरिक्ष के ज्ञान विज्ञान के लिए खुद को ज्यादा जागरूक और विकसित करते हुए अपने ही जीवन और उसकी मूल थाती परम प्रिय जगत जननी और पालक धरा को संवेदनहीनता, लापरवाही और भटकाव के गहन अंधकार में ढकेल दिया है ! जिसका परिणाम सिर्फ और सिर्फ विनाश और सर्वनाश की तरफ ही जाता है ! अतः चंद्रयान तीन की सफलता के बहाने यह समय की मांग है कि हम बाह्य ज्ञान विज्ञान की यात्रा और उपलब्धियों के साथ अपने आंतरिक मूल मानवीय और धरा ज्ञान विज्ञान पर भी गंभीरतापूर्वक विचार और व्यवहार करें, अन्यथा कहीं ऐसा ना हो कि ऐतिहासिक असीम विकास की अंध भूख हमारी मानवीय सृष्टि को ही एक ऐसे दुखद इतिहास में बदल दे, जिसे लिखने पढ़ने वाले भी ना बचें क्योंकि जो महान आध्यात्मिक विभूतियां इस धरा पर होने वाले आत्मघाती मानवीय सर्वनाश के बाद भी रहेंगी, वो तो संभवतः आज और आने वाले हमारे विनाशक कल के इतिहास को ठीक उसी तरह नहीं लिखेंगी जैसे अब तक उन्होंने अपने प्राप्त अंतरिक्ष के कई ज्ञान विज्ञान को नहीं लिखा है !
सार यह कि विज्ञान की वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आज भारत अपने हिस्से की योग्यता और सफलता का जो प्रदर्शन कर रहा है वह इसकी मजबूरी है ! विश्व समझे तब भी और नहीं समझे तब भी भारत की महत्वपूर्ण वैश्विक भूमिका और दायित्व तो वैश्विक मानवता की रक्षा और उसका कल्याण करना ही है ! यह आलेख भी वैश्विक समुदाय को यह बताने समझाने का प्रयास ही है कि मनुष्य जाति के लिए अंतरिक्ष ज्ञान विज्ञान से ज्यादा जरुरी है धरा के उस ज्ञान और विज्ञान को समझना ! उसके प्रति ज्यादा जागरूक, जवाबदेह और जिम्मेवार होना । जिसके बिना या जिससे दूर जाते हुए उसका जीवन ही असुरक्षित हो जाएगा !

इसरो की पूरी टीम को चंद्रयान तीन की सफलता के लिए पूरे देश की तरफ से हार्दिक बधाई और अशेष शुभकामनाएँ !